नौकरीपेशा लोगों के लिए देश में अभी तक 29 श्रम कानून थे। केंद्र सरकार ने बदलाव करते हुए इनकी संख्या 29 से 4 कर दी है। ये कानून हैं- व्यावसायिक सुरक्षा कानून, स्वास्थ्य और कार्य की स्थितियां, औद्योगिक संबंध और सामाजिक सुरक्षा कानून। एक अप्रैल से नए कानून लागू हो जाएंगे और एक मई की सैलरी पर इनका असर भी दिखना शुरू हो जाएगा।
सबसे पहले सैलरी का गणित समझना जरूरी
नौकरी करने वाले लोग दो शब्दों से परिचित होते हैं, पहला CTC यानी कॉस्ट टु कंपनी और दूसरा टेक होम सैलरी, जिसे इन-हैंड सैलरी भी कहा जाता है।
1. CTC: CTC यानी आपके काम के ऐवज में कंपनी का कुल खर्च, यह आपकी कुल सैलरी होती है। इस सैलरी में आपकी बेसिक सैलरी तो होती ही है, इसके अलावा हाउस अलाउंस, मेडिकल अलाउंस, ट्रैवल अलाउंस, फूड अलाउंस और इंसेंटिव भी होता है। इन सबको मिलाकर आपकी टोटल सैलरी तय होती है, जिसे CTC कहा जाता है।
2. टेक होम सैलरी: जब आपके हाथ में सैलरी आती है तो वह आपकी CTC से कम होती है। वजह- कंपनी आपकी CTC यानी कुल सैलरी से कुछ पैसा प्रोविडेंट फंड यानी PF के लिए काटती है, कुछ मेडिकल इंश्योरेंस के प्रीमियम के तौर पर काटती है और इसके अलावा भी कुछ मदों में कटौती की जाती है। इन सभी के बाद जो पैसा आपके हाथ में आता है, वह आपकी इन-हैंड सैलरी होती है।
कैसे कम हो जाएगी आपकी सैलरी?
जिसकी बेसिक सैलरी CTC की 50% है, उसे कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला, लेकिन जिसकी बेसिक सैलरी CTC की 50% नहीं है उसे ज्यादा फर्क पड़ेगा। ऐसा इसलिए होगा, क्योंकि इन नियमों के तहत अब किसी की भी बेसिक सैलरी CTC के 50% से कम नहीं हो सकती।
दरअसल PF का पैसा आपकी बेसिक सैलरी से कटता है, जो बेसिक सैलरी का 12% होता है। यानी बेसिक सैलरी जितनी ज्यादा होगी PF उतना ज्यादा कटेगा। पहले लोग टोटल CTC से बेसिक सैलरी कम कराकर अलाउंस बढ़वा लेते थे, जिससे टैक्स में छूट भी मिल जाती थी और PF भी कम कटता था। इससे इन-हैंड सैलरी बढ़ जाती थी।