नया वुहान बनता जा रहा चीन-रूस सीमा पर स्थित सुईफिन शहर, विशेषज्ञ चिंतित
हेलोनजियांग प्रांत के सुईफिने शहर में रूस से आ रहे चीनी नागरिकों में संक्रमण को देखकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ चिंता में पड़ गए हैं।
बीजिंग। चीन के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने विदेश से आ रहे नागरिकों को लेकर चिंता जताते हुए कहा है कि चीन-रूस सीमा पर स्थित सुईफिने शहर नया वुहान बनता जा रहा है। इस शहर में रूस से आए ज्यादातर लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। चीन में विदेश से आए संक्रमितों की संख्या बढ़कर 1500 से ज्यादा हो गई है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने मंगलवार को 57 और ऐसे लोगों की सूची जारी की जो संक्रमित तो हैं, लेकिन उनमें लक्षण नहीं दिखाई दे रहे।
देश में ऐसे मामलों की संख्या 1,023 है। हुबेई प्रांत में कोरोना वायरस से एक व्यक्ति की मौत के बाद देश में कोरोना के चलते जान गंवाने वालों की संख्या 3,342 हो गई। मंगलवार तक देश में संक्रमण के 82,295 मामले सामने आ चुके थे। देश में 77,816 लोग ठीक भी हो चुके हैं। हेलोनजियांग प्रांत के सुईफिने शहर में रूस से आ रहे चीनी नागरिकों में संक्रमण को देखकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ चिंता में पड़ गए हैं। सोमवार को 70 हजार की आबादी वाले सुईफिने शहर में आयातित संक्रमण के सर्वाधिक 79 मामले दर्ज किए गए।
संक्रमित लोगों की संख्या को देखते हुए सुईफिने बंदरगाह को बंद कर दिया गया है। हेलोनजियांग प्रशासन से जुड़े एक शोधकर्ता हाओ जून के मुताबिक सुईफिने बंदरगाह से जो 366 लोग आए, उनमें से ज्यादातर मॉस्को की दो बाजारों में संक्रमित हुए थे। उन्होंने कहा कि रूस से लौटे लोग अपनी यात्रा के दौरान लंबे समय तक एक-दूसरे के संपर्क में रहे, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ा। सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, सुईफिने शहर में प्रवेश करने वाले 1,479 लोगों को क्वारंटाइन में रखा गया है। माना जा रहा है कि इनमें से 15 से 20 फीसद लोग संक्रमित हो सकते हैं।
वुहान में सबसे बड़ा अस्थायी अस्पताल :
चीन में कोरोना संक्रमण के केंद्र वुहान में हालात सुधरने पर बुधवार को महामारी से निपटने के लिए बनाए गए सबसे बड़े अस्थायी अस्पताल को बंद कर दिया गया। यहां काम कर रहे हजारों डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी अपने घर लौट गए हैं। वुहान में कोरोना मरीजों के उपचार के लिए दस दिनों के अंदर 1000 से अधिक बिस्तरों की क्षमता वाले दो अस्पताल बनाए गए थे। इनके अलावा चीन ने मरीजों के इलाज और उन्हें क्वारंटाइन करने के लिए 14 अतिरिक्त अस्थायी स्वास्थ्य केंद्र भी बनाए थे। इन सभी को बंद कर दिया गया है।
परमाणु ऊर्जा परियोजनाएं महामारी से प्रभावित नहीं :
चीन की सरकार ने कहा है कि परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं के निर्माण की प्रगति पर कोरोना महामारी का प्रभाव नहीं पड़ा है। पहले से चल रहे रिएक्टर भी इससे प्रभावित नहीं हुए हैं। पर्यावरण मंत्रालय में परमाणु सुरक्षा निरीक्षण विभाग के निदेशक तांग बो के मुताबिक 15 अधूरे रिएक्टरों में निर्माण कार्य शुरू हो गया है।
चीन ने पूरे विश्व को अंधेरे में रखा
कोरोना महामारी को लेकर चीन ने पूरे विश्व को ही अंधेरे में नहीं रखा बल्कि अपने नागरिकों को भी इसकी सूचना नहीं दी। एक चौंकाने वाली जानकारी में पता चला है कि उसने छह दिनों तक (14 से 19 जनवरी तक) इस बात को छिपाए रखा कि वुहान शहर में एक नए वायरस का पता चला है जो महामारी का सबब बन सकता है। चीन के राष्ट्रपति शी चिर्नंफग ने सातवें दिन यानी 20 जनवरी को लोगों को इस बारे में चेतावनी दी। लेकिन तब तक लाखों लोग चीनी नववर्ष मनाने के लिए विदेश और देश के अन्य शहरों में जा चुके थे।
यही नहीं, इस समय तक देश में 3000 से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके थे। लॉस एंजिलिस में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के महामारी रोग विशेषज्ञ जुओ फेंग झांग ने कहा, अगर चीन ने छह दिन पहले कदम उठाया होता तो आज मरीजों की संख्या काफी कम होती।’चीन सरकार ने सिर्फ वायरस के बारे में ही देर से सूचना नहीं दी बल्कि जिन डॉक्टरों ने दुनिया को इस वायरस के बारे में आगाह करना चाहा उन पर भी सरकार ने भ्रामक जानकारी फैलाने का आरोप लगाकर कार्रवाई की।
शिकागो यूनिवर्सिटी में चीनी राजनीति की प्रोफेसर डॉली यांग ने कहा, वुहान में डॉक्टर डर गए थे। 13 जनवरी को चीन के बाहर थाइलैंड में कोरोना का पहला मामला सामने आया। जिसके बाद चीन ने जनता को कुछ भी बताए बिना राष्ट्रव्यापी योजना की शुरुआत की। चीन सरकार यह कहती रही है कि उसने तुरंत इस महामारी की सूचना विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को दी, लेकिन दस्तावेजं से पता चलता है कि चीन के नेशनल हेल्थ कमीशन के प्रमुख ने 14 जनवरी को प्रांतीय स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ एक गोपनीय टेलीकांफ्रेंस में स्थिति का आकलन किया और इसकी जानकारी राष्ट्रपति चिर्नंफग को दी।