कोरोना ठीक करने वाली गोली हुई लॉन्च, 5 दिन का होगा कोर्स; जानिए कितने रुपए में और कैसे खरीद सकते हैं आप

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नई दिल्ली । देश में कोरोना का संक्रमण एक बार फिर बढ़ता जा रहा है। पिछले 1 महीने में ओमिक्रॉन के 1700 से ज्यादा मरीजों की पुष्टि हुई है। ऐसे में ज्यादातर लोगों के मन में एक ही सवाल है कि क्या कोविड-19 की कोई दवा नहीं है? अगर है तो, ये आम जनता तक कैसे पहुंचेगी? क्या इसका कोई साइड इफेक्ट है? ऐसी दवा की बिक्री कब और कहां होगी? आपके इन सभी सवालों का हम जवाब देंगे।

कोविड-19 के इलाज में उपयोग की जाने वाली एंटीवायरल गोली मोलनुपिरावीर को भारत में आपातकालीन मंजूरी मिलने के बाद सोमवार को लॉन्च कर दिया गया है। मोलनुपिरावीर के अलावा कोवोवैक्स और कॉर्बेवैक्स को भी केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने मंजूदी दी है।

क्या है एंटीवायरल गोली मोलनुपिरावीर?
मोलनुपिरावीर का इस्तेमाल कोविड-19 से संक्रमित मरीजों के इलाज में किया जाता है। ये एक पुनर्निर्माण दवा है, जिसे गोली का आकार दिया गया है। मरीज इसे आसानी से ले सकते है। ये गोली वायरस को शरीर में फैलने से रोकती है और जल्दी रिकवर होने में मदद करती है।

संक्रमित मरीज को 12 घंटे के अंदर इसकी 4 गोलियां लेनी होंगी। इलाज के दौरान मोलनुपिरावीर की गोलियों का 5 दिनों तक कोर्स लेना जरुरी है।

यह दवा कितने रुपए में मिलेगी?
सोमवार को पूरे 5 दिन के कोर्स के साथ मोलनुपिरावीर को 1399 रु. में लॉन्च किया गया। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मैनकाइंड फार्मा के चेयरमैन आरसी जूनेजा ने बताया कि, ये दवा अब तक की सबसे सस्ती एंटीवायरल दवा है, जिसकी एक गोली 35 रुपए की मिलेगी और 5 दिन का कोर्स 1399 रुपए में मिलेगा।

मोलनुपिरावीर नाम की यह दवा कहां से खरीद सकते हैं?
माना जा रहा है कि मोलनुपिरावीर की गोलियां बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाएंगी। दरअसल, मेडिकल स्टोर्स पर इसे बेचने की सिफारिश की गई है, लेकिन दुकानदारों को कुछ निर्देश भी दिए जा सकते हैं।

इस दवा का इस्तेमाल उन मरीजों के लिए किया जाएगा, जो गंभीर कोरोना के शिकार हैं और अस्पताल में भर्ती हों।

किन लोगों को नहीं दी जाएगी ये दवा?

दवा खरीदने के लिए डॉक्टर की पर्ची की जरूरत होगी या नहीं?
आने वाले दिनों में मोलनुपिरावीर के 5 दिन का कोर्स आपको भले ही मेडिकल स्टोर पर मिल जाएं, लेकिन इसे खरीदने के लिए डॉक्टर की पर्ची जरूरी है। केंद्र सरकार ने मोलनुपिरावीर के आपातकालीन उपयोग को मंजूरी दी है, जिसका साफ मतलब है कि इसकी नियंत्रित बिक्री की जा सकती है।

कोई भी अपने मन से इस दवा को नहीं खरीद सकता है। जब तक डॉक्टर किसी मरीज के लिए इस दवा को पर्ची पर नहीं लिख देता, तब तक इसे नहीं खरीदा जा सकता है।

यह दवा काम कैसे करती है?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि RNA मैकेनिज्म के जरिए कोरोना वायरस हमारे शरीर में दस्तक देता है और संक्रमण फैलने लगता है। जैसे-जैसे वायरस और संक्रमण फैलता है वैसे-वैसे मरीज की हालात गंभीर होते जाती है। मोलनुपिरावीर की गोलियां RNA मैकेनिज्म को ठीक करती हैं और वायरस को शरीर में फैलने से रोकती हैं।

जब दवा का असर शुरू होता है और वायरस कमजोर पड़ता है तो मरीज की हालात सामान्य हो जाती है। वो गंभीर संक्रमण से बच जाता है।

यह दवा किस देश में और किसने बनाई है?
मोलनुपिरावीर को इन्फ्लूएंजा के इलाज के लिए अमेरिका के जॉर्जिया स्थित इमॉरी यूनिवर्सिटी में तैयार किया गया था। जिसे नवंबर 2021 में यूनाइटेड किंगडम ने और दिसंबर 2021 में अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने मान्यता दी थी।
भारत में 28 दिसंबर को ड्रग कन्ट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) ने इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मान्यता दे दी। सोमवार को इसे भारत में लॉन्च किया गया।

भारत में कौन-कौन सी कंपनियां मोलनुपिरावीर दवा बना रही हैं?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के मुताबिक भारत की लगभग 13 दवा निर्माता कंपनियां घरेलू स्तर पर मोलनुपिरावीर बनाएंगी। इन कंपनियों में डॉ रेड्डीज लैबोरेट्रीज, नैटको फार्मा, सिप्ला, स्ट्राइड्स, हेटेरो और ऑप्टिमस फार्मा प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं।

क्या इस दवा का पहले भी इस्तेमाल किया जा चुका है?
मोलनुपिरावीर को सबसे पहले इन्फ्लूएंजा के इलाज में इस्तेमाल किया गया था।

क्या यह दवा कोरोना के डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ काम करती है?
जी हां, भारत में दवा बनाने वाली 13 फार्मा कंपनियों में से एक मैनकाइंड की तरफ से बताया गया है कि मोलनुपिरावीर कोरोना के डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ भी कारगर है।

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