नई दिल्ली। अभी तक कोरोना की खतरनाक दूसरी लहर का सामना कर रहे अपने देश में इन दिनों तीसरी लहर की चर्चा जोरों पर है। मीडिया हो या राज्य सरकारें या फिर नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (NCPCR) जैसी संस्था, सभी अलग-अलग अंदाज में कह रहे हैं कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक होगी। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 राज्यों के कलेक्टरों से बच्चों में कोरोना से जुड़ा डेटा जमा करने को कहा है।
दूसरी लहर के दौरान खाली हाथ रही सरकारें अचानक तीसरी लहर की तैयारी करती नजर आने लगी हैं, लेकिन चिंता की इस चर्चा में तब यू-टर्न आ गया, जब 22 मई को बच्चों के डॉक्टरों से सबसे बड़े संगठन IAP और 24 मई को सरकारी प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल और AIIMS के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि इस बात के सबूत नहीं कि तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक होगी।
तो आइए जानते हैं इस चर्चा से जुड़े सभी जरूरी सवालों के जवाब…
Q. कोरोना की तीसरी लहर की चर्चा ने जोर क्यों और कब पकड़ा?
केंद्र सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन ने 5 मई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वायरस के प्रसार की मात्रा को देखते हुए यह तय है कि कोरोना की तीसरी लहर आएगी। उनके इस बयान के बाद से ही देश में कोरोना की तीसरी लहर की चर्चा ने जोर पकड़ लिया।
Q. कोरोना की यह तीसरी लहर कब आएगी?
कई लहरों में आना और हर बार बड़ी संख्या में लोगों को संक्रमित करना कोरोना जैसी महामारी का स्वभाव होता है। आखिरकार ज्यादातर लोग संक्रमित हो जाते हैं और समय के साथ बीमारी खत्म हो जाती है या कुछ ही जगह तक सिमटकर रह जाती है। आधुनिक समय में वैक्सीन के जरिए भी ऐसी महामारी को कंट्रोल किया जा सकता है। ऐसे में तीसरी लहर की आशंका जरूर है, मगर यह कब तक आएगी और कितनी घातक होगी, इसका अंदाजा लगाना कठिन है। फिलहाल आंकड़े दूसरी लहर के धीरे-धीरे ढलने की तरफ इशारा कर रहे हैं।
संक्रमित होने और गंभीर बीमार होने में अंतर
बच्चों में कोरोना का असर जानने के लिए उनके ‘कोरोना संक्रमित’ होने और ‘गंभीर बीमार’ होने में अंतर को समझना होगा। भारत में अब तक ऐसा कोई अध्ययन नहीं हुआ है जो साफ तौर पर यह कहे कि अगर तीसरी लहर आई तो वह बच्चों के लिए सबसे घातक साबित होगी। पिछले दिनों देश में बच्चों के लिए कोई वैक्सीन न होने और बाकी लोगों में वैक्सीनेशन की गति अचानक धीमी पड़ने से देश में बच्चों पर खतरा मंडराने की चर्चा शुरू हो गई। इसके बाद ही अलग-अलग एक्सपर्ट्स की राय सामने आने लगी…
- देश में बच्चों के डॉक्टरों के सबसे बड़े संगठन IAP (Indian Academy of Pediatrics) के अनुसार 20 दिसंबर से 21 जनवरी के बीच किए गए सीरो सर्वे (Sero survey) से यह पता चला है कि 10 से 15 साल के बच्चों में भी बड़ों की तरह संक्रमण की दर 20-25% थी। इससे साफ है कि बच्चों के भी बड़ों की तरह संक्रमित होने की आशंका है, मगर उनमें बड़ों की तरह गंभीर बीमारी का खतरा नहीं होता है।
- कर्नाटक में कोविड वायरस जीनोम कन्फर्मेशन के नोडल ऑफिसर डॉ. वी रवि समेत कई एक्सपर्ट्स के मुताबिक पहली लहर के दौरान कुल संक्रमितों में केवल 4% बच्चे थे, दूसरी लहर में यह आंकड़ा 10-15% तक पहुंच गया। तीसरी लहर में नए वैरिएंट्स ज्यादा बच्चों को संक्रमित कर सकते हैं। तीसरी लहर से पहले बड़ी संख्या में वयस्क कोरोना का शिकार हो चुके होंगे। उनके शरीर में एंटीबॉडी पनप जाएंगे। अगर इससे पहले बड़ी संख्या में लोगों को वैक्सीन भी लगा दी गई तो बच्चे ही वायरस का सबसे सुरक्षित ठिकाना होंगे।
- नारायण हेल्थ के चेयरमैन और तीसरी लहर के लिए कर्नाटक सरकार की टास्क फोर्स के चेयरमैन डॉ. देवी प्रसाद शेट्टी का भी कहना है कि पहली लहर में किडनी, डायबिटीज और दिल की बीमारियों से घिरे बुजुर्ग निशाना बने। दूसरी लहर में कमाई के लिए घरों से निकलने वाले युवा ज्यादा संक्रमित हुए। अब अगला जोखिम बच्चों को है। वायरस अपने तरीके को बदलता रहता है।
