ऑस्ट्रेलिया / पवित्र चट्टान पर चढ़ने पर कल से प्रतिबंध, 12 महीनों में 4 लाख से ज्यादा लोग इस पर जा चुके हैं
स्थानीय आदिवासी लोगों की हमेशा से इच्छा थी कि पर्यटकों को यहां आने से प्रतिबंधित किया जाए शुक्रवार को आखिरी दिन तेज हवाओं के बीच सैकड़ों लोग चढ़ाई करने का इंतजार कर रहे थे
उलुरू. ऑस्ट्रेलिया स्थित विश्व के सबसे विशाल मोनोलिथ ‘उलुरू’ पर चढ़ाई करने पर शुक्रवार से स्थाई रूप से प्रतिबंध लग गया है। इससे पहले उलुरू-कैटा जूटा नेशनल पार्क में आखिरी बार सैकड़ों पर्यटक इस पर चढ़ाई करने के लिए जुटे। लाल चट्टान से निर्मित मोनोलिथ का ऑस्ट्रेलिया में सांस्कृतिक महत्व है। इसे यहां पवित्र माना जाता है। यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र भी है।
स्थानीय आदिवासियों की हमेशा से इच्छा थी कि पर्यटकों को यहां आने से प्रतिबंधित किया जाए। यहां आदिवासियों को ‘अनांगू’ कहा जाता है। हाल के महीनों में मोनोलिथ पर चढ़ाई करने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई। इससे पहले तेज हवाएं चलने से लोगों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई गई, जिससे लोगों को इंतजार करना पड़ा। हालांकि, बाद में स्थानीय समयानुसार सुबह 10 बजे चढ़ाई करने की अनुमति दी गई।
पिछले 12 महीनों में करीब चार लाख लोग पार्क आए
पार्क ऑस्ट्रेलिया ने कहा- चट्टान पर चढ़ाई जारी रखने के लिए मौसम का आकलन लगातार किया जाएगा। पार्क ऑस्ट्रेलिया के मुताबिक, पिछले 12 महीनों में जून 2019 तक तीन लाख 95 हजार लोगों ने उलुरू-कैटा जूटा नेशनल पार्क का भ्रमण किया। यह आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले 20% अधिक था। इस अवधि में करीब 13% लोगों ने मोनोलिथ पर चढ़ाई की थी।
एयर्स रॉक का निर्माण 600 मिलियन वर्ष पूर्व हुआ था
इस चट्टान का निर्माण 600 मिलियन वर्ष पूर्व हुआ था। आदिवासी यहां पिछले 10,000 वर्षों से रह रहे हैं। पहले यह हिस्सा समुद्र के नीचे था। वर्तमान में इसकी भूमि से उंचाई 348 मीटर है। इसका 2.5 किमी हिस्सा भूमि में है। यह स्थानीय नागरिकों के लिए आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व रखता है। इसे ‘एयर्स रॉक’ के नाम से जाना जाता है। यह नाम 1873 में ऑस्ट्रेलिया के आठवें प्रमुख सर हेनरी एयर्स के नाम पर रखा गया।