नया संकट: ठीक हो चुके दक्षिण कोरिया के 91 लोगों में फिर मिला संक्रमण

अधिकतर देश उम्मीद कर रहे थे कि संक्रमित लोगों का इलाज करने के बाद उनमें इतनी प्रतिरोधक क्षमता आ जाएगी कि वे फिर इसकी चपेट में नहीं आएंगे। दक्षिण कोरिया के इन मामलों ने उन्हें चिंता में डाल दिया है। संकेत मिले हैं कि मरीज के शरीर में यह वायरस पहले अनुमानित से ज्यादा समय बना रह सकता है।

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दक्षिण कोरिया में 91 ऐसे कोरोना वायरस रोगी सामने आए हैं, जिन्हें पहले इस वायरस संक्रमण की चपेट में आने पर इलाज मिल चुका है। इस घटना ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों के सामने कई प्रश्न खड़े कर दिए हैं। इनमें सबसे अहम वायरस संक्रमण रोकने के लिए शरीर द्वारा विकसित की जाने वाली रोग प्रतिरोधक क्षमता पर उपजा संदेह है।

अधिकतर देश उम्मीद कर रहे थे कि संक्रमित लोगों का इलाज करने के बाद उनमें इतनी प्रतिरोधक क्षमता आ जाएगी कि वे फिर इसकी चपेट में नहीं आएंगे। दक्षिण कोरिया के इन मामलों ने उन्हें चिंता में डाल दिया है। संकेत मिले हैं कि मरीज के शरीर में यह वायरस पहले अनुमानित से ज्यादा समय बना रह सकता है।

फिलहाल इस नए ट्रेंड की वजह सामने नहीं आ सकी है। पड़ताल की पूरी रिपोर्ट आने में एक हफ्ता लग सकता है। इससे पहले दक्षिण कोरिया को वायरस संक्रमण बडे़ स्तर पर फैलने से रोकने में सफल माना जा रहा था। फरवरी में यहां एक दिन में 900 मामले तक मिल रहे थे, शुक्रवार को संख्या 27 पर आ गई है। यहां अब तक 7000 लोगों का इलाज हुआ है।

आशंका : वायरस वापस नहीं आया, ‘रिएक्टिवेट’ हुआ
कोरिया रोग नियंत्रण व रोकथाम केंद्र ने इन मामलों से संबंधित शहर दाएगू में टीम भेजी है। यहां देश के करीब आधे मामले मिले थे। फिर संक्रमित हुए कुछ लोगों में वायरस होने का कोई लक्षण नहीं था। कुछ में बुखार और श्वास संबंधित दिक्कतें थीं।

केंद्र के निदेशक जियोंग यून काइयोंग ने अनुमान जताया है कि वायरस इन लोगों में फिर से नहीं आया है, बल्कि रिएक्टिवेट यानी फिर से सक्रिय हुआ है। फॉल्स निगेटिव टेस्ट भी वजह हो सकते हैं, जिनमें मरीजों में वायरस होने के बावजूद उन्हें वायरस मुक्त मान लिया गया।

24 घंटे में लगातार दो टेस्ट में निगेटिव मिले थे
देश के स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता सोन यंग-रे ने सफाई दी है कि किसी भी मरीज को तभी पूरी तरह से ठीक करार दिया जा रहा है, जब 24 घंटे के अंतर पर उसकी दो जांच रिपोर्ट निगेटिव आई हो। यह जांच पॉलीमिरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) प्रकिया से की गई थी।

इसके बावजूद पुराने मामलों में फिर से संक्रमण मिलना संकेत है कि वायरस शरीर में ज्यादा समय तक टिक सकता है। कोरिया विश्वविद्यालय गुरो अस्पताल के संक्रमण रोग विज्ञानी प्रो. वू जो चेताते हैं कि 91 का आंकड़ा शुरुआत भर है, यह और बढ़ेगा।

डब्ल्यूएचओ भी चकराया, जांच में जुटा
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वह ठीक होने के कुछ समय बाद रोगियों में फिर वायरस मिलने का अध्ययन करवा रहा है। संगठन के मुताबिक, यह नया रुझान है, इसे लेकर ज्यादा डाटा की जरूरत है। संगठन ने जांच के दौरान सैंपल लेने की प्रक्रिया में सावधानी बरतने की बात कही।
पहले हफ्ते में ज्यादा लोगों को चपेट में लेता है कोरोना मरीज
हॉन्गकॉन्ग में हुए एक शोध के मुताबिक, संक्रमित मरीज पहले हफ्ते के दौरान दूसरे लोगों को ज्यादा चपेट में ले सकता है। अध्ययन में पता लगाया गया कि यह संक्रमण इतनी तेजी से क्यों फैल रहा है। शोध में 33 से 75 साल के 23 संक्रमितों की लार के सैंपल लिए गए। जांच में पाया गया, मरीजों में संक्रमण के पहले सात दिनाें ‘वायरल लोड’ काफी ज्यादा था, जो धीरे-धीरे कम हो गया।

शोधकर्ताओं ने कहा, पहले हफ्ते मरीज को अस्पताल में भर्ती कराने से पहले संक्रमण दूसरे व्यक्तियों में आसानी से फैल सकता है। हॉन्गकॉन्ग यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर केल्विन तो काई-वांग का कहना है कि कोरोना संक्रमण मरीज में एक माह तक रह सकता है।

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