World Heart Day 2020: सीने में दर्द ही नहीं, ये भी हो सकते हैं हार्ट अटैक के संकेत

हर साल 29 सितंबर को पूरी दुनिया में हार्ट डे मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को हृदयरोग के बारे में जागरूक करना है. वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के अनुसार, पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें दिल की बीमारी से ही होती हैं. आइए जानते हैं कि आखिर हार्ट फेल जैसी स्थिति कब आ जाती है और किन लक्षणों पर गौर करने की जरूरत है.

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  • वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के मुताबिक, दुनियाभर में हर 3 में से एक मौत हृदय रोग के कारण हो रही है
  • कोरोना काल में एक्सपर्ट की सलाह, हार्ट डिसीज के लक्षण नजरअंदाज न करें, ये हालत को नाजुक बना सकते हैं

कोरोनाकाल में हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट के मामले 20 फीसदी तक बढ़े हैं। ज्यादातर मरीज हृदय रोगों से जुड़े लक्षण दिखने के बावजूद उसे नजरअंदाज कर रहे हैं। कोरोना के डर से हॉस्पिटल जाने से बच रहे हैं। नतीजा, सर्जरी की नौबत आ रही है। हृदय रोग विशेषज्ञ कहते हैं, कोरोनाकाल में कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो हार्ट के ऑपरेशन्स टाले जा सकते हैं।

स्टेज D

दिल का काम शरीर के सभी अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए ब्लड पंप करना है और जब ये अपना काम करना बंद कर देता है तो हार्ट फेलियर की स्थिति आ जाती है. ये आमतौर पर तब होता है जब दिल इतना मजबूत नहीं रह जाता कि वो फेफड़ों से ऑक्सीजन इकट्ठा कर सके या शरीर में खून को पंप कर सके. हार्ट फेलियर के दौरान कुछ लोगों के दिल में एक फैलाव आ जाता है, जिसे चेस्ट एक्स-रे में देखा जा सकता है. इसकी वजह से कई गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं.

हार्ट फेल के भी कई चरण होते हैं. इनसे ये जाना जा सकता है कि दिल की बीमारी कितनी पुरानी है और इससे सही इलाज में भी मदद मिलती है.
स्टेज A- स्टेज ए में मरीजों को हार्ट फेल होने का ज्यादा खतरा होता है. ऐसे मरीजों को कोरोनरी धमनी रोग, हाइपरटेंशन और डायबिटीज जैसी कुछ दूसरी बीमारियां भी होती हैं.
स्टेज B- इस स्टेज में मरीजों दिल से संबंधित कई बीमारियां होती हैं. कुछ लोगों में वेंट्रिकुलर सिस्टोलिक डिसफंक्शन हो जाता है. वहीं, कुछ लोगों में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं.
स्टेज C- स्टेज सी में, मरीजों को सिस्टोलिक डिसफंक्शन होता है और उन्हें कई तरह के लक्षण महसूस होते हैं. इस स्टेज में हार्ट फेल के शुरूआती लक्षण नजर आने लगते हैं.

स्टेज D- इस स्टेज में मरीजों को मेडिकल थेरेपी के बावजूद डिस्पेनिया और थकान जैसे लक्षण नजर आते हैं. इस स्टेज को हार्ट फेल का अंतिम चरण माना जाता है.

कन्जेस्टिव हार्ट फेलियर क्या है?

कन्जेस्टिव हार्ट फेलियर क्या है- कन्जेस्टिव हार्ट फेलियर अंतिम चरण है जिसमें हृदय की मांसपेशियां खून पंप करने के प्रयास में फेल हो जाती हैं, और इस स्थिति में कोई भी इलाज काम नहीं आता है. दिल की मांसपेशियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि वो खून को पंप नहीं कर पाती हैं और इस स्थिति में हार्ट फेल हो जाता है.

हार्ट फेल के लक्षण- सीने में दर्द के अलावा सांस की तकलीफ सबसे आम है. अगर आपको कुछ सीढ़ियां चढ़ने के बाद सांस लेने में मुश्किल होती है, या फिर बैठे हुए भी परेशानी महसूस होती है तो आपको दिल की ये बीमारी हो सकती है. सांस की दिक्कत होने की वजह से सोने में तकलीफ महसूस करना और ड्राई कफ भी इसके लक्षण हैं.हार्ट फेल की स्थिति जब बढ़ने लगती है तो भूख कम लगने लगती है, बार-बार पेशाब आता है और  दिल बहुत तेजी से धड़कने लगता है, जरूरत से ज्यादा थकान महसूस होने लगती है और शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन होने लगती है.

