राजस्थान में ऑडियो के बाद वीडियो पर बवाल, BJP ने की स्पीकर के इस्तीफे की मांग
विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी और वैभव गहलोत की मुलाकात पर भारतीय जनता पार्टी हमलावर है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने स्पीकर सीपी जोशी का इस्तीफा मांगा है.
- स्पीकर सीपी जोशी और वैभव गहलोत की मुलाकात पर बवाल
- बीजेपी का निशाना- पक्ष ले रहे स्पीकर, पद छोड़ दें
राजस्थान की सियासत में पहले ऑडियो टेप ने विवाद पैदा किया और अब एक वीडियो पर नया बवाल छिड़ गया है. विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत के बीच बातचीत के वीडियो पर भारतीय जनता पार्टी हमलावर हो गई है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि स्पीकर को नैतिकता के आधार पर पद छोड़ देना चाहिए.
प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि जिस तरह की बातचीत वीडियो टेप में हमने सुनी है, उससे ऐसा लगता है कि विधानसभा अध्यक्ष कांग्रेस पार्टी से आते हैं और पार्टी के लिए पक्षपात कर रहे हैं जो कि एक स्पीकर को शोभा नहीं देता है. बीजेपी नेता ने कहा कि स्पीकर संजीदा व्यक्ति हैं और ऐसे व्यक्ति पर जब इस तरह के सवाल उठे तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.
बीजेपी नेता सतीश पूनिया बोले कि वह किसी सामान्य व्यक्ति से बात नहीं कर रहे हैं बल्कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे से बात कर रहे हैं. ऐसे में साफ लगता है कि वह कांग्रेस का साथ दे रहे हैं, जबकि संविधान के अनुसार विधानसभा अध्यक्ष को निष्पक्ष रहना चाहिए.
बीजेपी नेता ने कहा कि एक तरफ विधानसभा अध्यक्ष हाईकोर्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए हैं कि हाई कोर्ट उनके विधायकों के नोटिस देने के मामले में लक्ष्मण रेखा पार कर रहा है और दूसरी तरफ वह खुद ही सारी मर्यादा तोड़ कर इस तरह से 30 विधायकों के उधर चले जाने और सरकार बचा लेने की बातचीत कर रहे हैं.
दरअसल, स्पीकर सीपी जोशी और वैभव गहलोत की मुलाकात का एक वीडियो आया है. जिसमें स्पीकर कह रहे हैं कि अभी हालात मुश्किल हैं. अगर 30 आदमी निकल जाते हैं तो आप कुछ नहीं कर सकते, वो सरकार गिरा देते.
वीडियो की इस बातचीत पर बवाल…
स्पीकर सीपी जोशी- मामला टफ है बहुत अभी
वैभव गहलोत- राज्यसभा चुनाव के बाद 10 दिन निकाला फिर वापस रखा.
स्पीकर सीपी जोशी- 30 आदमी निकल जाते हैं तो आप कुछ नहीं कर सकते. हल्ला करके रह जाते, वो सरकार गिरा देते. अपने हिसाब से उन्होने कांटैक्ट किया इसलिए हो गया. दूसरे के बस की बात नहीं थी.
राजस्थान में 14 अगस्त से विधानसभा का सत्र, सरकार के प्रस्ताव को राज्यपाल की मंजूरी
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने गहलोत सरकार के विधानसभा सत्र बुलाने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है. गहलोत सरकार ने राज्यपाल से 14 अगस्त से विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की थी. इससे पहले सत्र बुलाने को लेकर गहलोत कैबिनेट की बैठक हुई थी, जिसमें 14 अगस्त से विधानसभा सत्र बुलाने के लिए प्रस्ताव पास किया गया. प्रस्ताव को राज्यपाल के पास भेजा गया था जो उन्होंने स्वीकार कर लिया है.
राजभवन की ओर से जारी बयान में कहा गया कि राज्यपाल कलराज मिश्र ने राजस्थान विधानसभा के सत्र को 14 अगस्त से आरंभ करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है. राज्यपाल ने राजस्थान विधानसभा के सत्र के दौरान कोविड-19 से बचाव के लिए आवश्यक प्रबंध किए जाने के निर्देश मौखिक रूप से दिए हैं.
बता दें कि विधानसभा सत्र बुलाए जाने को लेकर बीते कुछ दिनों से राज्यपाल और सीएम गहलोत में जंग जारी थी. सीएम गहलोत जहां सत्र बुलाने पर अड़े थे तो वहीं राज्यपाल सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दे रहे थे. गहलोत गुट के विधायकों ने तो राजभवन में धरना भी दिया था. जिसके बाद राज्यपाल ने सीएम गहलोत के नाम एक खत लिखा था.
राज्यपाल की ओर से मांग को न माने जाने पर सीएम गहलोत ने पीएम मोदी से बात भी की थी. उन्होंने पीएम को राज्यपाल कलराज मिश्र के बर्ताव के बारे में बताया. इसके अलावा गहलोत कई मौके पर राज्यपाल पर निशाना भी साधे.
चौथी बार भेजा गया प्रस्ताव
गहलोत सरकार की ओर से तीन बार प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा गया था. बुधवार को ये चौथा प्रस्ताव था. पहली बार में कोरोना का मसला उठाने के साथ ही राज्यपाल ने कुछ सवाल पूछे थे. दूसरे प्रस्ताव में सही जानकारी और सवालों का जवाब ना होने पर लौटा दिया गया. तब राज्यपाल की ओर से जवाब में कहा गया कि विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए 21 दिनों का नोटिस चाहिए.