कोरोना वायरस की वजह से अमेरिका में 22 लाख और यूके में होंगी 5 लाख मौतें- स्टडी

स्टडी में कहा गया है कि वायरस संक्रमण को रोकने के लिए कड़े सामाजिक प्रतिबंध लगाने चाहिए. क्लब, पब और थियेटर को पूरी तरह से बंद किया जाना चाहिए.

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लंदन. ब्रिटेन में कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर हुई एक स्टडी में आशंका जताई गई है कि इस बीमारी से अमेरिका (America) में 22 लाख और यूके (ब्रिटेन) में करीब 5 लाख मौतें होंगी. कोराना वायरस (COVID-19) का संक्रमण यहां तेजी से पैर पसार रहा है. इसी को लेकर ब्रिटेन में एक स्टडी की गई है. स्टडी में कहा गया है कि सरकार जितना अंदाजा लगा रही है, उससे कहीं ज्यादा मौतें होंगी. स्टडी कोरोना वायरस से होने वाले सबसे खराब हालात की ओर इशारा कर रही हैं.

ब्रिटेन ने कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. सोमवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने सभी तरह के सोशल लाइफ को प्रतिबंध कर दिया. दुनिया की पांचवी बड़ी इकोनॉमी अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. प्रधानमंत्री ने कहा है कि खासकर 70 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को विशेष एहतियात बरतने की जरूरत है.

लंदन में 1918 में फैली फ्लू जैसी महामारी
कोरोना वायरस को लेकर चेतावनी जारी करने वाली स्टडी लंदन के इंपीरियल कॉलेज के एक मैथेमेटिकल बॉयोलॉजी के प्रोफेसर नील फरग्यूशन ने तैयार की है. इन्होंने इटली से लिए डाटा के आधार पर कोरोना वायरस के संक्रमण से होने वाली मौतों का अंदाजा लगाया है.

लंदन में 1918 में फ्लू की भयावह महामारी फैली थी. नील फरग्यूशन ने 1918 की महामारी की तुलना कोरोना वायरस से की है. उन्होंने कहा है कि महामारी से निपटने के पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए हैं, जिसकी वजह से अमेरिका में 22 लाख और यूके में 5 लाख मौतें हो सकती हैं.

स्टडी में कहा गया है कि संक्रमण को रोकने के सरकार के पिछले प्लान में लोगों को आइसोलेशन में भेजने के बावजूद सामाजिक तौर पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाए गए. जिसकी वजह से ढाई लाख लोगों की मौत हो सकती है. स्टडी में ब्रिटेन की खराब स्वास्थ्य व्यवस्था की ओर भी इशारा किया गया है.

स्टडी में कहा गया है कि वायरस संक्रमण को रोकने के लिए कड़े सामाजिक प्रतिबंध लगाने चाहिए. क्लब, पब और थियेटर को पूरी तरह से बंद किया जाना चाहिए. अगर ऐसा नहीं किया गया तो महामारी के भयावह परिणाम हो सकते हैं.

आगे आने वाला वक्त बहुत कठिन है
इस स्टडी के एक और रिसर्चर की तरफ से कहा गया है कि महामारी की वजह से समाज और हमारी अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित होने वाली है. आगे आने वाला वक्त बहुत कठिन है.

इस स्टडी से ब्रिटिश सरकार को महामारी से निपटने में मदद मिल सकती है. सरकार की तरफ से कहा गया है कि उन्होंने महामारी से निपटने के अपने प्लान में तेजी लाई है. इसमें एक्सपर्ट की सलाह को भी शामिल किया जा रहा है और सरकार के एक्शन प्लान में नए नए तरीके अपनाए जा रहे हैं

कोरोना वायरस की वजह से आधे अमेरिकी हो जाएंगे बेरोजगार

कोरोना वायरस (Coronavirus) ने दुनिया के बाकी हिस्सों की तरह अमेरिका (America) को भी अपना निशाना बनाया है. पूरे अमेरिका में कोराना वायरस के संक्रमण के 3,689 मामले सामने आए हैं. इसके संक्रमण की चपेट में आकर 68 लोगों की मौत हुई है. अमेरिका ने वायरस के संक्रमण से निपटने की व्यवस्था की है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा कर दी है. लेकिन अमेरिका पर कोरोना वायरस का नकारात्मक असर दिखने लगा है.

कोरोना वायरस का सबसे बुरा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है. एक आंकड़े के मुताबिक कोरोना वायरस की वजह से आधे अमेरिकी बेरोजगार होने वाले हैं. सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका की 8 करोड़ नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है. अमेरिकी अर्थव्यवस्था में करीब 15 करोड़ नौकरियां हैं. यानी कोरोना वायरस की वजह से आधे अमेरिकी बेरोजगार होने वाले हैं. मूडीज एनालिटिक्स ने रोजगार के इस संकट की व्याख्या की है.

आधे अमेरिकियों के रोजगार पर पड़ेगा किसी न किसी तरह से असर
कोरोना वायरस की वजह से अमेरिका में कई सेवाएं बंद कर दी गई हैं. एयरलाइंस, होटल, अम्यूजमेंट पार्क, स्पोर्टिंग इवेंट्स सभी कुछ बंद पड़ा है. लेकिन सबसे अहम बात ये है कि सिर्फ इन इंडस्ट्री पर ही असर नहीं पड़ने वाला. अमेरिका में खाने-पीने का सामान पहुंचाने वाले, ड्राई क्लीनर्स, हेयर सैलून, रेस्टोरेंट और इसी तरह की सेवाएं प्रदान करने वाली दूसरी एजेंसियां भी बंदी की वजह से प्रभावित हुई हैं.

