-
सबरीमाला मामले को पुनर्विचार के लिए 7 न्यायमूर्तियों की पीठ को भेजा गया
-
सुप्रीम कोर्ट ने हटा दी थी सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी
सबरीमाला मंदिर को मंडला पूजा के लिए शनिवार शाम पांच बजे खोल दिया गया है. पिछली बार छावनी में तब्दील रहे सबरीमाला मंदिर में इस बार शांति है. हालांकि शनिवार को केरल पुलिस ने 10 महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में अंदर जाने से रोक दिया है.
पुलिस ने इनके पहचान पत्र को देखने के बाद सबरीमाला मंदिर के अंदर जाने नहीं दिया. यह मामला उस समय सामने आया है, जब सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी को हटा रखा है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में सबरीमाला पर 28 सितंबर 2018 के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है, जिसको 7 न्यायमूर्तियों की बड़ी बेंच को भेज दिया गया है.
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि अगले फैसले तक सबरीमाला में सभी उम्र की महिलाओं का प्रवेश जारी रहेगा. वहीं, सबरीमाला मंदिर की परंपरा के अनुसार 10 से 50 साल के बीच की उम्र की महिलाओं का मंदिर में प्रवेश वर्जित है.
जिन महिलाओं को सबरीमाला मंदिर के अंदर जाने से रोका गया है, उनमें से तीन महिलाएं आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा से आई थीं और श्रद्धालुओं के पहले जत्थे का हिस्सा थीं. केरल पुलिस ने पंबा बेस कैम्प में पहचान पत्र देखने के बाद इन महिलाओं को रोक दिया.
सूत्रों के मुताबिक पुलिस को शक था कि तीनों महिलाओं की उम्र 10-50 साल के बीच है, जिसके चलते उनको श्रद्धालुओं के जत्थे से अलग कर दिया गया. सूत्रों का कहना है कि जब तीनों महिलाओं को मंदिर की परंपरा के बारे में बताया गया, तो वो वापस जाने को राजी हो गईं. वहीं, जत्थे में शामिल बाकी लोग आगे बढ़ गए.
पिछली बार छावनी में तब्दील था सबरीमाला मंदिर
इस तरह एक साल पहले छावनी में तब्दील रहे सबरीमाला मंदिर में शनिवार को शांति रही. वहीं, सबरीमाला मामले को सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच को भेजने के बाद केरल सरकार ने स्पष्ट किया कि वह महिलाओं को दर्शन के लिए सबरीमाला मंदिर में ले जाने के लिए कोई कदम नहीं उठाएगी. पिछले साल केरल पुलिस ने महिलाओं को सुरक्षा प्रदान की थी, जिसका दक्षिणपंथी ताकतों के कार्यकर्ताओं ने कड़ा विरोध किया था और उन्हें वहां से भगा दिया था.