कोरोना इफेक्ट: लोअर सर्किट के बाद शेयर बाजार में रिकॉर्ड उछाल, सेंसेक्स 1000 अंक मजबूत
कोरोना वायरस की वजह से ग्लोबल शेयर बाजारों में बवंडर मचा हुआ है. इस वजह से भारतीय शेयर बाजार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है.
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मई 2008 में शेयर बाजार कुछ देर के लिए बंद कर दिया गया था
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10% या अधिक की गिरावट पर बाजार में ट्रेडिंग रोक दी जाती है
मुबंई। दुनियाभर में कोरोना वायरस खतरनाक रूप ले चुका है. इस वजह से ग्लोबली शेयर बाजारों में भी गिरावट का दौर जारी है.सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन सेंसेक्स और निफ्टी 10 फीसदी से अधिक लुढ़क गया और इस वजह से 45 मिनट के लिए ट्रेडिंग रोकनी पड़ी. मतलब ये कि इस दौरान शेयर बाजार में कारोबार नहीं हुआ.
BSE 250 स्मॉलकैप को छोड़कर अन्य इंडेक्स में बढ़त।
– हालांकि, रोक की अवधि खत्म होने के बाद सुबह 10.20 बजे एक बार फिर शेयर बाजार में ट्रेडिंग शुरू हुई. इसके 3 घंटे में सेंसेक्स और निफ्टी में जबरदस्त उतार-चढ़ाव दिखा.
– दोपहर 12.40 बजे के बाद सेंसेक्स 1000 अंक मजबूत हो गया तो वहीं निफ्टी ने 200 अंक से अधिक की बढ़त देखी. इस दौरान सेंसेक्स 33 हजार 400 अंक के पार कर गया. अगर निफ्टी की बात करें तो ये 9 हजार 800 अंक के स्तर पर पहुंच गया.
दोपहर 12.45 के बाद सेंसेक्स का हाल
– इससे पहले दोपहर 12.10 बजे सेंसेक्स करीब 360 अंक की बढ़त के साथ 33 हजार 130 अंक पर कारोबार करता दिखा. इसी तरह, निफ्टी 100 अंक की तेजी के साथ 9700 अंक को पार कर गया. बता दें कि शेयर बाजार के इतिहास में ये सबसे बड़ी रिकवरी है.
सुबह 11.10 बजे सेंसेक्स का हाल
– वहीं सुबह 10.05 बजे दोबारा प्री-ओपन में करीब 3300 अंक की फिसलन के बाद सेंसेक्स निचले स्तर से रिकवर होता दिखा. मतलब ये कि सेंसेक्स में सुधार हुआ. इसी तरह निफ्टी भी निचले स्तर से रिकवर होता दिखा. सुबह 10.30 बजे सेंसेक्स 1300 अंक लुढ़क कर 31 हजार 400 अंक के नीचे था. वहीं निफ्टी की बात करें तो 500 अंक की गिरावट के साथ 9 हजार 230 अंक पर था.
45 मिनट के लिए रोकी गई ट्रेडिंग
सुबह 9.15 बजे शेयर बाजार खुलने के कुछ देर बाद 45 मिनट के लिए ट्रेडिंग रोक दी गई थी. बीते 12 साल में पहली बार है जब शेयर बाजार में ट्रेडिंग रोकी गई है. इससे पहले मई 2008 में भी शेयर बाजार कुछ देर के लिए बंद कर दिया गया था. तब ग्लोबली आर्थिक मंदी का दौर था और भारत में भी इसके संकेत मिल रहे थे.
स्टॉक एक्सचेंज के नियमों के मुताबिक 1 बजे से पहले शेयर बाजार में फिर से 15 फीसदी तक की गिरावट आई तो 1.45 घंटे तक ट्रेडिंग रोक दी जाएगी. स्टॉक एक्सेंज की भाषा में अब 15 फीसदी का लोअर सर्किट होगा. यहां आपको बता दें कि शेयर बाजार में 10 फीसदी या उससे अधिक की गिरावट आती है, तो उसमें लोअर सर्किट लग जाता है और ट्रेडिंग कुछ देर के लिए रोक दी जाती है.
क्यों रोकी जाती है ट्रेडिंग?