मूडीज़ एनालिटिक्स की एनालिसिस के मुताबिक ऐसा नहीं हैं कि सभी आधे अमेरिकियों का रोजगार पूरी तरह से खत्म हो जाएगा. दरअसल उनका रोजगार किसी न किसी तरीके से प्रभावित होगा. उनके वेतन पर असर पड़ेगा, हो सकता है उन्हें कुछ दिनों के लिए हटा दिया जाए, हो सकता है कि कइयों को छुट्टी पर भेज दिया जाए, उनके काम करने के घंटे कम कर दिए जाएं और उनका वेतन कम कर दिया जाए. ये सब असर रोजगार में लगे आधे अमेरिकियों पर पड़ेगा.

मूडीज़ एनालिटिक्स के मुताबिक 8 करोड़ नौकरियों में से करीब 2 करोड़ 70 लाख नौकरियों पर जबरदस्त संकट है. ये संकट कोरोना वायरस की वजह से पैदा हुआ है. सबसे ज्यादा संकट वाले रोजगार ट्रांसपोर्टेशन और ट्रैवल, हॉस्पिटैलिटी, टेम्पररी हेल्प सर्विस और तेल निकालने के काम हैं.

2009 से भी ज्यादा बुरा हाल होने वाला है
इसके अलावा करीब 5 करोड़ 20 लाख नौकरियों को मॉडरेट रिस्क में रखा गया है. यानी इनपर खतरा तो होगा लेकिन उतना नहीं. इसमें रिटेल मैन्युफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन और एजुकेशन से जुड़े रोजगार शामिल हैं. इसमें करीब 50 लाख नौकरियां जा सकती हैं या उन्हें कम वेतन पर काम करना पड़ सकता है.

विशेषज्ञ बता रहे हैं कि ये 2009 के मंदी से भी भयावह होगा. मार्च 2009 में मंदी की वजह से करीब 8 लाख अमेरिकियों की नौकरी चली गई थी और ये सिर्फ एक महीने में हुआ था. कहा गया था कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अमेरिकी अर्थव्यवस्था के मजबूत होने पर पहली बार इतने लोगों की नौकरियां गई थीं. लेकिन इस बार हालात और भी बुरे हैं. 2009 से भी ज्यादा नौकरियां जाने वाली हैं. पूरी दुनिया के लिए संकट की घड़ी है.

चीन (China) के जानलेवा कोरोना वायरस (Corona virus) ने दुनियाभर के देशों को अपनी चपेट में ले लिया है. कोरोना वायरस के चलते दुनियाभर में अब तक 7,158 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 1.80 लाख से ज्यादा लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं. हालात की गंभीरता को देखते हुए WHO ने इसे महामारी घोषित कर दिया है. अमेरिका (America) में भी कोरोना वायरस के चलते अब तक 60 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है.अमेरिका ने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए टीके का टेस्ट करना शुरू कर दिया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसकी प्रशंसा करते हुए कहा कि यह दुनियाभर में सबसे जल्दी विकसित किया जाने वाला टीका है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने ट्वीट करते हुए कहा, मुझे खुशी हो रही है कि अपने वैक्सीन के पहले चरण का परीक्षण शुरू कर दिया है. यह इतिहास में सबसे कम समय में तैयार हुई वैक्सीन है. उन्होंने कहा कि हम एंटी वायरल थेरेपी और अन्य तरीकों पर भी काम कर रहे हैं. हमारे पास कुछ आशाजनक शुरुआती परिणाम हैं.

इस प्रयोग की स्टडी लीडर डॉ. जैकसन ने बताया कि कोरोना वायरस जैसी आपदा से लड़ने के लिए हर मुमकिन प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस परीक्षण के लिए 45 लोगों का चुनाव किया गया है. इन सभी लोगों को अलग-अलग मात्रा में टीका दिया जाएगा. अभी यह देखा जा रहा है कि इस टीके का कोई दुष्प्रभाव तो नहीं है. उन्होंने कहा कि इस वैक्सीन का अध्ययन सभी लोगों पर किया जाएगा.हम किसी के काम आ सकें इससे बड़ी बात क्या होगी
कोरोना वायरस से भले ही दुनियाभर के लोगों में डर का माहौल है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो दुनियाभर के लोगों की जान बचाने की कवायद में जुटे हुए हैं. वैक्सीन टेस्ट में शामिल 43 साल की महिला जेनिफर हैलर ने कहा, हम सब बहुत असहाय महसूस कर रहे हैं. ऐसे में अगर हम किसी के काम आते हैं तो यह हमारा सौभाग्य होगा. इस वैक्सीन को कोड नेम mRNA-1273 दिया गया है.

वैक्सीन टेस्ट के लिए 18 से 55 साल के लोगों का हुआ चयन
इस रिसर्च में 18 से 55 साल के लोगों का चुनाव किया गया है. इन सभी लोगों को वैक्सीन देने के बाद उनके ब्लड सैंपल की जांच की जा रही है. इससे यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि इससे कोई साइड इफेक्ट तो नहीं हो रहा है. दरअसल यह वैक्सीन रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए तैयार की गई है.

 

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