साल का आखिरी चंद्र ग्रहण भारत में शुरू हो गया है। अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर में पूर्ण ग्रहण के साथ चंद्रोदय सबसे पहले देखा गया। उज्जैन की जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ. राजेंद्र गुप्त के मुताबिक चंद्र ग्रहण देश के पूर्वी भाग कोलकाता, कोहिमा, पटना, पुरी, रांची, में पूर्ण और शेष भारत में आंशिक चंद्र ग्रहण दिखेगा।
दिल्ली में 5.28 और मुंबई में 6.01 से आंशिक चंद्र ग्रहण शुरू होगा। 6.19 बजे ग्रहण खत्म हो जाएगा। अगले साल 2023 में कुल चार ग्रहण होंगे। इनमें दो सूर्य और दो चंद्र ग्रहण रहेंगे, लेकिन देश में सिर्फ एक आंशिक चंद्र ग्रहण ही दिखेगा। इसलिए, आज चंद्र ग्रहण देखने का मौका न छोड़ें।
अब जान लें विदेशों में कैसा दिखा चंद्र ग्रहण
दुनिया के बाकी देशों की बात करें तो चंद्र ग्रहण सबसे पहले 2.39 पर प्रशांत महासागर क्षेत्र में दिखा। इसके बाद यह अमेरिका होते हुए ऑस्ट्रेलिया और फिर जापान में देखा गया। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में यह आधा दिख रहा था। कुछ देर बाद ही दोनों देशों में ब्लड मून दिखने लगा। हालांकि जापान में चंद्र ग्रहण आंशिक तौर पर ही देखा गया। ग्वाटेमाला में चंद्र ग्रहण आधा दिखा।
तस्वीरों में देखें विदेशों में ब्लड मून का नजारा…


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भारत के लिए यह चंद्र ग्रहण विशेष, 2040 में ऐसा संयोग
डॉ. गणेश मिश्र ने बताया कि 2022 से पहले सूर्य और चंद्र ग्रहण का ऐसा योग 2012 और 1994 में बना था। 2012 में 13 नवंबर को दिवाली पर सूर्य ग्रहण और 28 नवंबर को देव दिवाली पर चंद्र ग्रहण हुआ था। 1994 में 3 नवंबर को दिवाली पर सूर्य ग्रहण और 18 नवंबर को देव दिवाली पर चंद्र ग्रहण हुए थे।
अब ऐसा संयोग 18 साल बाद बनेगा। 2040 में 4 नवंबर को दिवाली पर आंशिक सूर्य ग्रहण (भारत में नहीं दिखेगा) और 18 नवंबर को देव दिवाली पर पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, ये ग्रहण भारत में दिखेगा।
सूतक शुरू हुआ, मंदिरों में पूजा नहीं होगी
- चंद्र और सूर्य ग्रहण के 9 घंटे पहले इसका सूतक शुरू हो जाता है। यह अभी जारी है। इस दौरान कोई धार्मिक कार्य नहीं किया जाता है। मंदिरों में पूजा नहीं होती। घर में भी पूजा-पाठ नहीं किए जाते हैं।
- खाने की चीजों में तुलसी पत्र डालकर रखे जाते हैं। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण है कि सूर्य या चंद्र ग्रहण से पहले ही इनसे अल्ट्रावाइलेट किरणें ज्यादा निकलने लगती हैं, जो हमारे खाने-पीने की चीजों पर असर डालती हैं।
- उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा का कहना है कि सूतक और ग्रहण ग्रहण के समय में पूजा-पाठ नहीं कर सकते, लेकिन मंत्र जप और दान-पुण्य जरूर करना चाहिए।
- चंद्र ग्रहण के बारे में सुनते ही लोगों के मन में डर का अहसास होता है। ये कोई नई बात नहीं है, 3158 साल पहले जब पहली बार चंद्र ग्रहण देखा गया था, तब भी लोग डरे थे। करीब 1,700 साल पहले चीनी भाषा की एक किताब में चंद्र ग्रहण को एक वैज्ञानिक घटना बताया गया था।