370 पर PAK को UNSC में लगा बड़ा झटका, टूटी ये आखिरी उम्मीद

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष देश पोलैंड ने सोमवार को स्पष्ट कह दिया कि नई दिल्ली और इस्लामाबाद को कश्मीर मुद्दे का समाधान द्विपक्षीय स्तर पर ही सुलझाना होगा.

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नई दिल्ली। कश्मीर मसले पर पाकिस्तान को दुनिया के किसी भी देश से समर्थन नहीं मिल रहा है. अब पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के मौजूदा अध्यक्ष देश पोलैंड से भी झटका मिला है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष देश पोलैंड ने सोमवार को स्पष्ट कह दिया कि नई दिल्ली और इस्लामाबाद को कश्मीर मुद्दे का समाधान द्विपक्षीय स्तर पर ही सुलझाना होगा.

 

 

 

पाकिस्तान की यूएनएससी में फिलहाल कश्मीर मुद्दा उठाने की कोशिशों पर पानी फिर गया

भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण कूटनीतिक रिश्तों पर पोलैंड ने पहली बार प्रतिक्रिया दी है. इससे पाकिस्तान की यूएनएससी में फिलहाल कश्मीर मुद्दा उठाने की कोशिशों पर पानी फिर गया है. बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता अगस्त महीने में पोलैंड के पास है. सुरक्षा परिषद के सदस्य देश बारी-बारी से हर महीने अध्यक्षता करते हैं.

 

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  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष देश पोलैंड की प्रतिक्रिया से पहले शनिवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी देश रूस ने भी कहा था कि भारत का कदम भारतीय गणराज्य के संविधान के दायरे में ही उठाया गया है.विदेश सचिव विजय केशव गोखले ने दिल्ली के राजनयिकों को सूचित किया था कि विदेश मंत्री जयशंकर ने पोलिश विदेश मंत्री जेसेक जापुतोविक्ज से गुरुवार को फोन पर बातचीत की थी.
  • ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से बातचीत करते हुए भारत में पोलैंड के राजदूत एडम बुराकोव्सकी ने कहा, पोलैंड उम्मीद करता है कि दोनों देश मिलकर द्विपक्षीय स्तर पर समाधान निकाल लेंगे.भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा तनाव पर चिंता जाहिर करते हुए रराजदूत बुराकोव्सकी ने कहा, पोलैंड का मानना है कि किसी भी विवाद का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से ही किया जा सकता है. यूरोपीय यूनियन की तरह हम भी भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता के पक्षधर हैं.

अस्थायी सदस्य के तौर पर पोलैंड सुरक्षा स्थिति पर किसी भी तरह का खतरा रोकने के लिए तैयार

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के तौर पर पोलैंड सुरक्षा स्थिति पर किसी भी तरह का खतरा रोकने के लिए तैयार है. क्षेत्र के हालात पर नजर रख रहे पोलिश राजदूत ने कहा, मैं ‘द्विपक्षीय’ शब्द पर फिर से जोर देना चाहता हूं क्योंकि यही सबसे अहम है.पोलैंड का ये बयान भारत के ही पक्ष को मजबूत करता है क्योंकि भारत ने हमेशा यही कहा है कि शिमला समझौते, 1972 और लाहौर घोषणा पत्र, 1999 के तहत कश्मीर मुद्दे को भारत-पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय तौर पर ही सुलझाया जाना चाहिए.

  • हालांकि, पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने संयुक्त राष्ट्र, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जाकर कश्मीर मुद्दे को उठाने का फैसला किया है. इस्लामाबाद लंबे वक्त से कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण चाहता रहा है.सूत्रों के मुताबिक, इस प्रतिक्रिया की पृष्ठभूमि में 8 अगस्त को हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पोलैंड के विदेश मंत्री के बीच हुई बातचीत अहम रही. विदेश मंत्री ने पोलैंड को जम्मू-कश्मीर के बदले स्टेटस को लेकर भारतीय चिंताओं से अवगत कराया.

पोलिश के विदेश मंत्री के बयान के मुताबिक, जयशंकर ने उन्हें बताया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत किए गए बदलाव सख्त तौर पर आंतरिक मामला है और इसका मकसद आतंकी हमलों के खतरे से घिरे क्षेत्र में सुरक्षा लाना है.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि संविधान में हुए हालिया बदलावों के किसी भी तरह से वैश्विक नतीजे नहीं होंगे और इससे जम्मू-कश्मीर का अस्थायी दर्जा खत्म कर  क्षेत्र में तरक्की के नए मौके उपलब्ध होंगे.

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