Q. तीसरी लहर में बच्चों के सबसे ज्यादा बीमार पड़ने को लेकर अगर कोई बड़ी रिसर्च नहीं हुई तो उसकी इतनी चर्चा क्यों?
तीसरी लहर में बच्चों को ज्यादा खतरे पर चर्चा शुरू होते ही कई राज्यों ने तैयारियों को लेकर घोषणाएं करनी शुरू कर दीं, मगर सच तो यह है कि भारत में बच्चों में कोरोना संक्रमण को लेकर अब तक कोई समग्र सरकारी डेटा नहीं है। फिर भी बच्चों में कोरोना को लेकर चर्चा इस वजह से और तेज हो गई…
1. प्रधानमंत्री बोले- जिलों में बच्चों में कोरोना फैलने के डेटा जमा करें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 मई को जिलों के 10 राज्यों के कलेक्टर (DM या DC) और फील्ड अफसरों से बात करते हुए हर जिले में बच्चों और युवाओं में कोरोना के ट्रांसमिशन का डेटा जमा करने को कहा। उन्होंने कहा कि इस डेटा का नियमित रूप से अध्ययन करना चाहिए।
2. कर्नाटक : सभी जिलों में विशेष कोविड केयर सेंटर
कर्नाटक की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री शशिकला जोले ने 18 मई को राज्य के 30 जिलों में बच्चों के लिए विशेष कोविड केयर सेंटर बनाने की घोषणा की।
3. यूपी : 10 साल तक के बच्चों के माता-पिता को पहले वैक्सीन
22 मई को उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने पूरे राज्य में एक जून से 18-44 साल के सभी लोगों को वैक्सीन लगाने का अभियान शुरू करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि तीसरी लहर से पहले 10 साल तक के बच्चों के माता-पिता को वैक्सीन लगा दी जाएगी।
4. दिल्ली : बच्चों को बचाने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने 19 मई को कहा कि अगर कोरोना की तीसरी लहर आती है तो सरकार पहले से तैयार रहेगी। इसमें बच्चों को बचाने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स बनाई जाएगी।
5. NCPCR ने केंद्र, राज्यों और ICMR से तैयारी को कहा
नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (NCPCR) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने 20 मई को केंद्र को पत्र लिखकर जल्द से जल्द छोटे बच्चों को अस्पताल पहुंचाने की जरूरत के हिसाब से नेशनल इमरजेंसी ट्रांसपोर्ट सर्विस (NETS) यानी एंबुलेंस सर्विस को तैयार करने को कहा। कमीशन ने राज्यों से नवजातों के लिए नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट यानी NICU और बच्चों के आईसीयू यानी PICU की संख्या और उनके मौजूदा हाल की जानकारी देने और नोडल अधिकारी नियुक्त करने को कहा है। NCPCR ने ICMR से भी कोरोना संक्रमित बच्चों के इलाज और क्लीनिकल मैनेजमेंट के लिए गाइडलाइन को साझा करने को कहा है।
Q. इस बारे में सरकार, बच्चों के डॉक्टरों और दूसरे एक्सपर्ट्स की क्या राय है?
नीति आयोग : ऐसे संकेत नहीं कि तीसरी लहर बच्चों पर गंभीर असर डालेगी
24 मई को कोरोना महामारी पर सरकार की रूटीन प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीति आयोग में सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने कहा कि अब तक ऐसे कोई संकेत नहीं हैं कि तीसरी लहर में बच्चों पर गंभीर रूप से असर होगा। उन्होंने कहा कि अगर बच्चे कोरोना से संक्रमित होते भी हैं तो उनमें या तो लक्षण बिल्कुल नहीं होंगे या बेहद हल्के लक्षण होंगे। उन्हें आमतौर पर अस्पताल में भर्ती करने की की जरूरत नहीं होगी।
IAP यानी बच्चों के डॉक्टर: बच्चों पर विशेष असर की आशंका बेहद कम
बच्चों के डॉक्टरों के सबसे बड़े संगठन Indian Academy of Pediatrics यानी IAP का कहना है कि बच्चों के बड़ों की तरह संक्रमित होने की आशंका होती है, लेकिन गंभीर बीमारी का खतरा उनके बराबर नहीं होता। इस बात की आशंका बेहद कम है कि तीसरी लहर विशेष तौर पर या केवल बच्चों को प्रभावित करेगी।
एम्स डायरेक्टर : आशंका फैक्ट्स पर आधारित नहीं, लोग डरे नहीं
