सुप्रीम कोर्ट / महात्मा गांधी को भारत रत्न देने की याचिका खारिज, चीफ जस्टिस बोले- राष्ट्रपिता इस सम्मान से कहीं ऊपर

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा- हम आप से सहमत, आप सरकार के सामने प्रतिनिधि के तौर पर यह मांग रख सकते हैं 2012 में कर्नाटक हाईकोर्ट में भी महात्मा गांधी को भारत रत्न देने के लिए याचिका दायर हुई थी कोर्ट ने यह कह कर याचिका ठुकरा दी थी कि हो सकता है सरकार उन्हें सचिन तेंदुलकर के साथ न खड़ा करना चाहती हो

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को महात्मा गांधी को भारत रत्न दिए जाने की याचिका पर केंद्र सरकार को निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया। याचिका में मांग की गई थी कि महात्मा गांधी को भारत रत्न देने के लिए कोर्ट केंद्र सरकार को निर्देश दे। हालांकि, चीफ जस्टिस बोबडे ने इससे इनकार करते हुए कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रपिता हैं। उनका सम्मान किया जाना जरूरी है, लेकिन लोगों के मन में वे पहले ही भारत रत्न से कहीं ऊपर हैं। उन्हें इस तरह की किसी आधिकारिक पहचान की जरूरत नहीं।

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा था- हम इस मामले में दखल नहीं दे सकते

इससे पहले 2012 में भी कर्नाटक हाईकोर्ट में महात्मा गांधी को भारत रत्न देने के लिए याचिका दायर हुई थी। याचिका में मांग की गई थी कि कोर्ट गृह मंत्रालय को निर्देश दे कि वह भारत रत्न के लिए महात्मा गांधी के नाम पर विचार करे। याचिकाकर्ता के वकील ने 2014 में कोर्ट को बताया था कि गृह मंत्रालय से आरटीआई के जरिए जो जानकारी मिली उसके मुताबिक, गांधीजी को भारत रत्न देने के लिए पहले भी कई बार अपील हुई। इन मांगों को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को भी भेजा गया था।

वकील ने कहा था कि सरकार ने गांधीजी को भारत रत्न देने की मांगों पर कोई फैसला नहीं लिया। इस पर हाईकोर्ट की तरफ से कहा गया था कि शायद सरकार महात्मा गांधी को सचिन तेंदुलकर के साथ नहीं खड़ा करना चाहती। बेंच ने याचिका को रद्द करते हुए कहा था कि वह इस मामले में दखल नहीं दे सकती।

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