जालंधर. विधानसभा चुनाव के लिए रविवार को भाजपा की हरियाणा इकाई की तरफ से जारी संकल्प पत्र ने पंजाब में सियासी हलचल को जन्म दे दिया है। एक तरफ संकल्प पत्र जारी कते वक्त मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पंजाब का हवाला देते हुए बयान दिया कि पंजाब में सैलरी देने के लिए पैसा नहीं है और बात किसानों की कर्जमाफी की की जा रही है। इस पर पंजाब के कैबिनेट मंत्री साधु सिंह धर्मसोत ने कहा कि इसकी फिक्र मनोहर लाल को करने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा कि हमने केंद्र की भाजपा सरकार की मदद के बिना न सिर्फ किसानों के, बल्कि एससी-बीसी वर्ग के लोगों को भी कर्जमाफी का लाभ दिया है। धर्मसोत ने कहा, भाजपा ने हरियाणा को पानी देने के लिए एसवाईएल का निर्माण कराने की बात की, पर सच्चाई ये है कि न तो एसवाईएल बनी है और न बनेगी। दूसरी ओर फतेहाबाद में चुनाव प्रचार के दौरान पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल ने कहा कि सरकार बनने वाली नहीं है, भाजपा विपक्ष में बैठेगी।
दरअसल, बीते दिनों हरियाणा के कालांवाली से शिरोमणि अकाली दल के इकलौते विधायक बलकौर सिंह ने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर ली थी। इसके बाद भाजपा के साथ पंजाब में सहयोगी राजनैतिक पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने इसे गठबंधन धर्म के खिलाफ बताया था। हालांकि भाजपा नेताओं ने साफ तौर पर कहा था कि भाजपा का शिअद के साथ गठबंधन सिर्फ पंजाब में है, हरियाणा में नहीं। ऐसे में गठबंधन की मार्यादा भंग करने या विश्वासघात जैसी कोई बात उठती ही नहीं है।
राजनैतिक गलियारों में चर्चा बनी कि यह पंजाब में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर भी नकारात्मक असर डाल सकता है। भले ही शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल ने उस वक्त पंजाब की राजनीति पर असर पड़ने की बात से इनकार कर दिया था, पर अब रविवार को फिर से विवाद खड़ा हो गया। फतेहाबाद में इनेलो-शिअद प्रत्याशी के प्रचार में आए पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादल से मीडिया ने भाजपा के संकल्प पत्र के बारे में सवाल किया तो सुखबीर ने पहले तो कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन फिर बोले कि हरियाणा में सरकार बनाने का सपना देख रही भाजपा को विपक्ष में बैठना पड़ेगा।
इस टिप्पणी के बाद एक बार फिर भाजपा और शिअद के नेताओं में बहस छिड़ गई है। भाजपा नेता चरणजीत ग्रेवाल ने सुखबीर बादल को अपनी जुबान पर संयम रखने की हिदायत दे डाली। वहीं, शिअद के प्रवक्ता चरणजीत सिंह बराड़ से बात करने पर उन्होंने कहा कि राज्य के हिसाब से पाटियों की राहें जुदा हैं तो नेताओं के बयान भी जुदा ही आएंगे। इसमें कोई विवाद की बात ही नहीं है।