अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौता, ट्रंप की धमकी- कहा कुछ बुरा हुआ तो फिर लौटेंगे

अमेरिका-तालिबान शांति समझौता होने के बाद भारत ने अफगानिस्तान को संदेश भेजा कि वह अफगान नेतृत्व और अफगान नियंत्रण वाली स्थायी और समावेशी शांति का समर्थन करता है.

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दोहा: अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौते ने पूरी दुनिया में हलचल मचा दी क्योंकि इस समझौते को अमेरिका की हार के रूप में देखा जा रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने इस डील होने के बाद तालिबान को एक चेतावनी भी दी है. जिसके मुताबिक ट्रंप तालिबान से हाथ तो मिला रहा है लेकिन तालिबान की जरा सी चूक उस पर बहुत भारी पड़ सकती है.

 

डील के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि वह तालिबान नेताओं से मुलाकात करेंगे. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर कुछ बुरा हुआ तो हम वापस आएंगे. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ”मुझे विश्वास है कि तालिबान सिर्फ समय बर्बाद करने के लिए कुछ नहीं कर रहा है. अगर कुछ बुआ हुआ तो हम वापस आएंगे और ऐसे आएंगे जैसे पहले किसी ने नहीं देखा हो. मुझे उम्मीद है ऐसा नहीं होगा.

 

क्या है अमेरिका और तालिबान में हुई डील?
अमेरिका और तालिबान के बीच हुए शांति समझौते के तहत अमेरिका की प्राथमिकता है अपने सैनिकों को अफगानिस्तान से वापस बुलाना. अफगानिस्तान के वॉर जोन में अभी 13 हजार अमेरिकी सैनिक मौजूद हैं. डील के तहत अमेरिका करीब साढ़े चार हजार अमेरिकी सैनिकों को वापिस बुलाएगा. जिसके बाद अफगानिस्तान में सिर्फ 8 हजार 6 सौ सैनिक ही रह जाएंगे.

 

दोहा के एक आलीशान होटल में तालिबान के वार्ताकार मुल्ला बिरादर ने समझौते पर हस्ताक्षर किए वहीं दूसरी ओर से अमेरिका के वार्ताकार ज़लमय खलीलजाद ने हस्ताक्षर किए. इसके बाद दोनों ने हाथ मिलाए. इस दौरान होटल के कॉन्फ्रेंस कक्ष में लोगों ने ‘अल्लाहू अकबर’ के नारे लगाए. इस समझौते के साथ ही तालिबान और काबुल सरकार के बीच भी बातचीत की उम्मीद जगी है जिससे 18 साल से चल रहे संघर्ष के भी खत्म होने के आसार है.

 

अमेरिकी-तालिबान डील से बढ़ी भारत की चिंता
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत दौरे के दौरान तालिबान के साथ शांति समझौते का जिक्र प्रधानमंत्री मोदी से किया था. जिस पर भारत ने सहमति जताई थी… लेकिन इस डील से हिंदुस्तान की चिंता बढ़ गई है. इस समझौते के बाद भारत की पहली चिंता भारत के विदेशी सहायता कार्यक्रम को लेकर है. जिसका बड़ा हिस्सा अफगानिस्तान है. दूसरी चिंता पाकिस्तान को लेकर है क्योंकि पाकिस्तान तालिबानी आतंकियों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ कर सकता है.

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