टैरिफ पर ट्रंप ने भारत को फिर दिखाई धौंस- अब और बर्दाश्त नहीं करेंगे

अमेरिका पिछले कुछ समय से भारत पर हाई-टैरिफ को लेकर लगातार निशाना साध रहा है यूएस का कहना है कि यदि भारत हमारे साथ कोई डील करना चाहता है तो उसे पहले हमें खुश रखना होगा जून में भारत ने अमेरिकी उत्पादों पर 28 प्रतिशत ड्यूटी बढ़ाई तो यूएस ने भारतीय उत्पादों पर पाबंदी लगाई

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वशिंटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के लिए एक बार फिर से कड़वे बोल बोले हैं. अमेरिका से आयात किए जाने वाले सामानों पर भारत द्वारा सीमा शुल्क बढ़ाये जाने पर ट्रंप ने भारत के खिलाफ सख्त टिप्पणी की है और कहा है कि ये टैरिफ अब स्वीकार्य नहीं हैं. ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका को अब इसके खिलाफ खड़ा होने की जरूरत है.

ट्रंप ने जापान में जी-20 सम्मेलन से पहले भी ऐसे ही ट्वीट किए थे. मंगलवार को एक बार फिर से ट्रंप ने कहा कि भारत लगातार अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ा रहा है…अब ये स्वीकार्य नहीं है. 27 जून को जी-20 सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात से पहले भी ट्रंप ने ऐसी ही टिप्पणी की थी. तब ट्रंप ने कहा था, “मैं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करने जा रहा हूं…भारत सालों तक अमेरिकी सामानों पर ज्यादा सीमा शुल्क लगाता आ रहा है, हाल ही में भारत ने इसमें और बढ़ोतरी कर दी है, ये स्वीकार्य नहीं है, इन्हें वापस लेना ही पड़ेगा”

क्या ये Indo-US ट्रेड वार है?

ट्रंप प्रशासन भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों पर पिछले कुछ दिनों से लगातार बयानबाजी कर रहा है. अगर अमेरिका इस मुद्दे पर भारत के खिलाफ कोई कदम उठाता है तो दोनों देशों के बीच ट्रेड वार की शुरुआत हो सकती है. बता दें कि कुछ ही दिन पहले भारत ने अमेरिका से आयात किए जाने वाले 28 सामानों पर टैरिफ बढ़ा दिया था. इनमें बादाम, अखरोट, दालें शामिल थीं.

पहले अमेरिका ने भारत को व्यापार में मिलने वाली कुछ तरजीह खत्म कर दी

बता दें कि भारत का ये कदम क्रिया की प्रतिक्रिया है. इससे पहले अमेरिका ने भारत को व्यापार में मिलने वाली कुछ तरजीह खत्म कर दी थी. जून 5 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के साथ व्यापार में भारत को मिलने वाली विशेष सुविधा खत्म कर दी थी. इसे सामान्य तरजीह प्रणाली Generalized System of Preferences (GSP) के नाम से जाना जाता था. इस स्कीम के तहत भारत अमेरिका को बिना शुल्क दिए सामान निर्यात कर सकता था. 2017 में इस स्कीम का लाभ उठाकर भारत ने 5.7 अरब डॉलर का सामान अमेरिका को निर्यात किया था. अमेरिका ने 1976 में इस स्कीम की शुरुआत की थी. इसका मकसद विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देना था.

अमेरिका और भारत इस मुद्दे को सुलझाने की कई बार कोशिश कर चुके हैं, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला है. कुछ ही दिनों पहले अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो भारत यात्रा पर आए थे, इस दौरान इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी. इसके अलावा जब जी-20 सम्मेलन के बैनर तले ट्रंप और पीएम नरेंद्र मोदी मिले उस दौरान भी इस मसले को सुलझाने की कोशिश की गई, लेकिन कोई नतीजा नहीं आया है.

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