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राष्ट्रपति शासन की ओर महाराष्ट्र
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शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी नहीं बना सकी सरकार
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शिवसेना को राज्यपाल ने नहीं दिया और समय
महाराष्ट्र राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ता दिख रहा है. भारतीय जनता पार्टी जब राज्य में सरकार नहीं बना सकी थी तो राज्यपाल ने रविवार को शिवसेना को सरकार बनाने का मौका दिया था और 24 घंटे में समर्थन जुगाड़ करने को कहा था, लेकिन शिवसेना बहुमत के लिए जरूरी 145 विधायकों का समर्थन जुगाड़ नहीं कर पाई. इसके बाद राज्यपाल ने अगले 24 घंटे में एनसीपी को सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत जुगाड़ करने को कहा है.
बता दें कि शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने सोमवार शाम राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की और सरकार बनाने के लिए दी गई समय सीमा को 48 घंटे और बढ़ाने की मांग की, लेकिन राज्यपाल ने शिवसेना को समय देने से इनकार कर दिया. इसके साथ ही महाराष्ट्र में दो पार्टियां सरकार बनाने में विफल रही हैं. ये पार्टी है बीजेपी जो कि 105 सीटें जीतकर राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनी है. जबकि दूसरी पार्टी है शिवसेना, जिसके 56 विधायक चुनाव जीते हैं. इसी के साथ ही अब राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने के आसार बन रहे हैं.
फिलहाल राजभवन से जारी एक बयान में कहा गया है कि सोमवार शाम को शिवसेना का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिला और सरकार बनाने की इच्छा जताई, लेकिन शिवसेना जरूरी विधायकों का समर्थन पत्र राज्यपाल को नहीं सौंप सकी. राज्यपाल की ओर से कहा गया है कि शिवसेना ने मांग की कि समर्थन जुटाने के लिए दी गई समय सीमा तीन दिनों तक कर दी जाए. लेकिन राज्यपाल ने शिवसेना को और समय सीमा देने में असमर्थता जताई.
बीजेपी-शिवसेना के बाद NCP को मौका
इधर एनसीपी नेता अजित पवार ने कहा कि उन्हें कुछ देर पहले राज्यपाल का फोन आया है. सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल ने दो प्रयास फेल होने के बाद अब एनसीपी को सरकार बनाने के लिए 24 घंटे में समर्थन जुगाड़ करने को कहा है. एनसीपी महाराष्ट्र की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है और उसके पास 54 विधायक है. जबकि कांग्रेस के पास 44 विधायक हैं. दोनों दलों के पास कुल मिलाकर 98 विधायक हैं, जबकि सरकार बनाने के लिए 145 विधायक चाहिए. अगर एनसीपी भी सरकार बनाने में फेल रहती है तो राज्य में राष्ट्रपति शासन का रास्ता और भी साफ हो जाएगा.
दरअसल सोमवार को तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम में कांग्रेस एक बार तो शिवसेना को समर्थन देने को तैयार दिख रही थी. खबरें आई थी कि कांग्रेस समर्थन के एवज में स्पीकर का पद मांग सकती है, लेकिन जैसे ही दिल्ली में 10 जनपथ में कांग्रेस की बैठक खत्म हुई सारे समीकरण बदल गए. कांग्रेस ने कहा कि उसने अभी शिवसेना को समर्थन देने पर कोई फैसला नहीं लिया है. कांग्रेस ने कहा कि सोमवार को सोनिया गांधी और शरद पवार के बीच बात हुई है और इस मुद्दे पर आगे भी दोनों नेताओं के बीच बात होगी. कांग्रेस ने इस मामले में आगे कुछ भी नहीं कहा. जबकि उम्मीद की जा रही थी कि कांग्रेस रात तक शिवसेना को अपना समर्थन पत्र सौंप सकती है.
जयपुर में एक रिजॉर्ट में ठहरे कांग्रेस के विधायक भी शिवसेना के साथ सरकार में शामिल होने पर तैयार दिख रहे थे. सोनिया से बातचीत में कांग्रेस के विधायकों ने ऐसी इच्छा जताई थी.
महाराष्ट्र में किसकी सरकार बनेगी? बन भी पाएगी या नहीं? क्या महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगेगा? शिवसेना अगर एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिल कर सरकार बना भी लेती है तो सीएम कौन होगा? ये सभी वो सवाल हैं जिनका जवाब शायद वक्त ही दे सकता है. महाराष्ट्र की राजनीति में फिलहाल कुछ है तो सिर्फ कनफ्यूजन.
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने पहले भाजपा को सरकार बनाने का न्योता दिया क्योंकि भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी है. इसके बाद शिवसेना को न्योता दिया गया और अब एनसीपी को सरकार बनाने का न्योता दिया गया है. इसके बाद भी साफ नहीं है कि सरकार बन भी पाएगी या नहीं.
आपको बता दें कि महाराष्ट्र में 288 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी ने 105 और शिवसेना ने 56 सीटें जीती थीं. वहीं एनसीपी ने 54 सीट और कांग्रेस 44 सीटें जीती थीं. सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 145 है. यानि वो पार्टी सरकार बनाएगी जिसके पास 145 विधायकों का समर्थन है.
पहले ये तय माना जा रहा था कि बीजेपी और शिवसेना मिल कर सरकार बनाएंगी. लेकिन 50-50 फॉर्मूले पर बात अटक गई. शिवसेना चाहती थी कि ढाई साल के लिए सीएम पद उसे मिले और ढाई साल के लिए सीएम का पद भाजपा को मिले.
लेकिन भाजपा की ओर से सीएम पद के चेहरे देवेंद्र फडणवीस ने एक प्रेसवार्ता में साफ कहा कि ऐसी कोई डील कभी हुई ही नहीं थी. इस बयान के बाद ये तय हो गया था कि दोनों पार्टियों के रास्ते अब अलग हो चुके हैं और ऐसे में संजय राउत ने एनसीपी नेता शरद पवार से मुलाकात भी की थी.
इस मुलाकात के बाद ये भी साफ था कि शिवसेना अब एनसीपी के साथ मिल कर सरकार बनाने पर विचार कर रही है. देखना ये था कि कांग्रेस कैसे इस गठबंधन का हिस्सा बनेगी. लेकिन आज खबर आई कि उद्धव ठाकरे ने सोनिया गांधी से फोन पर बात की है.
ऐसा लगने लगा था कि अब शिवसेना की सरकार बन जाएगी लेकिन थोड़ी देर बाद ही कांग्रेस ने एक बयान जारी कर दिया और कहा कि एनसीपी के साथ अभी बातें जारी हैं. ऐसे में राज्यपाल कोश्यारी से मिलने पहुंचे आदित्य ठाकरे को दावा साबित करने के लिए दो दिन का वक्त नहीं मिल पाया.
अब देखना होगा कि आगे क्या होगा? महाराष्ट्र की राजनीति की इस उठापठक से आखिर क्या निकलेगा? सरकार कैसे बनेगी और कैसे दूर होगा कई दिनों से जारी कन्फ्यूजन.