डा. जसवाल ने पत्रकारों को बताया कि दिल की नाडिय़ां बंद होने के कारण मरीज को तीन वर्ष पहले डाक्टरों ने बाई पास सर्जरी (आप्रेशन) की सलाह दी थी, पर उसने सर्जरी नहीं करवाई। इसके बाद मरीज कोविड-19 का शिकार हो गया तथा कमजोर हो गया। मरीज कैंसर रोग से भी पीडि़त था, इसलिए ऐसी हालत में उसकी बाईपास सर्जरी संभव नहीं थी।
डा. आर.के. जसवाल ने अपने अनुभव से रोटाब्लेशन टेक्नोलॉजी से मरीज का इलाज करने का फैसला लिया। इसलिए उनके दिल को खून भेजने वाली नाडिय़ों को रोटेशनल अथरेकटोमी तकनीक से खोला।
डा. जसवाल ने बताया कि यह इलाज फोर्टिस अस्पताल मोहाली में ही संभव है, जिसको बोस्टन साइंटेफिक ने सर्वोत्तम केंद्र (सेंटर आफ एक्सीलेंस) घोषित किया हुआ है। डा. जसवाल ने बताया कि जब उनके पास यह मरीज आया तो उसकी हाल बहुत गंभीर थी। उनकी बंद नाडिय़ों में जमा हुआ पथरी नुमा पदार्थ तोडक़र स्टेंट डाले गए तथा मरीज अब बिल्कुल ठीक-ठाक है तथा उसको स्वस्थ होने बाद छुट्टी दे दी गई।
इस टेक्नोलॉजी के बारे बताते हुए डा. जसवाल ने कहा कि पिछले कई वर्षों से दिल की बीमारियों के माहिर अपने अनुभव व मरीज की हालत को ध्यान में रखकर इलाज का फैसला लेते हैं तथा वह फोर्टिस अस्पताल मोहाली को दिल के रोगों के इलाज का एडवांस सेंटर बनाने की कोशिश कर रहे हैं।