Bathinda-थेलेसीमिया पीड़ित बच्चों को रक्त चढ़ाने के मामले में विजिलेंस ने शुरू की जांच, अस्पताल प्रबंधकों से तलब किया रिकार्ड

-सामाजिक व धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने सिविल सर्जन को मिलकर एसोसिएशन पर दर्ज केस वापिस लेने की रखी मांग -डाक्टर एसोसिएशन ने कहा-राजनीतिक दलों के खिलाफ दी शिकायत नहीं होगी वापिस

बठिंडा. सिविल अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में चार थेलेसीमिया पीड़ित बच्चों सहित एक महिला को संक्रमित रक्त चढ़ाने के मामले की विजिलेंस जांच शुरू हो गई है। इसमें विजिलेंस विभाग ने सिविल अस्पताल प्रबंधन ने ब्लड बैंक का रिकार्ड तलब किया है वही इसमें अब तक की गई जांच रिपोर्ट भी जमा करवाने के लिए कहा गया है। राज्य सेहत विभाग की सिफारिश पर राज्य विजिलेंस विभाग ने मामले की जांच शुरू की है। इस जांच में राज्य बाल सुरक्षा आयोग की तरफ से सेहत विभाग की तरफ से की गई जांच रिपोर्ट में उठाए सवालों की तलाश होगी जिसमें पूर्व बीटीओ बलदेव सिंह रोमाणा की तरफ से 600 ब्लड टेस्ट कीटे जो बाहर से मंगवाकर रिकार्ड में रखी गई थी की भी जांच होगी।

ब्लड बैंक बठिंडा में पिछले पांच साल के रिकार्ड को देखने व इसमें किसी तरह की अनियमियतता की जांच के लिए भी कहा

इसमें पता लगाया जाएगा कि उक्त कीट कहां से लाई गई थी व सेहत विभाग के पास जो स्टाक था वह कहां गया। इसमें किसी बड़े घपले की आशंका से भी पर्दा हटाया जाएगा। फिलहाल विजिलेंस विभाग को ब्लड बैंक बठिंडा में पिछले पांच साल के रिकार्ड को देखने व इसमें किसी तरह की अनियमियतता की जांच के लिए भी कहा है। सिविल अस्पताल प्रबंधन पर कुछ दिनों से मामले को दबाने व असल आरोपियों को बचाने के आरोप भी लगते रहे हैं। फिलहाल विजिलेंस इसमें असल दोषियों का भी पता लगाएंगी। पंजाब राज्य बाल अधिकार कमिशन ने गत 27 नवंबर को जारी पड़तालियां रिपोर्ट में सिविल अस्पताल अधिकारियों को ब्लड बैंक में घपला कर कीट बाहर भेजने के मामले की 20 दिनों में पता लगाकर उनके खिलाफ कानूनी कारर्वाई की हिदायत दी है। अब विजिलेंस पर भी दवाब है कि वह आयोग की हिदायतों के अनुसार पूरे मामले में 17 दिसंबर से पहले अपनी रिपोर्ट तैयार कर दोषियों का पता लगाकर उनके खिलाफ कानूनी कारर्वाई शुरू करे।

राजनीतिक व सामाजिक संस्थाओं के साथ धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने फायर ब्रिग्रेड चौक में धरना दिया

इसी तरह शनिवार को सिविल अस्पताल में आयोग की रिपोर्ट व विजिलेंस की जांच के बाद हड़कंप का माहौल रहा। इसमें शहर की प्रमुख राजनीतिक व सामाजिक संस्थाओं के साथ धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने फायर ब्रिग्रेड चौक में धरना दिया व सरकार के साथ सेहत विभाग के अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी की। इसके बाद संस्थाओं का प्रतिनिधिमंडल सिविल सर्जन बठिंडा अमरिंक सिंह सिद्धू से मिलने गया। इस दौरान संस्थाओं ने थेलेसीमिया पीड़ित एसोसिएशन के पदाधिकारियों पर दर्ज करवाएं केस पर कड़ा प्रतिक्रम जताया। उन्होंने उक्त केस को रद्द करने की मांग रखी वही थेलेसीमिया पीड़ित बच्चों व महिला को एचआईवी रक्त चढ़ाने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कानूनी कारर्वाई करने के लिए कहा। शहर के राजनीतिक संगठन जिसमें भाजयुमों के जिला प्रधान संंदीप अग्रवाल, भाजपा के प्रदेश सचिव सुखपाल सिंह सरां, प्रदेश मीडिया सह प्रभारी सुनील सिंगला, नौजवान वेलफेयर सोसायटी के प्रधान सोनू महेश्वरी, सहारा जन सेवा के सुप्रीमों विजय गोयल, आसरा वैलफेयर सोसायटी के रमेश मेहता, शिरोमणि अकाली दल के पूर्व विधायक सरुपचंद सिंगला, पेरेट्स एसोसिएशन के गुरविंदर पाल शर्मा सहित प्रमुख सामाजिक संस्था के प्रतिनिधियों व थेलेसीमिया पीड़ित परिवार एसोसिएशन के पदाधाकिरी शामिल रहे।

इस दौरान डाक्टरों की एसोसिएशन ने भी सिविल सर्जन से बैठक की। इस दौरान डाक्टरों का कहना था कि वह सामाजिक व धार्मिक संगठनों के साथ बात करने के लिए तैयार है लेकिन इस दौरान राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि बैठक में हाजिर नहीं रहेंगे। वही डाक्टरों ने सहमती दी कि थेलेसीमिया एसोसिशन के पदाधिकारियों के खिलाफ दी गई शिकायत को वह वापिस ले लेंगे पर राजनीतिक दलों खासकर आम आदमी पार्टी के प्रतिनिधियों के खिलाफ दर्ज शिकायत वापिस नहीं लेंगे।

सिविल अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में पांच लोगों को संक्रमित खून चढ़ाया जा चुका

गौरतलब है कि पिछले 55 दिनों से बठिंडा के सिविल अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में पांच लोगों को संक्रमित खून चढ़ाया जा चुका है इसमें सबसे चिंताजनक व अमानवीय पहलू यह है कि एचआईवी पोजटिव रक्त चार थेलेसीमिया पीड़ित बच्चों को चढ़ा दिया गया। इसके बाद मामले की जांच स्टेट कमेटी के साथ एड्स कंट्रोल सोसायटी के पदाधिकारियों की तरफ से की गई थी। इसमें अक्तूबर माह में सिविल अस्पताल में तैनात तीन कर्मियों को निलंबित कर दिया गया था व उनके खिलाफ पुलिस के पास आपराधिक मामला दर्ज करने की सिफारिश की गई। इसमें एक कर्मी बलदेव सिह रोमाणा को गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन अन्य दो लोगों के खिलाफ जांच चल रही है वही 7 नवंबर को घटित अन्य घटना में चार लैब टैक्निशियनों के खिलाफ कारर्वाई की सिफारिश की गई। फिलहाल सेहत विभाग की उक्त कारर्वाई पर पंजाब राज्य बाल अदिकार कमिशन ने सवाल खड़े करते जांच के कई पहलुओं पर फिर से जांच करवाने की हिदायत दी है।

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