सर्जरी से बचने के लिए हृदय रोगी ये ध्यान रखें

सर्जरी से बचने के लिए सबसे जरूरी है, हृदय रोगी अपनी दवाएं और ट्रीटमेंट न बंद करें। घर में रहते हुए ही खुद को फिजिकली एक्टिव रखें। भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। बाहर निकलने पर मास्क जरूर लगाएं। घर में कोई बाहरी शख्स आता है तो सीधे उसके सम्पर्क में न आएं।

स्टेज C

3 रिसर्च बताती हैं कि कोरोना के निशाने पर हार्ट भी है
हृदय रोगी पहले से कोरोना के रिस्क जोन में हैं लेकिन रिकवरी के बाद भी इसका असर हार्ट पर बरकरार रहता है। ऐसे समझें…

  • वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट कहती है, कोरोना से रिकवर हो चुके मरीजों के हार्ट पर गहरा असर पड़ा है। संक्रमण के इलाज के बाद इनमें सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द जैसे लक्षण दिख रहे हैं। हार्ट के काम करने की क्षमता पर बुरा असर पड़ रहा है। जो लम्बे समय तक दिखेगा।
  • अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, कोरोना से रिकवर होने वाले 100 में से 78 मरीजों के हार्ट डैमेज हुए और दिल में सूजन दिखी। रिसर्च कहती है, जितना ज्यादा संक्रमण बढ़ेगा भविष्य में उतने ज्यादा बुरे साइड-इफेक्ट का खतरा बढ़ेगा।
  • ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी की रिसर्च के मुताबिक, कोरोना से रिकवर होने वाला हर 7 में से 1 इंसान हार्ट डैमेज से जूझ रहा है। यह सीधेतौर पर उनकी फिटनेस पर असर डाल रहा है।

हार्ट को हेल्दी कैसे रखें, 5 बातों से समझें

खानपान : मोटा अनाज और कम मीठे फल लें
गेहूं की रोटी की जगह बाजरा, ज्वार या रागी अथवा इनका आटा मिलाकर बनाई रोटी खाएं। आम, केला, चीकू जैसे ज्यादा मीठे फल कम खाएं। इनके बजाय पपीता, कीवी, संतरा जैसे कम मीठे फल खाएं। तली और मीठी चीजें जितना कम कर दें, उतना बेहतर है। जितनी भूख से उससे 20 फीसदी कम खाएं और हर 15 दिन में वजन चेक करते रहें।

वर्कआउट : 45 मिनट की एक्सरसाइज या वॉक जरूरी
सप्ताह में पांच दिन 45 मिनट तक कसरत करें। वॉकिंग भी करते हैं तो असर दिखता है। दिल की बीमारियों की एक बड़ी वजह मोटापा है। वजन जितना बढ़ेगा और हृदय रोगों का खतरा उतना ज्यादा रहेगा। फिटनेस को इस स्तर पर लाने का प्रयास करें कि सीधे खड़े होने पर जब आप नीचे नजरें करें तो बेल्ट का बक्कल दिखे। अगर एक से डेढ़ किलोमीटर जाना है तो पैदल जाएं।

लाइफस्टाइल : जल्दी सोने-जल्दी उठने का रुटीन बनाएं, 7 घंटे की नींद जरूरी
रोजाना कम से कम 7 घंटे की नींद जरूर लें। जल्दी सोने और जल्द उठने का रूटीन बनाएं। रात 10 से सुबह 6 बजे तक सोने का आदर्श समय है। इससे शरीर नाइट साइकिल में बेहतर आराम कर सकेगा। तनाव लेने से बचें, इसका सीधा असर मस्तिष्क और हृदय पर होता है।

धूम्रपान-अल्कोहल : इससे जितना दूर रहेंगे, हार्ट उतना हेल्दी रहेगा
धूम्रपान पूरी तरह छोड़ दें। लगातार धूम्रपान करने से उसका धुआं धमनियों की लाइनिंग को कमजोर करता है। इससे धमनियों में वसा के जमा होने की आशंका और भी बढ़ जाती है। इसी तरह अल्कोहल से दूरी बना लेते हैं तो हार्ट हेल्दी रहेगा।

सोशल मीडिया : हार्ट को हेल्दी रखने के लिए अफवाहों से बचना भी जरूरी

डॉ. सुशांत पाटिल कहते हैं, सोशल मीडिया और वॉट्सऐप पर आए मैसेज में कई तरह के दावे किए जाते हैं जो आपकी सेहत को बिगाड़ सकते हैं। हार्ट को लेकर भी कई अफवाह वायरल होती हैं। जैसे- दिन की शुरुआत 4 गिलास पानी से करते हैं तो हृदय रोगों का खतरा नहीं होता। ऐसे मैसेजेस से बचें और कोई भी जानकारी लेने के लिए डॉक्टर पर ही भरोसा करें, वरना ये हालत को सुधारने की बजाय और बिगाड़ सकते हैं।

दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें हृदय रोगों से

दुनियाभर में सबसे ज्यादा मौतें हृदय रोगों से होती हैं। वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के मुताबिक, दुनियाभर में हर 3 में से 1 मौत हृदय रोग से हो रही है। इसके 80 फीसदी मामले मध्य आय वर्ग वाले देशों में सामने आते हैं।

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