पंजाब से नशा खत्म करने के लिए इच्छाशक्ति की आवश्यकता
लुधियाना में भी ढाई किलोग्राम हेरोइन पकड़ी गई और मोगा में साढ़े तीन किलो अफीम के साथ पति-पत्नी गिरफ्तार किए गए। इन घटनाओं से यह स्पष्ट हो जाता है कि पुलिस नशे की सप्लाई लाइन अभी तक ब्रेक नहीं कर पाई है। आए दिन पाकिस्तान की ओर से भारतीय सीमा में प्रवेश करने वाले ड्रोन सुरक्षा बलों के लिए नई चुनौती बन गए हैं। पाकिस्तान में बैठे तस्कर ड्रोन के माध्यम से प्रदेश में हेरोइन व हथियार भेज रहे हैं। राजनीतिक हस्तक्षेप की बात पूर्व डीजीपी ने भी स्वीकार की थी। नई सरकार नशे की समस्या को उच्च प्राथमिकता में लेते हुए यदि इच्छाशक्ति दिखाती है तो निश्चित रूप से इसके बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे।
ओपीएड। निर्भरता के आधार पर पंजाब में नशीले पदार्थों की समस्या की हद का आकलन तर्कसंगत है क्योंकि इससे कि पता चलता है कि बाज़ार में किसकी खपत सबसे अधिक है, हालांकि पिछली रिपोर्ट 12 वर्ष पुरानी है, जिसे अब भी व्यापक रूप से उद्धृत किया जाता है।
ड्रग्स एवं क्राईम पर संयुक्त राष्ट्र की यह रिपोर्ट कहती है कि भारत में पंजाब में 56 फीसदी अफीम उपयोगकर्ता हैं, जो कि देश में सबसे अधिक हैं। 11 फीसदी के साथ राजस्थान दूसरे एवं 6 फीसदी के साथ हरियाणा तीसरे स्थान पर है। तीनों राज्यों में केवल पंजाब में प्रोपोक्सीफीन के दुरुपयोग की रिपोर्ट दर्ज की गई थी। यह एक मादक नशा है जो दर्द से निजाद के लिए एक इंजेक्शन के रूप में उपयोग किया जाता है। देश भर में 203 भाग लेने वाले केन्द्रों से नशीली दवाओं के सेवन की निगरानी प्रणाली के आंकड़ों के आधार पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार इसका इस्तेमाल करने वाले दूसरे राज्य नागालैंड और मिजोरम हैं। सिंथेटिक नशा का सेवन, 70 फीसदी नशा करने वाले लोगों द्वारा किया जाता है, इसके बाद ओपीएड के संयोजन और मोरफिन सहित और अन्य सीडेटिव का उपयोग होता है।
लेखक-नितिन सिंगला,बठिंडा