जब सुषमा स्वराज ने सऊदी अरब की मदद से 4000 भारतीयों को जंग की धरा से सुरक्षित बाहर निकाला, चलाया ‘ऑपरेशन राहत’
Sushma Swaraj Passed away: दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का निधन हुआ है और उनकी उम्र 67 वर्ष की थी।
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की कद्दावर नेता सुषमा स्वराज का मंगलवार (06 अगस्त) की रात 11 बजे निधन हो गया। पूरे देश में उनके निधन की खबर फैलते ही शोक की लहर दौड़ गई। हर कोई उनको याद कर रहा है क्योंकि वह कइयों को नई जिंदगी देकर गई हैं। दरअसल, साल 2014 में देश की नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद उन्हें विदेश मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जिसको उन्होंने बखूबी निभाया।
ट्विटर के जरिए ‘मेडम सुषमा’ से बचाने की लगाई गुहार
नरेंद्र मोदी की पहली सरकार में बतौर विदेश मंत्री रहते हुए उन्होंने साल 2015 में 4000 भारतीयों को यमन से बाहर निकाला था, जिसके चलते उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई थी। उनके इस कदम के बाद विदेश में फंसा हर नागिरक ट्विटर के जरिए ‘मेडम सुषमा’ से खुद को बचाने की गुहार लगाने लगा था और उन्होंने उसे बचाने के हर संभव प्रयास भी किए।
बतात चलें कि साल 2015 में यमन में हूथी विद्रोहियों और सरकार के बीच लड़ाई छिड़ गई थी। इस दौरान करीब 4000 भारतीय वहां फंसे हुए थे, जिन्होंने तात्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से गुहार लगाई थी कि उन्हें यहां से जल्द-जल्द से निकाला जाए ताकि उनकी जान बच सके। भारतीयों की गुहार के बाद सुषमा स्वराज ने बिना देरी किए उन्हें बचाने के लिए गंभीरता दिखाई क्योंकि यमन में जंग इतनी बढ़ गई थी कि सऊदी अरब की सेना लगातार वहां बम गिरा रही थी।
सुषमा स्वराजः ‘ऑपरेशन राहत’ चलाया
सुषमा स्वराज ने यमन में फंसे 4000 भारतीयों को निकालने के लिए ऊदी अरब की मदद की मदद ली। इस दौरान भारतीय सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन राहत’ चलाया, जिसके जरिए भारतीयों को वतन लाने की कवायद शुरू की गई। ‘ऑपरेशन राहत’ 11 दिन तक चला और अदन बंदरगाह से 1 अप्रैल, 2015 को समुद्र के रास्ते 4000 भारतीयों को वतन वापस लाया गया।
सुषमा स्वराज का निधनः हृदय गति रुकने से हुआ
आपको बता दें कि दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का निधन हुआ है और उनकी उम्र 67 वर्ष की थी। एम्स के चिकित्सकों ने बताया कि हृदय गति रुकने से उनका निधन हो गया। आज दोपहर 3 बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
सुषमा स्वराज के इन साहसिक काम की वजह से दुनिया ठोकती थी सलाम
70 के दशक में भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़कर सियासी सफर शुरू करने वाली सुषमा स्वराज के नाम सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री बनने का रिकॉर्ड है. वह महज 25 साल की उम्र में 1977 में अंबाला छावनी विधानसभा क्षेत्र से हरियाणा विधानसभा के लिए विधायक का चुनाव जीतीं और चौधरी देवी लाल की सरकार में राज्य की श्रम मंत्री बनीं. उनके नाम दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड भी है. उन्होंने 12 अक्टूबर, 1998 को दिल्ली की पहली महिला सीएम के रूप में कार्यभार संभाला. हालांकि 3 दिसंबर, 1998 को उन्होंने अपनी विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया. वह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहीं. इसके बाद मोदी सरकार 1.0 में विदेश मंत्री रहीं. इस दौरान उन्होंने ट्विटर पर सक्रिय रहकर लोगों की खूब मदद की.
मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कराने में रहीं सफल
सुषमा स्वराज ने विदेश मंत्री के तौर पर कार्यभार संभालने के बाद से ही 13 दिसंबर, 2001 को भारत की संसद पर हुए आतंकी हमले के मास्टरमाइंड और पाकिस्तान से संचालित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कराने की कवायद शुरू कर दी. उनके प्रयासों का ही नतीजा था कि बार-बार चीन के अड़ंगा अड़ाने के बावजूद 1 मई, 2019 को मसूद को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कर दिया गया. इससे पहले फरवरी में सुरक्षा परिषद की 1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति में फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका की ओर से लाए गए प्रस्ताव पर चीन ने मसूद को बचाने के लिए तकनीकी रोक लगा रखी थी. सुषमा स्वराज की कूटनीति ही थी कि 1 मई, 2019 को चीन ने अडंगा नहीं अड़ाया.