एम्स दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने भी 24 मई को कहा कि यह कहा जा रहा है कि तीसरी लहर में सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित होंगे, मगर बच्चों के डॉक्टरों की एसोसिएशन का कहना है कि यह आशंका तथ्यों पर आधारित नहीं है। इसलिए लोगों को डरना नहीं चाहिए।
डॉ. अमित गुप्ता, क्लिनिकल डायरेक्टर, न्यूबॉर्न सर्विसेज, ऑक्सफोर्ड
डॉ. अमित गुप्ता का कहना है कि अगर आप केवल फैक्ट्स को देखें तो इस बात के बेहद कम सबूत है कि कोरोना वायरस का म्यूटेंट वास्तव में बच्चों में गंभीर संक्रमण कर रहा है। डेटा को छोड़िए, क्या देश में पीडियाट्रिक केयर यूनिट्स भर चुकी है, तो ऐसा बिल्कुल नहीं है।
कोरोना के कुल केसेज में बढ़ोतरी के हिसाब से बच्चों के केसेज में बढ़ोतरी हुई है। हम टोटल केसेज में बच्चों के संक्रमित होने के अनुपात और बीमार बच्चों की संख्या के बीच कन्फ्यूज हो जाते हैं।
Q. क्या दूसरी लहर में बड़ों में देखी जा रही कोरोना की गंभीर बीमारी बच्चों में भी दिखाई देगी।
IAP का कहना है राहत की बात यह है कई कारणों के चलते बच्चे बड़ों के मुकाबले कम प्रभावित हुए हैं। बच्चों में कोरोना वायरस के लिए जरूरी रिसेप्टर्स कम होते हैं। साथ ही उनकी प्रतिरोधक क्षमता भी ज्यादा होती है। यही वजह है कि 90% से अधिक बच्चों में बिना लक्षणों के या एकदम साधारण लक्षणों के साथ कोरोना संक्रमण होता है और उनमें बीमारी गंभीर होने की संभावना नहीं है।
Q. तो क्या तीसरी लहर में बच्चों के गंभीर रूप से बीमार होने की संभावना से पूरी तरह से इनकार नहीं किया जा सकता?
भारत में कोरोना की शुरुआती दोनों लहरों में गंभीर रूप से बीमार बच्चों को भी ICU में भर्ती करने की जरूरत बहुत ही कम पड़ी है। IAP का कहना है कि फिर भी अनहोनी के तैयार रहना ही बुद्धिमानी है। इस बात से पूरी तरह इनकार नहीं किया जा सकता है कि कुछ बच्चे गंभीर रूप से बीमार हो सकते हैं, लेकिन अभी तक ऐसा कोई सबूत नहीं है जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि तीसरी लहर में संक्रमित होने वाले ज्यादातर बच्चों में कोरोना गंभीर रूप लेने वाला है।
Q. क्या बाकी देशों में बच्चों में कोरोना से खतरे के हालात हैं?
लैंसेट में पब्लिश हुई रिसर्च के मुताबिक कोरोना से बच्चों को बेहद कम खतरा है। अमेरिका, यूके, इटली, जर्मनी, स्पेन, फ्रांस और दक्षिण कोरिया में सभी बीमारियों के मुकाबले सिर्फ 0.48% बच्चों की कोरोना के चलते जान गई। 1 मार्च 2020 से 1 फरवरी 2021 के बीच इन सातों देशों में अलग-अलग बीमारियों से 19 साल से कम उम्र के कुल 48,326 बच्चों और टीनएजर्स की मौत हुई। इनमें कोरोना से मौत का आंकड़ा मात्र 231 था। दूसरे शब्दों में कहें तो कोरोना के शुरुआती एक साल में 19 साल से कम उम्र वाली एक करोड़ की आबादी में 17 की मौत कोरोना से हुई थी।
Q. भारत में बच्चों की वैक्सीन को लेकर क्या स्थिति है? क्या हम जल्द से जल्द बच्चों को वैक्सीन लगाकर इस डर से बाहर नहीं आ सकते?
फिलहाल भारत में केवल दो वैक्सीन उपलब्ध हैं। भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड। इन दोनों में से किसी का भी बच्चों पर ट्रायल नहीं किया गया है। दोनों वैक्सीन 18 साल से ज्यादा उम्र वालों को ही लगाई जा रही है। भारत बायोटेक को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने 12 मई को 2 से 18 साल के आयुवर्ग के लिए दूसरे-तीसरे चरण के ट्रायल की मंजूरी मिल चुकी है। ट्रायल अगले दो सप्ताह के भीतर शुरू हो सकते हैं। वहीं एस्ट्राजेनेका यूके में 6-17 साल के आयुवर्ग में वैक्सीन का ट्रायल कर रही हैं, लेकिन अभी इसका कोई डेटा नहीं आया है। इस बीच कर्नाटक के बेलगावी में 20 बच्चों को तीसरे चरण के ट्रायल के लिए जाइडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन ZyCoV-D की पहली डोज दी गई। इनके अलावा जॉनसन एंड जॉनसन और रूसी स्पुतनिक V वैक्सीन जल्द ही भारतीय बाजारों में उपलब्ध आ जाएंगी। मगर अभी यह स्पष्ट नहीं कि भारत में 18 साल से कम उम्र के बच्चों और किशोरों के लिए वैक्सीन कब उपलब्ध होगी।