पश्चिम बंगाल से रिपोर्ट:हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण न हो इसलिए तृणमूल ने मुस्लिम कैंडीडेट्स घटाए; 2016 में 57 थे, इस बार सिर्फ 42, प्रशांत किशोर के फीडबैक को भी तरजीह

महिला वोटर्स का सपोर्ट दोबारा पाने के लिए ममता ने 50 महिला कैंडीडेट्स उतारीं, राज्य में महिला वोटर्स की संख्या 3.15 करोड़

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कोलकता। तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल की 294 विधानसभा सीटों के लिए अपने कैंडीडेट्स की लिस्ट जारी कर दी है। TMC 291 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। तीन सीटें सहयोगी पार्टी गोरखा जनमुक्ति मोर्चा को दी गई हैं। इस बार की लिस्ट में दो महत्वपूर्ण बातें नजर आ रही हैं। पहला महिला कैंडीडेट्स की संख्या बढ़ाई गई है। इस बार 50 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है। कुल 7.18 करोड़ वोटर्स में से 3.15 करोड़ महिलाएं हैं। लोकसभा चुनाव में महिला वोटों का रुझान BJP की तरफ ज्यादा देखा गया था। TMC की सूची में इस बार जो दूसरा महत्वपूर्ण बात है, वो है मुस्लिम कैंडीडेट्स की संख्या कम करना।

भाजपा बंगाल विधानसभा चुनाव में हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण की रणनीति पर काम कर रही है। चुनावी सभा में भाजपा नेता ममता पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाते हैं।
भाजपा बंगाल विधानसभा चुनाव में हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण की रणनीति पर काम कर रही है। चुनावी सभा में भाजपा नेता ममता पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाते हैं।

रविंद्र भारती यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और चुनाव विश्लेषक डॉ. विश्वनाथ चक्रवर्ती कहते हैं, ‘2011 में TMC ने मुस्लिम समुदाय से 28 कैंडीडेट्स उतारे थे। 2016 में यह संख्या बढ़कर 57 पर आ गई। लेकिन इस बार संख्या 42 पर आ गई है। जबकि 2016 में मुस्लिमों ने एकतरफा TMC को सपोर्ट किया था। तभी ममता बनर्जी 211 सीटें जीत सकी थीं।’ इसका कारण बताते हुए डॉ. चक्रवर्ती कहते हैं, ‘धुव्रीकरण के डर से ऐसा किया गया है। राज्य में हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा उठा हुआ है। ऐसे में हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण न हो जाए, इसलिए TMC ने मुस्लिम कैंडीडेट्स को कम कर हिंदू कैंडीडेट्स की संख्या बढ़ाई है। राज्य में 70 फीसदी आबादी हिंदुओं की है। 27 फीसदी मुस्लिम आबादी है।’

सर्वे में जिनका परफॉर्मेंस कमजोर, उनके टिकट कटे
प्रशांत किशोर ममता के चुनावी रणनीतिकार हैं। उनकी एजेंसी ने एक-एक सीट का कई राउंड का सर्वे किया है। इसमें जिन कैंडीडेट्स का निगेटिव रिस्पॉन्स आया है, उनके टिकट काटे गए हैं। वहीं, कुछ सीटों पर स्ट्रक्चरल चेंज भी किए गए हैं। कई कैंडीडेट्स के टिकट नहीं कटे, लेकिन उनकी विधानसभा बदल दी गई है। पहले ऐसी चर्चाएं चल रहीं थी कि पार्टी 40 मौजूदा विधायकों के टिकट काटेगी, लेकिन 28 विधायकों के टिकट ही काटे गए हैं। बंगाल के वरिष्ठ पत्रकार प्रभाकर मणि तिवारी कहते हैं, ‘कई हाई प्रोफाइल लोगों को टिकट देने की चर्चा थी। ये भी कहा जा रहा था कि रिटायर्ड IAS, IPS ऑफिसर्स को टिकट दिया जाएगा लेकिन सिर्फ एक ही IAS को उम्मीदवार बनाया गया है। पूरी लिस्ट में एक भी चौंकाने वाला नाम नहीं है। सेलिब्रिटीज की संख्या भी सीमित रखी गई है। करीब 10 सेलेब्स को टिकट दिया गया है। टिकट देने में क्लीन इमेज, यंग एज और नए चेहरों को मौका दिया गया है।’

ममता नंदीग्राम से लड़ रही हैं, यानी पूरे कॉन्फिडेंस में हैं
एक्सपर्ट्स का कहना है कि बतौर CM ममता नंदीग्राम से चुनाव लड़ने में आगे तो रहेंगी, लेकिन ये निर्णय उनके कॉन्फिडेंस को भी दिखाता है। इसके पहले वो भवानीपुर से लड़ी थीं, वहां से इस बार शोभनदेब चटर्जी लड़ेंगे। पहले ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि ममता दो सीटों से चुनाव लड़ेंगी। वे 9 मार्च को नंदीग्राम जाएंगी और 10 मार्च को हल्दिया से नॉमिनेशन करेंगी। नंदीग्राम के लिए ममता इसलिए भी आश्वस्त हैं कि, वहां करीब 25 फीसदी आबादी मुस्लिम हैं।

राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि ममता को लगता है कि मुस्लिम इस बार भी उन्हें ही वोट करेंगे। हालांकि फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी और ओवैसी दोनों ही अपने कैंडीडेट्स चुनाव में उतारने वाले हैं। ऐसे में मुस्लिम वोट बंट सकते हैं। जिसका सीधा फायदा BJP को मिलेगा।’

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