तीन तलाकः फिर बिखरा विपक्ष, सहयोगियों पर भड़की कांग्रेस, कहा- ऐसे विरोध का क्या मतलब
तीन तलाक का विरोध करने वाले दलों के राज्यसभा में वोटिंग के दौरान गैर मौजूद रहने पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस का कहना है कि पार्टी बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजना चाहती थी जिसके लिए वोटिंग हुई. लेकिन इस दौरान तीन तलाक बिल का विरोध करने वाले कई दलों के सदस्य उच्च सदन से नदारद रहे. ऐसे में इस विरोध का क्या मतलब है.
नई दिल्ली। तीन तलाक का विरोध करने वाले दलों के राज्यसभा में वोटिंग के दौरान गैर मौजूद रहने पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस का कहना है कि पार्टी बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजना चाहती थी जिसके लिए वोटिंग हुई. लेकिन इस दौरान तीन तलाक बिल का विरोध करने वाले कई दलों के सदस्य उच्च सदन से नदारद रहे. ऐसे में उनके इस विरोध का क्या मतलब है?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, ‘हम चाहते थे कि तीन तलाक बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए. लेकिन सरकार ने बात नहीं मानी. इसीलिए वोटिंग कराई गई. लेकिन सवाल उन लोगों पर है जो वोटिंग के दौरान सदन से गायब हो गए. जिन लोगों ने सदन में तीन तलाक बिल का विरोध किया वे गैर मौजूद रहे. अगर उन्हें दूर ही रहना था तो विरोध की बात करने का मतलब क्या है?’
#WATCH Mumbai: Nationalist Congress Party (NCP) president Sharad Pawar evades question when asked about him being absent in Rajya Sabha today during voting for Muslim Women (Protection of Rights on Marriage) Bill, 2019. #TripleTalaqBill pic.twitter.com/Ljv7zMQSUQ
— ANI (@ANI) July 30, 2019
असल में, मुस्लिम महिलाओं से एक साथ तीन तलाक को अपराध करार देने वाला बिल राज्यसभा से भी पारित हो गया है. इस बिल के कानून बनने का रास्ता साफ हो गया है. राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद यह कानून के तौर पर लागू हो जाएगा. अपर हाउस में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक के पक्ष में 99 वोट पड़े, जबकि 84 सांसदों ने इसके विरोध में मतदान किया.
Raj Babbar, Congress on #TripleTalaqBill passed in Rajya Sabha, today: Main samajhta hoon ki is desh ke andar kisi bhi family law ko lekar ek bahot bada jhatka hai. A civil law has been made a criminal law. It's a historic mistake. pic.twitter.com/81jEKpFfPV
— ANI (@ANI) July 30, 2019
मगर तीन तलाक बिल पर वोटिंग के दौरान शरद पवार, प्रफुल्ल पटेल और राम जेठमलानी नहीं आए. वहीं बसपा, पीडीपी, टीआरएस, जेडीयू, एआईएडीएमके और टीडीपी जैसे कई दलों के वोटिंग में हिस्सा न लेने के चलते सरकार को यह बिल पास कराने में आसानी हुई. बिल की मंजूरी से विपक्ष की कमजोर रणनीति भी उजागर हुई और इसी बात को लेकर कपिल सिब्बल ने नाराजागी जताई है. इस बिल का तीखा विरोध करने वाली कांग्रेस कई अहम दलों को अपने साथ बनाए रखने में असफल रही.
सरकार की राह हो गई आसान
बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव 100 के मुकाबले 84 वोटों से गिर गया. बिल का विरोध करने वाले जेडीयू, एनसीपी, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), बसपा और पीडीपी जैसे कई दल वोटिंग से दूर रहे. राज्यसभा में यह बिल पास होना सरकार के लिए बड़ी कामयाबी माना जा रहा है क्योंकि उच्च सदन में अल्पमत में होने की वहज से उसके लिए इस बिल को पास कराना मुश्किल था. इससे पहले भी एक बार उच्च सदन से यह बिल गिर गया था.
तीन तलाक का विरोध करने वाले दलों के राज्यसभा में वोटिंग के दौरान गैर मौजूद रहने पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस का कहना है कि पार्टी बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजना चाहती थी जिसके लिए वोटिंग हुई. लेकिन इस दौरान तीन तलाक बिल का विरोध करने वाले कई दलों के सदस्य उच्च सदन से नदारद रहे. ऐसे में उनके इस विरोध का क्या मतलब है?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, ‘हम चाहते थे कि तीन तलाक बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए. लेकिन सरकार ने बात नहीं मानी. इसीलिए वोटिंग कराई गई. लेकिन सवाल उन लोगों पर है जो वोटिंग के दौरान सदन से गायब हो गए. जिन लोगों ने सदन में तीन तलाक बिल का विरोध किया वे गैर मौजूद रहे. अगर उन्हें दूर ही रहना था तो विरोध की बात करने का मतलब क्या है?’
असल में, मुस्लिम महिलाओं से एक साथ तीन तलाक को अपराध करार देने वाला बिल राज्यसभा से भी पारित हो गया है. इस बिल के कानून बनने का रास्ता साफ हो गया है. राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद यह कानून के तौर पर लागू हो जाएगा. अपर हाउस में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक के पक्ष में 99 वोट पड़े, जबकि 84 सांसदों ने इसके विरोध में मतदान किया.
मगर तीन तलाक बिल पर वोटिंग के दौरान शरद पवार, प्रफुल्ल पटेल और राम जेठमलानी नहीं आए. वहीं बसपा, पीडीपी, टीआरएस, जेडीयू, एआईएडीएमके और टीडीपी जैसे कई दलों के वोटिंग में हिस्सा न लेने के चलते सरकार को यह बिल पास कराने में आसानी हुई. बिल की मंजूरी से विपक्ष की कमजोर रणनीति भी उजागर हुई और इसी बात को लेकर कपिल सिब्बल ने नाराजागी जताई है. इस बिल का तीखा विरोध करने वाली कांग्रेस कई अहम दलों को अपने साथ बनाए रखने में असफल रही.
सरकार की राह हो गई आसान
बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव 100 के मुकाबले 84 वोटों से गिर गया. बिल का विरोध करने वाले जेडीयू, एनसीपी, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), बसपा और पीडीपी जैसे कई दल वोटिंग से दूर रहे. राज्यसभा में यह बिल पास होना सरकार के लिए बड़ी कामयाबी माना जा रहा है क्योंकि उच्च सदन में अल्पमत में होने की वहज से उसके लिए इस बिल को पास कराना मुश्किल था. इससे पहले भी एक बार उच्च सदन से यह बिल गिर गया था.