चाय, बिस्किट और नमकीन मिनटों में बढ़ाए ब्लड शुगर:डायबिटीज फ्रेंडली बिस्किट में भी शुगर; मखाना और भुना चना सबसे बेहतर
चाय-बिस्किट, नमकीन। सुबह के नाश्ते में कुछ मिले या न मिले लोग इसे लेना जरूर पसंद करते हैं। वैसे भी कहते हैं कि सुबह खाली पेट चाय पीने से एसिडिटी होती है, इसलिए चाय के साथ कुछ जरूर लें। चाहे वो बिस्किट हो या नमकीन। गर्म चाय की प्याली में भिगोई बिस्किट मुंह में जाते ही घुल जाती है, लेकिन इसमें मौजूद शुगर आपके ब्लड ग्लूकोज लेवल को बढ़ा देती है।
दिलचस्प यह है कि डायबिटीज के मरीज शुगर फ्री बिस्किट खाकर निश्चिंत रहते हैं कि उनका ब्लड शुगर नहीं बढ़ेगा। हकीकत में यह सही नहीं है। चाय में बिस्किट डुबोकर खाने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ता है।
जानते हैं किन चीजों के खाने से ब्लड शुगर बढ़ रहा और कैसे एहतियात बरतने की जरूरत है।
शुगर फ्री से ब्लड ग्लूकोज लेवल बढ़ता है
पीजीआई चंडीगढ़ के एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. संजय भडाडा बताते हैं कि बिस्किट को मीठा बनाने के लिए अगर फ्री शुगर का इस्तेमाल किया जाता है तो भी इससे ब्लड ग्लूकोज लेवल बढ़ता है।
डायबिटीज फ्रेंडली या शुगर फ्री बिस्किट के इन्ग्रेडिएंट्स क्या हैं, कितनी मात्रा में इसे यूज किया जा रहा है, इसी के आधार पर ब्लड ग्लूकोज बढ़ता है।
जरूरी ये है कि बिस्किट के पैकेट पर लिखे लेबल को ध्यान से पढ़ें और इसी के अनुसार अपनी डाइट में शामिल करें।
कम फैट वाले स्नैक्स में होती है शुगर
आप उन बिस्किट और स्नैक्स को खाना चाहते हैं जिन पर ‘नो एडेड शुगर्स’, ‘नो एडेड फ्लेवर्स’, ‘नो एडेड प्रिजर्वेटिव्स’ लिखे रहते हैं। लेकिन वास्तव में इनमें शुगर छुपी रहती है। जैसे ‘कॉर्न स्टार्च’ भी एक तरह की शुगर है जिससे सेहत को नुकसान होता है।
पीजीआई चंडीगढ़ के कम्यूनिटी हेल्थ के प्रोफेसर डॉ. विवेक गोयल बताते हैं कि बिस्किट या स्नैक्स के रैपर पर लेबल में कोई इंग्रेडिएंट ‘ose’ होता है तो यह शुगर है।
जैसे डेक्स्ट्रोज, लैक्टोज, फ्रक्टोज, ग्लूकोज।
खाने-पीने की कई ऐसी चीजें हैं जिनमें फैट तो कम होती है लेकिन उनमें शुगर छुपी होती है ताकि टेस्ट बढ़ाया जा सके।
आर्टिफिशियल स्वीटनर का भी इस्तेमाल होता है
शुगर फ्री बिस्किट में भी आर्टिफिशियल स्वीटनर होता है। डाइटिशियन डॉ. विजयश्री प्रसाद बताती हैं कि आर्टिफिशियल स्वीटनर दो तरह की होते हैं एक कैलोरी वाला और दूसरा जिनमें कैलोरी नहीं होती। अधिकतर लोग यही समझते हैं कि शुगर फ्री मिठाई या शुगर फ्री बिस्किट उनके लिए सेफ है।
जबकि अधिकतर शुगर फ्री मिठाइयों और बिस्किट्स में ऐसे स्वीटनर यूज किए जाते हैं जिनसे कैलोरी बढ़ती है। इनमें अलग से फैट भी जोड़ा जाता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने कहा है कि एस्पॉर्टम और स्टीविया जैसी नॉन शुगर स्वीटनर्स से वजन नहीं घटता और टाइप-2 डायबिटीज और दिल की बीमारियों का खतरा रहता है। आर्टिफिशियल स्वीटनर्स से मेटाबॉलिज्म में गड़बड़ी होती है।
बिस्किट में मैदा, ब्लड ग्लूकोज लेवल बढ़ेगा
डॉ. संजय भडाडा ने बताया कि ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए डाइट फाइबर और कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट्स से भरपूर होनी चाहिए।
किसी भी तरह की बिस्किट (शुगर फ्री ही क्यों न हो) मैदे से ही बनती है। इसमें फाइबर नहीं होता। इसके कारण कब्ज होता है। नतीजा ब्लड ग्लूकोज लेवल बढ़ता है।
दरअसल, बाजार में मिल रहे रेडीमेड फूड या प्रोसेस्ड फूड में मैदा की मात्रा अधिक होती है जो सेहत को खराब करती है।
डॉ. गोयल बताते हैं कि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) फ्रंट ऑफ पैकेजिंग लेबलिंग की बात कर रहा है। इसके लागू होने से खाने-पीने के पैकेट पर फ्रंट में ही लिखा रहेगा कि इसमें कितनी शुगर है या कितना फैट मिलाया गया है।
डायबिटीज मरीजों को क्यों किसी तरह का बिस्किट नहीं खाना चाहिए
बिस्किट में बहुत अधिक कैलोरी होती है। एक सामान्य बिस्किट खाने से 40 कैलोरी मिलती है जबकि क्रीम बिस्किट में 120 से 160 कैलोरी।
बिस्किट में कई तरह के प्रिजर्वेटिव्स, एमलस्फिायर, कलर मिलाए जाते हैं। डॉ. गोयल बताते हैं कि हाई शुगर, हाई फैट और हाई सॉल्ट, ये तीनों बेहद खतरनाक हैं।
बिस्किट में सॉल्ट और शुगर की मात्रा अधिक होती है। नमक अधिक होने से ब्लोटिंग, शरीर में सूजन, ब्लड प्रेशर बढ़ना, वजन बढ़ना जैसी शिकायतें होती हैं। कुकीज में ट्रांस फैट होते हैं जो सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं।
मखाना और भुना हुआ चना खाएं, स्वस्थ रहेंगे
डायबिटीज के मरीज ही नहीं, सामान्य लोगों को भी संतुलित भोजन करना चाहिए। यानी 50-60 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 20-30 प्रतिशत प्रोटीन और 20-30 प्रतिशत ही फैट होना चाहिए।
वैसा खाना लें जिसमें प्रोटीन, फैट, मिनरल्स, विटामिंस हों और उन्हें संतुलित मात्रा में लिया जाए। प्रोटीन के लिए दालें लेनी चाहिए। कार्बोहाइड्रेट के लिए अनाज, मिनरल्स और विटामिंस के लिए फल।
मखाना और भुना चना किसी भी रेडीमेड स्नैक्स से बेहतर है। इनमें किसी तरह का ऑयल नहीं होता। न ही इनमें कोई प्रिजर्वेटिव और फ्लेवर मिलाया जाता है। इसी तरह अलसी, तिल के बीज को भूनकर खाया जा सकता है।