सबरीमाला केस / धर्मस्थलों पर महिलाओं से भेदभाव पर सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की संविधान पीठ आज सुनवाई के मुद्दे तय करेगी

संविधान पीठ मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश, दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय की महिलाओं के खतना से जुड़े मुद्दों पर सुनवाई कर रहा चीफ जस्टिस ने सबरीमाला मंदिर, मस्जिदों और पारसी अगियारी घर में महिलाओं के प्रवेश से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के लिए 10 दिन की अवधि तय की

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नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश समेत विभिन्न धर्मों के पवित्र स्थलों में महिलाओं से भेदभाव के मुद्दे पर सोमवार को सुनवाई के मुद्दे तय करेगी। चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली इस बेंच में कुल 9 जज शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश, दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय की महिलाओं के खतना और पारसी महिलाओं के गैर-पारसी से शादी करने पर अग्निमंदिर (पूजा स्थल) में जाने से रोक से जुड़े मुद्दों पर सुनवाई कर रहा है।

सीजेआई ने गुरुवार को कहा था कि अदालत सुनवाई के दौरान महिला अधिकारों, धार्मिक विश्वास जैसे बिंदु पर न्यायिक समीक्षा की गुजाइंश पर विचार करेगी। इससे पहले चीफ जस्टिस ने सबरीमाला मंदिर, मस्जिदों और पारसी अगियारी घर (पूजा-स्थल) में महिलाओं के प्रवेश की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के लिए 10 दिन की अवधि तय की थी।

धार्मिक आस्था और मौलिक अधिकारों से जुड़े 7 मुद्दों पर सुनवाई होगी

सुप्रीम कोर्ट ने 13 जनवरी को चार वरिष्ठ वकीलों से सुनवाई के मुद्दे तय करने के लिए कहा था। पिछले दिनों सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वकीलों ने इस पर चर्चा की, लेकिन वे किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सके, अब सुप्रीम कोर्ट ही इसे तय करे। संविधान पीठ केवल धार्मिक आस्था और मौलिक अधिकारों से जुड़े उन 7 मुद्दों पर सुनवाई करेगी, जो 5 जजों की पीठ ने सबरीमाला मंदिर मामले में सुनवाई के दौरान तय किए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश को मंजूरी दी थी

पिछले साल 14 नवंबर को सर्वोच्च अदालत की 5 जजों की बेंच ने इस मामले को बड़ी बेंच के पास भेजते हुए कहा था कि पूजा स्थल पर महिलाओं और लड़कियों के प्रवेश पर पाबंदी सिर्फ सबरीमला तक सीमित नहीं है। बल्कि मस्जिदों और पारसी महिलाओं के पवित्र अग्नि स्थल में प्रवेश को लेकर भी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर, 2018 को केरल के सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश को मंजूरी दी थी। सर्वोच्च अदालत के इस फैसले के खिलाफ केरल में काफी विरोध हुआ था। इस फैसले की समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल हुईं।

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