ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को उम्मीद : अयोध्या मामले का फैसला मुसलमानों के हक में आयेगा
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने आज हुई अपनी एग्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक के बाद एक बयान में कहा है कि मस्जिद की जमीन की नवायत यानी भू-उपयोग बदला नहीं जा सकता.
लखनऊ: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने आज हुई अपनी एग्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक के बाद एक बयान में कहा है कि मस्जिद की जमीन की नवायत यानी भू-उपयोग बदला नहीं जा सकता. ना ही वह किसी को ट्रांसफर की जा सकती है. चूंकि शरियत इसकी इजाजत नहीं देती इसलिए कोई मुसलमान इस पर अपना दावा नहीं छोड़ सकता. यह एक ऐतिहासिक सच है कि बाबरी मस्जिद किसी मंदिर को तोड़ कर नहीं बनाई गई है.
बाबरी मस्जिद के मुद्दे पर मध्यस्थता की कई कोशिशें हुई और पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसमें ये सोच कर के शिरकत की कि शायद न्याय पर आधारित कोई हल निकल आए. लेकिन तमाम कोशिशों के बाद अब ये साफ हो गया है कि अब किसी तरह की मध्यस्थता या समझौते की कोई गुंजाइश नहीं है.
मुस्लिम बुद्धिजीवियों की मांग, अयोध्या में विवादित जमीन राम मंदिर के लिए दे दी जाए
संस्था ‘इंडियन मुस्लिम्स फॉर पीस’ के बैनर तले देश के तमाम मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने लखनऊ में एक सम्मेलन आयोजित किया. इस सम्मेलन में मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने मांग की कि अयोध्या (Ayodhya) में विवादित जमीन भगवान राम का मंदिर बनाने के लिए दे दी जाए. इससे देश में सद्भावना का माहौल बनेगा. दूसरों के जज़्बात का ख़याल रखने पर ही वे आपके जज़्बात का ख़याल रखेंगे. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या केस की सुनवाई चल रही है. सुनवाई 17 अक्टूबर तक होगी और नवंबर में इस मामले में फैसला आएगा. इससे पहले मुस्लिम बुद्धिजीवियों की यह पहल काफी अहमियत रखती है.
इस सम्मेलन में मशहूर अभिनेता नसीरुद्दीन शाह के बड़े भाई लेफ्टिनेंट जनरल जमीरुद्दीन शाह, मशहूर कार्डियोलाजिस्ट पद्मश्री डॉ मंसूर हसन, ब्रिगेडियर अहमद अली, पूर्व आईएएस अनीस अंसारी, रिज़वी, पूर्व आईपीएस पूर्व जज बीडी नकवी, डॉ कौसर उस्मान समेत बड़े पैमाने पर मुस्लिम बुद्धिजीवी शामिल हुए.
लेफ्टिनेंट जनरल जमीरुद्दीन शाह ने NDTV से कहा कि ‘अदालत से बाहर बैठक कर विवादित जमीन मंदिर बनाने के लिए हिंदुओं को दे देना चाहिए. और अगर मुसलमानों को अदालत से वह जमीन मस्जिद के लिए मिल भी जाए तो भी उसे हिंदुओं को गिफ्ट कर देनी चाहिए.’
ब्रिगेडियर अहमद अली ने NDTV से कहा कि ‘मुल्क में बेहतर माहौल बनाने के लिए मुसलमानों को इतनी कुर्बानी जरूर देनी चाहिए क्योंकि आम हिंदू की आस्था है कि उसी जगह पर भगवान राम का जन्म हुआ था. जब आप दूसरों के जज़्बात का ख़याल रखेंगे तभी वे आपके जज़्बात का ख़याल रखेंगे.’
मस्जिद पक्ष के वरिष्ठ वकील राजीव धवन और उनकी टीम ने इस मुद्दे पर बहुत अच्छी बहस की है. ऐसे में बोर्ड को उम्मीद है कि फैसला मस्जिद के हक में आएगा. लेकिन यहां यह साफ कर देना भी जरूरी है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस मुकदमे में पार्टी नहीं है. इसलिए उसके बयान की कोई कानूनी अहमियत नहीं है.
राजनीति से ऊपर है राम मंदिर का मुद्दा, इसके लिए विशेष कानून बने : उद्धव ठाकरे
बैठक में शामिल एक सदस्य ने बताया कि बोर्ड ने अयोध्या प्रकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई पर संतोष जाहिर करते हुए अपने वकीलों के काम को सराहा और कहा कि मुस्लिम पक्ष के पास मजबूत दलीलें हैं और इस बात का यकीन है कि मामले का फैसला मुसलमानों के पक्ष में आयेगा. उन्होंने बताया कि बैठक में तय किया गया कि बोर्ड समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर अपने पुराने रुख पर कायम है. यह संहिता हिन्दुस्तान के लिये फायदेमंद नहीं है और न ही जमीनी स्तर पर उसे लागू किया जा सकता है.