कश्मीर के पूर्व विधायक तारीगामी बोले- हम आसमान के तारे नहीं मांग रहे, बस साथ लेकर चलें

यूसुफ तारीगामी ने मोदी सरकार की कश्मीर नीति पर सवाल उठाते हुये कहा कि लोगों को जेल में डालकर, उन्हें प्रताड़ित कर, संचार सेवायें रोक कर और सामान्य जनजीवन प्रभावित कर , क्या सरकार कश्मीर के लोगों का विश्वास जीत पायेगी. अनुच्छेद 370 को हटाने और राज्य को दो केन्द्र शासित क्षेत्रों में बांटने के बाद तारीगामी को भी अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ घर में नजरबंद कर दिया गया था.

नई दिल्ली: सीपीआई के वरिष्ठ नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व विधायक मोहम्मद यूसुफ तारीगामी ने जम्मू कश्मीर के हालात सामान्य होने के केन्द्र सरकार के दावों पर सवाल उठाते हुए आज जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि कश्मीर ‘कुंठा’ में है और वहां लोग ‘धीमी मौत’ मर रहे हैं. सीपीआई के महासचिव सीताराम येचुरी के साथ तारीगामी ने कहा कि सरकार कहती है कि वहां एक भी गोली नहीं चली, हालात सामान्य हैं. फिर वहां के लोगों के नागरिक अधिकारों और सेवाओं को क्यों रोका गया है? उन्होंने सरकार किसी अन्य इलाके में टेलीफोन और इंटरनेट सहित अन्य नागरिक सुविधायें बंद करके यह देख ले कि ऐसा करने से कैसे हालात हो जाते हैं?

 

तारीगामी ने कहा, ”कश्मीर में संचार सेवायें और नागरिक सुविधायें बंद होने के कारण शिक्षा, स्वास्थ्य और कारोबार सहित सामान्य जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित है. कश्मीर कुंठा में है , वहां लोग धीरे धीरे मर रहे हैं. हमारी हुकूमत से अपील है कि हम जीना चाहते हैं. सरकार हम कश्मीरियों की भी आवाज को सुने, हमें भी जिंदा रहने का मौका मिलना चाहिये. ” कश्मीर की मौजूदा स्थिति का जिक्र करते हुये तारीगामी भावुक हो गये.

 

उन्होंने मोदी सरकार की कश्मीर नीति पर सवाल उठाते हुये कहा कि लोगों को जेल में डालकर, उन्हें प्रताड़ित कर, संचार सेवायें रोक कर और सामान्य जनजीवन प्रभावित कर , क्या सरकार कश्मीर के लोगों का विश्वास जीत पायेगी. जम्मू कश्मीर विधानसभा के चार बार सदस्य रहे तारीगामी ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में उन्होंने आतंक और हिंसा का सबसे बुरा दौर देखा है, जिसमें उन्हें अपने परिवार और मित्रों को खोना पड़ा लेकिन उस दौर में भी वह इतने व्यथित नहीं हुये थे जितने आज के हालात को देखकर वह व्यथित हैं.

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला की गिरफ्तारी के बारे में तारीगामी ने कहा, ”फारुख अब्दुल्ला और अन्य नेता आतंकवादी नहीं हैं. मैं भी विदेशी नहीं हूं. मैंने बहुत कीमत चुकाई है और ऐसा करके मैंने किसी पर अहसान नहीं किया है, यह मेरा फर्ज था जिसे मैंने निभाया और मुझे इस पर नाज है. लेकिन आज मेरा यह सवाल है कि हमें भी साथ लेकर चलो. हम और कुछ नहीं मांग रहे हैं. ”

 

विरोधी दल के नेताओं द्वारा पाकिस्तान की हिमायत करने के सत्तापक्ष के आरोपों के जवाब में तारीगामी ने कहा , ” सरहद पार से लोग तालियां बजा कर कह रहे हैं , मरहवा दिल्ली वालों , जो हम न कर पाये वो आप कर रहे हैं. फारुख अब्दुल्ला को घर में कैद करना, कमाल की सियासत है. मैं देशवासियों की अदालत में यह कहना चाहता हूं कि जो आज कश्मीर में हो रहा है वह मुल्क के हित में नहीं हो रहा है.”

 

अनुच्छेद 370 को हटाने और राज्य को दो केन्द्र शासित क्षेत्रों में बांटने के बाद तारीगामी को भी अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ घर में नजरबंद कर दिया गया था. येचुरी ने सुप्रीम कोर्ट से तारीगामी की खराब सेहत का हवाला देकर उन्हें इलाज के लिये दिल्ली आने की अनुमति मांगी थी. अदालत की अनुमति से इलाज के लिये दिल्ली पहुंचे तारीगामी को सुप्रीम कोर्ट ने आज अपनी सेहत के मुताबिक कभी भी कश्मीर वापस जाने की इजाजत दी है.

 

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