दरअसल, दलाल स्ट्रीट में निवेशकों के निवेश को सुरक्षित रखने के लिए ट्रेडिंग पर रोक लगा दी जाती है. इससे निवेशकों के नुकसान का संकट ज्यादा गहरा होने से बच जाता है. बता दें कि जब ट्रेडिंग रोकी गई थी तब सेंसेक्स 3090.62 अंक लुढ़क कर 29,687.52 अंक पर था. वहीं निफ्टी की बात करें तो यह 966.10 की गिरावट के साथ 8,624.05 अंक पर था. इस बीच, रुपया भी ऑल टाइम लो पर पहुंच गया है. डॉलर के मुकाबले यह 74.50 रुपया पर कारोबार करता दिखा.
ट्रेडिंग रोकने के वक्त सेंसेक्स का हाल
बीएसई इंडेक्स की 30 कंपनियों का हाल
गुरुवार को भी हालात थे खराब
कोरोना वायरस के मामले बढ़ने की वजह से भारतीय शेयर बाजार में गुरुवार को भी दहशत का माहौल रहा. इस दिन सेंसेक्स 2,919.26 अंक टूटकर 32,778.14 अंक पर बंद हुआ. वहीं निफ्टी 868.25 अंक लुढ़क कर 9,590.15 अंक पर रहा. कारोबार के दौरान तो सेंसेक्स 3200 अंक तक नुकसान में रहा, वहीं निफ्टी में भी करीब 1000 अंक की गिरावट दर्ज की गई. एक वक्त ऐसा लग रहा था जब बाजार में लोअर सर्किट लग जाएगा. बहरहाल, घरेलू शेयर बाजारों में मची अफरातफरी के बीच निवेशकों की 11 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डूब गई.
US में 15 मिनट के लिए रोकनी पड़ी ट्रेडिंग
कोरोना वायरस के संकट की वजह से अमेरिकी शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक डाउ जोन्स और एसएंडपी ने ऐतिहासिक गिरावट देखी. शुरुआती कारोबार में डाउ जोन्स की गिरावट देखते हुए ट्रेडिंग 15 मिनट के लिए ट्रेडिंग रोक देनी पड़ी. मतलब ये कि अमेरिकी शेयर बाजार में 15 मिनट के लिए किसी भी तरह का कारोबार नहीं हुआ. अंत में डाउ जोन्स 10 फीसदी यानी 2,352.60 अंक लुढ़क कर 21,200.62 अंक के स्तर पर बंद हुआ. ये 1987 के बाद का सबसे खराब प्रदर्शन है. इसी तरह, एसएंडपी 9.5 फीसदी लुढ़क कर बंद हुआ.
यस बैंक का क्या है हाल?
इस बीच, शेयर बाजार में लोअर सर्किट के वक्त यस बैंक के शेयर में 9.58 फीसदी की गिरावट रही और यह 22.65 रुपये के भाव पर आ गया. हालांकि दोबार बाजार खुलने के बाद यस बैंक के शेयर 1 फीसदी तक रिकवर हुए और यह करीब 26 रुपये के भाव पर आ गया.
बता दें कि बीते गुरुवार को यस बैंक के दो दिनों की तेजी पर ब्रेक लग गया और यह 13.02 फीसदी लुढ़क कर 25.05 रुपये पर बंद हुआ. बता दें कि शुक्रवार यानी आज मोदी सरकार के कैबिनेट की बैठक में बैंक के रिस्ट्रक्चर प्लान को मंजूरी दे दी गई है.
