कोरोना से लड़ने के लिए जितना पैसा सरकार के पास है, वो एक राज्य के लिए भी काफी नहीं

सवाल यह भी है कि सरकार पैसा लाएं कहां से? सरकार का खज़ाना खाली है. कोरोना वायरस के हालात को देखते हुए सरकार के पास मामूली इमरजेंसी फंड हैं. आरबीआई को पहले ही निचोड़ लिया गया है. जिन सरकारी कंपनियों के पास पैसा था उन पर कर्ज़ा हो चुका है. एनपीए यानी डूबे हुए लोन की मार झेल रहे सरकारी बैंक अब इस हालत में नहीं है कि एक और झटका सहन कर सकें. साथ ही अर्थव्यवस्था गहरी मंदी से जूझ रही है.

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नई दिल्ली। कोरोना वायरस के मामले भारत में तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसे में सरकार ने भी सुरक्षा के लिए तेजी से कदम उठाने शुरू किए हैं. इसके तहत कोरोना प्रभावित 75 जिलों को पूरी तरह से बंद यानी लॉकडाउन कर दिया गया है. राजस्थान, पंजाब और दिल्ली सहित कई राज्य पूरी तरह से बंद हैं. आर्थिक गतिविधियां लगभग बंद हैं. ऐसे में मंदी से जूझ रही भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत और बिगड़ने का अंदेशा है. साथ ही कोरोना वायरस से लड़ने को लेकर भारत सरकार की आर्थिक रणनीति पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

पीएम नरेंद्र मोदी ने 19 मार्च को कोरोना वायरस को लेकर इकनॉमिक रिस्पॉन्स टास्क फोर्स बनाने का ऐलान किया था. इसमें उन्होंने कहा था कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नेतृत्व में राहत पैकेज पर फैसला किया जाएगा. लेकिन वित्त मंत्री ने अभी तक टास्क फोर्स के सदस्यों के नाम नहीं बताए हैं.

खबरों के अनुसार, दुनियाभर में करीब सात ट्रिलियन डॉलर यानी भारत की जीडीपी की लगभग ढाई गुनी रकम कोरोना से लड़ने के लिए जारी की गई है. भारत की जीडीपी अभी 2.94 ट्रिलियन डॉलर की है. दुनिया के कई देशों ने तो अपनी जीडीपी की एक प्रतिशत रकम कोरोना का सामना करने के लिए खर्च करने का फैसला किया है.

दुनिया के देशों की ओर से कोरोना से लड़ने को जारी रकम-
  • अमेरिका- 1600 अरब डॉलर
  • जर्मनी- 610 अरब डॉलर
  • ब्रिटेन- 442 अरब डॉलर
  • फ्रांस- 335 अरब डॉलर
  • स्पेन- 220 अरब डॉलर
  • ऑस्ट्रेलिया- 189 अरब डॉलर
  • स्वीडन- 77.3 अरब डॉलर
  • कनाडा- 57.26 अरब डॉलर

एक डॉलर की कीमत भारत में अभी 75.90 रुपये है. अगर हम एक डॉलर के लिए 74 रुपये का मानक तय करें तो अमेरिका ने लगभग 12 लाख करोड़ रुपए कोरोना से लड़ने के लिए दिए हैं.

भारत के पास अभी केवल 3800 करोड़ रुपये

Business Today के एडिटर राजीव दुबे के अनुसार, भारत के पास इमरजेंसी या आपदा राहत के लिए काफी कम रकम है. प्रधानमंत्री राहत कोष में 3800 करोड़ रुपये हैं. यह रकम ऊंट के मुंह में जीरे जैसी है. सरकार राज्य आपदा राहत कोष (SDRF) या राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (NDRF) से पैसे ले सकती थी. SDRF में 20,000 करोड़ और NDRF में 25,000 करोड़ रुपये का प्रावधान होता है. लेकिन पिछले कुछ वक्त में आई आपदाओं के चलते इनके फंड भी खर्च हो गए. उदाहरण के तौर पर 2013 में उत्तराखंड में आई बाढ़ के बाद जो निर्माण कार्य हुआ उसका खर्च अभी भी राहत कोष से दिया जा रहा है. साथ ही NDRF के तहत महामारी नहीं आती है. यह प्राकृतिक आपदाएं जैसे बाढ़, भूंकप, अकाल, सूनामी, चक्रवात को ही कवर करता है.

हालात बिगड़े तो…

राजीव दुबे के अनुसार, कोरोना वायरस का सामना करने के लिए बड़ी रकम की जरूरत होगी. देश में कोरोना वायरस के मामले बढ़ने पर अस्पतालों, मास्क, बिस्तरों, मेडिकल सामान, ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग बढ़ेगी. इसके अलावा समाज के निचले तबके को रोजमर्रा की जरूरतों का सामान मुहैया कराने के लिए भी पैसा चाहिए होगा. भारत सरकार ने इस वित्तीय वर्ष के लिए आपदा प्रबंधन में केवल 482 करोड़ रुपये दिए हैं. ऐसे में सरकार के पास अभी पीएम आपदा कोष और आपदा प्रबंधन का मिलाकर 563  मिलियन डॉलर यानी करीब 4300 करोड़ रुपये हैं. इस रकम से तो एक राज्य में भी कोरोना वायरस का सामना करना आसान नहीं होगा.

सवाल यह भी है कि सरकार पैसा लाएं कहां से? सरकार का खज़ाना खाली है. कोरोना वायरस के हालात को देखते हुए सरकार के पास मामूली इमरजेंसी फंड हैं. आरबीआई को पहले ही निचोड़ लिया गया है. जिन सरकारी कंपनियों के पास पैसा था उन पर कर्ज़ा हो चुका है. एनपीए यानी डूबे हुए लोन की मार झेल रहे सरकारी बैंक अब इस हालत में नहीं है कि एक और झटका सहन कर सकें. साथ ही अर्थव्यवस्था गहरी मंदी से जूझ रही है.

सरकार कहां से दे सकती है पैसा

– इस साल के बजट में केंद्र सरकार ने निर्माण के लिए तीन लाख करोड़ रुपये आवंटित किये हैं. सरकार निर्माण कार्यों पर रोक लगाते हुए यहां से पैसे ले सकती है.
– सरकार ने डिफेंस के लिए बजट में 4.30 लाख करोड़ रुपये दिए हैं. यहां से भी कुछ पैसे निकालने का विकल्प होगा.
– खेती के लिए सरकार ने 1.39 लाख करोड़ और उपभोक्ता मामलों के लिए 1.95 लाख करोड़ रुपये दिए हैं. यहां से पैसे लेना सरकार को नया सिरदर्द दे सकता है. ये दोनों क्षेत्र पहले ही मुश्किल से गूजर रहे हैं.
– सरकार के पास दो लाख करोड़ रुपये उधार लेने का भी ऑप्शन है. लेकिन इससे देश में महंगाई बढ़ने, कर्ज़ में इज़ाफा होने और आने वाले समय में टैक्स बढ़ने का खतरा होगा.
– सरकार कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जनता पर सैस का भार डाल सकती है. 2010-11 में भी ऐसा किया गया था. उस समय नेशनल कलैमिटी कंटींजेंसी ड्यूटी लगाई गई थी. इससे ही NDRF में पैसा आता है.

भारत में देश के 23 राज्यों में कोरोना वायरस पैर पसार चुका है. हेल्थ मिनिस्ट्री के अनुसार, 23 मार्च तक तक कोरोना वायरस के 415 मामले सामने आ चुके हैं. सात लोगों की मौत हो चुकी है.

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