गुजरात को लेकर उत्‍तराखंड में छिड़ी सियासी जंग, जाने क्‍या है पूरी बात

लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान गुजरात (Gujarat) मूल के नागरिकों को उत्‍तराखंड (Uttarakhand) से भेजने के मुद्दे पर बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) के बीच वाद विवाद का दौर जारी है.

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देहरादून. उत्तराखंड (Uttarakhand) और गुजरात (Gujarat) राज्य का कोई सीधा लेना-देना नहीं है. गुजरात से ना तो उत्तराखंड की सीमाएं लगती हैं और ना ही गुजरात के साथ कोई ट्रेड होता है. बावजूद इसके, गुजरात को लेकर इन दिनों उत्‍तरांखड की सरकार विपक्षी पार्टियों के निशाने पर बनी हुई है. दरअसल, पूरा विवाद लॉकडाउन लागू होने के बाद गुजरात मूल के नागरिकों को उत्‍तराखंड से उनके घर तक पहुंचाने को लेकर है.

विपक्षी दलों का आरोप है कि 23 मार्च को केंद्र सरकार ने लॉकडाउन घोषित कर दिया था. अचानक लागू हुए लॉकडाउन के चलते 50 से अधिक गुजरात मूल के नागरिक उत्‍तराखंड में फंस गए थे. 25 मार्च को गुजरात मूल के इन नागरिकों को स्‍पेशल बसों के जरिए उत्‍तराखंड से गुजरात के लिए रवाना किया गया. बस, इसी बात को लेकर विपक्षी दल कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया.

कांग्रेस ने पूछा, क्‍या गुजरात कोई विशिष्‍ट राज्‍य है..
कांग्रेस का आरोप है कि अगर उत्‍तराखंड से कोई बस गुजरात यात्रियों को छोड़ने जा सकती है, तो फिर दूसरे राज्यों में फंसे उत्तराखंड के लोग वापस क्यों नहीं आ सकते हैं. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि गुजरात क्या कोई अतिविशिष्ट राज्य है. प्रीतम सिंह का कहना है कि कि दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तरप्रदेश में उत्तराखंड के तमाम लोग फंसे हैं. सरकार को ऐसे परेशान लोगों को निकालने की व्यवस्था करनी चाहिए.

बीजेपी की नसीहत, राजनीति ना करे कांग्रेस
बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस को ऐसे वक्त पर राजनीति नहीं करनी चाहिए. सरकार के प्रोटोकॉल मंत्री धन सिंह रावत का कहना है कि जो भी लोग दूसरे राज्यों में फंसे हैं, उन्हें भारत सरकार की गाइडलाइंस के मुताबिक निकाला जाएगा. लेकिन, जबतक लॉक डाउन है, उसका पालन करना होगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार, अपने नागरिकों की सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर दूसरे राज्यों की सरकारों और शासन के संपर्क में है. कांग्रेस को इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।

क्या है गुजरात वाली बस का विवाद ?
बता दें कि फर्स्ट फेज के लॉकडाउन की शुरुआत में उत्तराखंड परिवहन की बस करीब 50 लोगों को लेकर गुजरात छोड़ने गई थी. उसी बस में करीब 50 उत्तराखंड के निवासी भी वापसी में सवार हुए थे. लेकिन, हरियाणा बॉर्डर पर वहां की पुलिस ने बस को रोक लिया और कोरोना के खतरे को देखते हुए बस रोक दी गई. फिर यात्रियों को राजस्थान के अलवर भेज दिया गया, जहां उन्हें क्वारीनटीन सेंटर में ऱखा गया. खाली बस वापस उत्तराखंड आ गई और तब से वो यात्री अलवर में हैं. यही वजह है कि गुजरात की बस का मुद्दा उत्तराखंड में राजनीति का मुद्दा बना हुआ है.

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