सेंसेक्स के इतिहास में अब तक 4 बार लोअर सर्किट लग चुका है
- सबसे पहला मौका 21 दिसंबर 1990 में आया था, जब सेंसेक्स में 16.19% की गिरावट दर्ज की गई थी। इस गिरावट के बाद शेयर बाजार 1034.96 के स्तर पर पहुंच गया था।
- सेंसेक्स में दूसरी सबसे बड़ी गिरावट 28 अप्रैल 1992 में आई थी। तब सेंसेक्स में 12.77% की गिरावट दर्ज की गई थी। उस दिन शेयर बाजार 3896.90 के स्तर पर बंद हुआ था।
- तीसरा मौका था 17 मई 2004 में आया, जब शेयर बाजार में 11.14% की गिरावट दर्ज की गई। तब शेयर बाजार 4505.16 के स्तर पर जाकर बंद हुआ था।
- 24 अक्टूबर 2008 को सेंसेक्स में 10.96% की गिरावट दर्ज की गई थी। उस दिन शेयर बाजार 8701.07 के स्तर पर बंद हुआ था।
30 साल में बाजार की एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट
तारीख | सेंसेक्स बंद हुआ | कितने % गिरा |
21-12-1990 | 1034 | 16.19% |
28-04-1992 | 3896 | 12.77% |
17-05-2004 | 4505 | 11.14% |
24-10-2008 | 8701 | 10.96% |
12-05-1992 | 3086 | 9.76% |
19-01-1990 | 710 | 8.92% |
06-05-1992 | 3560 | 8.41% |
30-11-90 | 1196 | 8.30% |
31-03-1997 | 3360 | 8.26% |
12-03-2020 | 32778 | 8.18% |
13-03-2020 | 29184 (सर्किट लगने के समय) | 10.7% |
13 मार्च को बाजार 3600 अंक यानी 10.7% तक गिर गया। हालांकि आधे घंटे में ही संभल गया।
कोरोना के कहर ने हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को फिर दलाल स्ट्रीट पर कोहराम मचाया. सेंसेक्स शुरुआती कारोबार के दौरान 3200 अंक से ज्यादा टूटकर 29,600 के नीचे आ गया और निफ्टी भी 966 अंक लुढ़ककर 8,624 के स्तर पर आ गया. बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 9.21 बजे पिछले सत्र से 3,171.58 अंकों यानी 9.68 फीसदी की गिरावट के साथ 29,606.56 पर कारोबार कर रहा था जबकि इससे पहले सेंसेक्स कमजोरी के साथ 32,214.13 पर खुला और 29,564.58 तक लुढ़का.
इसी प्रकार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी पिछले सत्र से 966.10 अंकों की गिरावट के साथ 8,64.05 पर आ गया. इसके बाद एक घंटे के लिए कारोबार बंद हो गया और सेंसेक्स-निफ्टी दोनों में सर्किट लगा.
ये पहला मौका नहीं है जब भारतीय शेयर बाजार में इतनी बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. इससे पहले भी कई बार ऐसे मौके आए हैं जब घरेलू स्टॉक मार्केट में भारी गिरावट दर्ज की गई.
कब कब आई गिरावट
145 साल के हो चुके बीएसई में बीते 12 सालों में 5 सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की जा चुकी है. बीते 12 सालों में कई बड़ी गिरावट के बारे में यहां जानें-
12 मार्च 2020
12 मार्च 2020 को शेयर बाजार में तबाही का मंजर देखने को मिला था. बाजार में जबरदस्त गिरावट से निवेशकों में कोहराम मच गया और इंवेस्टर्स के 9 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा डूब गए. बीएसई का 30 शेयरों वाला इंडेक्स सेंसेक्स 2919.26 अंक पर जाकर बंद हुआ.
9 मार्च 2020
कोरोना वायरस के कहर के चलते वैश्विक बाजार में छाई सुस्ती और यस बैंक की वजह से पैदा हुए संकट के कारण 9 मार्च 2020 को सेंसक्स में 1942 अंकों की गिरावट दर्ज की गई.
24 अगस्त 2015
24 अगस्त 2015 को बाजार में बेहद बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी. तब सेंसेक्स में एक दिन में 1625 अंकों की गिरावट दर्ज की गई थी. इस गिरावट का कारण वैश्विक बाजारों में गिरावट और डॉलर के मुकाबले रुपया का गिरना था.
28 फरवरी 2020
28 फरवरी 2020 को कोरोना वायरस बढ़ने की आशंका के चलते बाजार बुरी तरह से लुढ़क गया और सेंसेक्स में 1448 अंकों तक की गिरावट दर्ज की गई थी.
21 जनवरी 2008
21 जनवरी 2008 को बाजार के इतिहास की बड़ी गिरावट देखी गई. इस गिरावट के चलते सेंसेक्स 1408 अंकों तक टूट गया था. तब इस गिरावट का मुख्य कारण वैश्विक मंदी के कारण दुनियाभर के बाजारों में आई गिरावट को माना गया था.
BSE का इतिहास
बीएसई को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के नाम से भी जानते हैं. यह एशिया का सबसे पुराना शेयर बाजार है जिसको 1875 में स्थापित किया गया था. भारत के पूंजी बाजार के विकास में बीएसई का अहम रोल रहा है. बीएसई की शाखाएं राष्ट्रीय स्तर फैली हुई हैं. बीएसई का इतिहास बहुत ही समृद्ध माना जाता है.