विवाद के बाद सरकार की सफाई- किसी पर कोई भाषा थोपने का इरादा नहीं
डीएमके और कमल हासन की पार्टी मक्कल निधि मैय्यम ने कहा है कि तमिलनाडु में हिन्दी पढ़ाये जाने की केंद्र की किसी भी कोशिश का पुरजोर विरोध किया जाएगा. डीएमके सांसद टी शिवा ने कहा कि तमिलनाडु में हिन्दी लागू करने की कोशिश कर केंद्र सरकार आग से खेलने की कोशिश कर रही है.
नई दिल्ली। दक्षिण भारत में हिन्दी भाषा का एक बार फिर विरोध होता दिख रहा है. इस मसले पर डीएमके अध्यक्ष स्टालिन ने ट्वीट कर कहा है कि तमिलों के खून में हिंदी की कोई जगह नहीं है. डीएमके अध्यक्ष स्टालिन ने अपने ट्वीट में लिखा, “तमिलों के खून में हिन्दी के लिए कोई जगह नहीं है, यदि हमारे राज्य के लोगों पर इसे थोपने की कोशिश की गई तो डीएमके इसे रोकने के लिए युद्ध करने को भी तैयार है. नये चुने गए एमपी लोकसभा में इस बारे में अपनी आवाज उठाएंगे.”
I&B Minister Prakash Javadekar on reported proposal of 3-language system in schools: There is no intention of imposing any language on anybody, we want to promote all Indian languages. It's a draft prepared by committee, which will be decided by govt after getting public feedback pic.twitter.com/t16JC3P8bf
— ANI (@ANI) June 1, 2019
डीएमके और कमल हासन की पार्टी मक्कल निधि मैय्यम ने कहा है कि तमिलनाडु में हिन्दी पढ़ाये जाने की केंद्र की किसी भी कोशिश का पुरजोर विरोध किया जाएगा. डीएमके सांसद टी शिवा ने कहा कि तमिलनाडु में हिन्दी लागू करने की कोशिश कर केंद्र सरकार आग से खेलने की कोशिश कर रही है.
भाषा विवाद पर तमिलनाडु में संभावित विरोध प्रदर्शन के बाद सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि किसी के ऊपर कोई भाषा थोपने की सरकार की मंशा नहीं है. प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, “नयी शिक्षा नीति पर सिर्फ एक रिपोर्ट सौंपी गई है, सरकार ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया है, सरकार ने इसे अभी देखा तक नहीं है इसलिए ये गलतफहमी फैल गई है और ये झूठ है.”
बता दें कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति नया ड्राफ्ट देश के नये मानव संसाधन डॉ रमेश पोखरियाल निशंक को ड्राफ्ट कमेटी ने सौंपा है. शुरुआत से ही हिन्दी भाषा के खिलाफ राजनीति करने वाली डीएमके ने कहा है कि ड्राफ्ट कमेटी के जरिये केंद्र तमिलनाडु पर हिन्दी थोपने की कोशिश कर रही है. टी शिवा ने कहा, “तमिलनाडु पर हिन्दी भाषा थोपने की कोशिश को यहां के लोगों द्वारा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, हमलोग हिन्दी को रोकने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं.”
फॉर्मूला नहीं हो सका लागू
भाषाओं के अध्ययन के लिए तीन भाषाओं का फार्मूला 1968 में शिक्षा मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों के साथ बातचीत करके तैयार किया गया था. इस फॉर्मूले के तहत हिन्दी भाषी राज्यों में हिन्दी, अंग्रेजी और आधुनिक भारतीय भाषा (मुख्य रुप से दक्षिण भारत की भाषा) पढ़ाने पर जोर दिया गया था, जबकि गैर हिन्दी भाषी राज्यों में हिन्दी, अंग्रेजी और एक क्षेत्रीय भाषा पढ़ाने पर जोर दिया गया था. तमिलनाडु के सख्त विरोध के चलते ये फॉर्मूला यहां पर लागू नहीं हो सका है. इस फॉर्मूले का विरोध आज भी तमिलनाडु में जारी है.