सुषमा स्वराज के लिए पाकिस्तान ने खोला एयर स्पेस
भारत में नई सरकार बनने और नरेंद्र मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान ने बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद बंद किए अपने एयर स्पेस को पहली बार सुषमा स्वराज के लिए ही खोला था. लंबे तनाव के बाद भारत के साथ संबंधों को बेहतर करने की दिशा में जुटे पाकिस्तान ने सुषमा स्वराज की फ्लाइट को किर्गिस्तान जाने का रास्ता दिया.
सूडान से 150 और लीबिया से 29 भारतीयों को निकाला
सुषमा स्वराज ने दक्षिण सूडान में छिड़े गृह युद्ध के दौरान वहां फंसे भारतीयों की सुरक्षित वतन वापसी में बड़ी भूमिका निभाई. सूडान से भारतीयों को निकालने के लिए उन्होंने ‘ऑपरेशन संकटमोचन’ की शुरुआत की. इस ऑपरेशन के तहत दक्षिण सूडान में फंसे 150 से ज्यादा भारतीयों को बाहर निकाला गया. इसमें 56 लोग केरल के रहने वाले थे. इसके अलावा वह लीबिया में सरकार और विद्रोहियों के बीच छिड़ी जंग के दौरान 29 भारतीयों को वहां से सुरक्षित भारत लेकर आईं. हालांकि, इस दौरान एक भारतीय नर्स और उसके बेटे की मौत हो गई.
भटककर पाकिस्तान पहुंची गीता को लाईं भारत
महज 11 साल की उम्र में भटककर सरहद पार पाकिस्तान पहुंची मूक-बधिर भारतीय लड़की गीता को सुषमा स्वराज की कोशिशों के कारण ही भारत वापस लाया जा सका. गीता भारत आने के बाद सबसे पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मिली. कराची स्थित एधि फाउंडेशन में भारत के उच्चायुक्त ने सुषमा स्वराज की गीता से मुलाकात कराई थी. गीता की मदद का प्रयास कर रहे पाकिस्तान के मानवाधिकार कार्यकर्ता अंसार बर्नी गीता की तस्वीरें लेकर अक्टूबर, 2012 में भी भारत आए थे, लेकिन तब उन्हें सफलता नहीं मिली थी. इसके बाद सुषमा स्वराज की सक्रियता के चलते ही गीता भारत लौट पाईं.
सरहद पार से लगाई गई गुहार को भी दी पूरी तव्वजो
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान के लाहौर के उस नवजात शिशु को मेडिकल वीजा देना का भरोसा दिया, जो दिल की बीमारी से पीडि़त था. दरअसल उस बच्चे रोहान की मां ने सुषमा स्वराज से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था. इस पर सुषमा स्वराज ने ट्वीट कर कहा था कि हम भारत में रोहान के इलाज के लिए मेडिकल वीजा देंगे. रोहान की मां माहविश मुख्तान ने सुषमा स्वरात को ट्वीट किया था, ‘जब मैं बच्चे को सीने से लगाती हूं, वह मुस्कराता है. वह जानता है कि मेरे साथ वह महफूज है. वीजा देने में मदद करें.’ इससे पहले भी सुषमा स्वराज की पहल पर दो पाकिस्तानी नागरिकों को मेडिकल वीजा दिया गया था. कैंसर पीड़ित 25 वर्षीय फैजा तनवीर को 13 अगस्त, 2017 को, जबकि ढाई माह के बच्चे रोहन कंवल सिद्दीकी को जून, 2017 में मेडिकल वीजा दिया गया था. उसके दिल में छेद था.
युद्ध में फंसे इराक से 46 भारतीय नर्सों की कराई वतन वापसी
इराक में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) ने भारत की नर्सों को बंधक बना लिया था. इसके बाद तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भारतीय नर्सों की वतन वापसी के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कवायद शुरू की. उन्होंने इस पूरे मामले पर खुद नजर रखी और तब तक चैन से नहीं बैठीं जब तक सभी नर्सें सकुशल भारत नहीं पहुंच गईं. उन्हीं के प्रयासों का नतीजा था कि इराक से 46 भारतीय नर्सो सहित एयर इंडिया का विशेष विमान 5 जुलाई, 2014 की सुबह मुंबई पहुंचा. इसके बाद विमान कोच्चि पहुंचा, जहां सभी नर्सें अपने परिजनों से मिलीं.