7 दिन में जांच-45 दिन में फैसला, उन्नाव कांड में कोर्ट का ‘सुप्रीम’ न्याय

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने इस मामले का ट्रायल 45 दिन में पूरा करने का आदेश दिया है. SC के आदेश के साथ ही अब एक बार फिर उन्नाव मामले में न्याय की आस जगी है.

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लखनऊ। उन्नाव रेप केस में सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती बरती है. गुरुवार को इस मामले की तीन बार सर्वोच्च अदालत में सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने इस मामले का ट्रायल 45 दिन में पूरा करने का आदेश दिया है. SC के आदेश के साथ ही अब एक बार फिर उन्नाव केस में न्याय की आस जगी है. सर्वोच्च अदालत की तरफ से गुरुवार को क्या-क्या फैसले लिए गए हैं, यहां समझें…


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  •  उन्नाव मामले से जुड़े सभी पांच केस को लखनऊ से दिल्ली ट्रांसफर किया गया है.
  • पीड़िता के एक्सीडेंट के मामले की जांच सीबीआई को सात दिन में पूरी करनी होगी.
  • पीड़िता के परिवार को CRPF की सुरक्षा दी जाएगी, साथ ही साथ वकील को भी सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी.
  • उत्तर प्रदेश की सरकार को आदेश दिया गया है कि वह पीड़िता को 25 लाख रुपये शुक्रवार तक दे.
  • पीड़िता को अगर लखनऊ में इलाज नहीं मिल पा रहा तो उसे एम्स में शिफ्ट किया जा सकता है. अदालत ने परिवार से पूछकर पीड़िता के शिफ्ट करने पर फैसला लेने को कहा है.
  • इस केस से जुड़े ट्रायल को 45 दिन में पूरा किया जाए.
  • चीफ जस्टिस ने पूछा कि अगर पीड़िता के चाचा को जेल से शिफ्ट किया जाना है तो बताएं और रिपोर्ट दें.
  • अगर पीड़िता को कोई भी शिकायत करनी हो तो वो सीधा सुप्रीम कोर्ट के पास आए.

गौरतलब है कि उन्नाव मामले को लेकर गुरुवार को तीन बार सर्वोच्च अदालत में सुनवाई हुई. तीनों ही बार चीफ जस्टिस की बेंच ने इस मामले को सुना, जिसमें पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट, उसे दिल्ली ट्रांसफर करने की स्थिति, सीबीआई से मामले की स्टेटस रिपोर्ट मांगी गई.


चिट्ठी मामले में भी अदालत ने दिखाई है सख्ती

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इसके अलावा उस मामले में भी सख्ती दिखाई है, जिसमें पीड़िता की मां के द्वारा लिखी गई चिट्ठी चीफ जस्टिस रंजन गोगोई तक नहीं पहुंची थी. चीफ जस्टिस ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं कि आखिर काफी दिनों पहले लिखी गई चिट्ठी उन तक क्यों नहीं पहुंची थी.

अदालत में जिस वक्त इस मसले की सुनवाई हो रही थी, तब सॉलिसिटर जनरल ने बताया था कि अदालत में रजिस्ट्री के पास हर महीने 6000 से अधिक चिट्ठियां आती हैं, जुलाई महीने में चिट्ठियों की संख्या 6800 के करीब थी. पीड़िता का नाम पता नहीं होने की वजह से चिट्ठी में देरी हुई. हालांकि, मामला सामने आते ही खत CJI के सामने पेश कर दी गई थी.


उन्नाव रेप केस: प्रियंका बोली- UP को ‘जंगल राज’ से निकालने के लिए SC को धन्यवाद

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी

उन्नाव बलात्कार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा कदम उठाया है. इस मामले से जुड़े सभी पांच केसों को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश से दिल्ली ट्रांसफर करने का आदेश दिया है. साथ ही सभी मामलों की सुनवाई 45 दिन में पूरा करने का आदेश दिया गया है. इस पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि उत्तर प्रदेश को जंगल राज से निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद.

प्रियंका ने ट्वीट कर बीजेपी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि बीजेपी को आखिरकार मजबूर होकर विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ी. इससे यह साबित होता है कि बीजेपी अभी तक एक अपराधी को राजनीतिक संरक्षण दे रही थी. प्रियंका ने कहा कि विधायक पर कार्रवाई से पीड़िता को न्याय की उम्मीद जगी है.

बता दें कि उन्नाव बलात्कार मामले के आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को बीजेपी से निकाले जाने का लगातार राजनीतिक दल दबाव बना रहे थे. कांग्रेस से लेकर सपा और बसपा नेता बीजेपी से लगातार सवाल कर रहे थे कि अभी तक सेंगर को पार्टी से बाहर क्यों नहीं निकाला गया. ऐसे में बीजेपी ने विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को पार्टी से निकाल दिया है. इससे पहले कुलदीप सिंह को बीजेपी ने निलंबित किया था लेकिन रेप पीड़िता के साथ हुए सड़क हादसे के बाद विधायक सेंगर को पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखाया है.


उन्नाव मामले पर देशभर में है गुस्सा (फोटो: IANS)

 

उन्नाव: पीड़िता की बहन बोली– सरकार ने नहीं की मदद, मां ने भी सुनाया दुखड़ा

उन्नाव रेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 45 दिन में ट्रायल पूरा करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही अदालत ने सभी केस को लखनऊ से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट की सख्ती से पीड़िता के परिवार को न्याय की आस दिखने लगी है. इस सभी के बीच पीड़िता की बहन ने आजतक से बात की और बताया कि किस तरह भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर के लोग उन्हें धमकाया करते थे.

पीड़िता की बहन के मुताबिक उनके परिवार को एक महीने से धमकी दी जा रही थी. इस मामले में उत्तर प्रदेश की सरकार ने कोई मदद नहीं की है. हालांकि पीड़िता की बहन ने दावा किया कि अखिलेश यादव और उनकी पार्टी ने काफी मदद की थी.

पीड़िता की बहन ने बताया कि अभी तक सरकार की तरफ से उनसे मिलने कोई नहीं आया है. उन्होंने कहा कि चाचा के ऊपर जो केस लगे हैं, वे झूठे हैं. उन्हें तुरंत खत्म किया जाना चाहिए और हमारे चाचा को छोड़ना चाहिए.

उन्होंने बताया कि एक महीने पहले विधायक के आदमी आकर धमकी देते थे. लेकिन जबसे विधायक जेल में है तभी से विधायक नहीं आया है. विधायक के लोगों ने धमकी दी थी कि केस वापस ले लो, वरना परिवार को मार देंगे.

दूसरी ओर एक वीडियो सामने आया है. जिसमें पीड़िता की मां और बहन ने महिला आयोग के सामने अपना दुखड़ा रोया है. पीड़िता की मां और बहन ने बताया कि किस तरह विधायक और उसके आदमियों ने परिवार को गांव में पीटा था.

पीड़िता की मां और बहन ने बताया था कि विधायक के लोग गांव में बहन का पीछा करते थे. उनके पिता को लोग मारने आए थे. छोटी बहन के साथ भी मारपीट की गई थी. पीड़िता के पिता की इतनी पिटाई की गई कि गुर्दा फट गया.

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