मोटेरा दुनिया का पहला ऐसा क्रिकेट स्टेडियम जहां 11 मल्टीपल पिच; भारत-इंग्लैंड के बीच 2 टेस्ट और 5 टी20 मैच यहां खेले जाएंगे
गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के ज्वाइंट सेक्रेटरी अनिल पटेल ने बताया, 'मोटेरा की 11 पिच में से 5 के निर्माण में लाल मिट्टी और बाकी 6 में काली मिट्टी का इस्तेमाल किया गया है। मोटेरा में मेन ग्राउंड के अलावा, दो प्रैक्टिस ग्राउंड भी हैं। दोनों में 9-9 मल्टीपल पिच हैं। इनमें भी 5 पिचें लाल मिट्टी और 4 काली मिट्टी से बनाई गई हैं।'
नई दिल्ली। इंग्लैंड की क्रिकेट टीम भारत दौरे पर आ चुकी है। अगले दो महीनों में दोनों टीमों के बीच चार टेस्ट, 5 टी20 और 3 वनडे मैचों की सीरीज खेली जाएगी। टेस्ट सीरीज का तीसरा और चौथा मैच अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में खेला जाएगा। ये टेस्ट मैच 24 फरवरी और 4 मार्च से खेले जाएंगे। इसके बाद सभी पांच टी20 भी मोटेरा में ही खेले जाएंगे। दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम होने के अलावा मोटेरा की एक खासियत यह भी है कि यह दुनिया का अकेला ऐसा मैदान हैं, जहां 11 मल्टीपल पिच हैं।
गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के ज्वाइंट सेक्रेटरी अनिल पटेल ने बताया, ‘मोटेरा की 11 पिच में से 5 के निर्माण में लाल मिट्टी और बाकी 6 में काली मिट्टी का इस्तेमाल किया गया है। मोटेरा में मेन ग्राउंड के अलावा, दो प्रैक्टिस ग्राउंड भी हैं। दोनों में 9-9 मल्टीपल पिच हैं। इनमें भी 5 पिचें लाल मिट्टी और 4 काली मिट्टी से बनाई गई हैं।’
इस वैरायटी से कैसी भी पिच बनाने में सक्षम
अनिल पटेल बताते हैं, ‘दुनिया में किसी भी स्टेडियम में पिचों की इतनी वैरायटी नहीं है। यानी काली और लाल मिट्टी की ऐसी वैरायटी वाली पिचें सिर्फ मोटेरा स्टेडियम में ही है। इस पिच के निर्माण से हमने साबित कर दिया कि अब हम किसी भी तरह की पिच बनाने में सक्षम हैं।’
मेलबर्न में ड्रॉप-इन पिच के कारण कम हो गई पिचों की संख्या
इससे पहले सबसे ज्यादा मल्टीपल पिच का रिकॉर्ड ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (MCG) के नाम पर दर्ज था। एक समय वहां 10 पिचें थीं, लेकिन अब 7 पिचों के लिए ही जगह बची हैं। क्योंकि, अब मेलबर्न में ड्रॉप-इन पिच का चलन शुरू हो गया है, यानी पिच को मैदान पर नहीं बनाया जाता, बल्कि बाहर बनाकर उसे मैच के लिए मैदान पर फिट कर दिया जाता है। MCG में क्रिकेट के अलावा रग्बी और फुटबॉल के मुकाबले भी होते हैं। इसलिए पिचों को खराब होने से बचाने के लिए उन्हें बाहर ही बनाया जाता है और जब मैच नहीं होते हैं तो उन्हें बाहर ही रखा जाता है।
लाल मिट्टी से कैसी पिच बनती है?
लाल मिट्टी पिच पर घास को जल्दी उगने में मदद करती है। इस मिट्टी में उगी घास से फास्ट बॉलर्स को विकेट पर सीम मूवमेंट मिलती है और बाउंस की बैलेंसिंग भी बनी रहती है। इससे बॉल पिच पर अच्छी जिप के साथ टर्न होती है। मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम की पिच में भी लाल मिट्टी का उपयोग किया गया है।
काली मिट्टी से कैसी पिच बनती है?
काली मिट्टी पानी को जल्दी सोखती है। इससे जब पिच पर पानी डाला जाता है तो मिट्टी सॉफ्ट हो जाती है। काली मिट्टी का इस्तेमाल खासतौर से ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के मैदानों पर किया जाता है। इसीलिए इन मैदानों पर जैसे-जैसे मैच आगे बढ़ता है, वैसे-वैसे बॉल के बाउंस में समानता नहीं रह पाती। यानी कि कुछ बॉल में ज्यादा उछाल रहता है, तो कुछ में कम।
स्टेडियम में क्यों होती हैं मल्टीपल पिचें?
एक बार किसी पिच पर मैच खेलने के बाद उसके रिकवर होने में काफी समय लग जाता है। वहीं, नए मैच के लिए पिच भी ताजी होनी चाहिए। इसी के चलते जिस मैदान पर मल्टीपल पिचें नहीं होतीं, वहां एक मैच के बाद करीब 7-8 दिनों तक दूसरा मैच नहीं होता। मल्टीपल पिच होने का यही फायदा मिलता है कि इसके अगले ही दिन उसी मैदान की दूसरी पिच पर मैच कराया जा सकता है।
टीम इंडिया एक महीने रहेगी अहमदाबाद में
- BCCI ने कोरोना महामारी को देखते हुए इंग्लैंड के खिलाफ होने जा रही टेस्ट, वनडे और टी-20 सीरीज के लिए केवल 3 वेन्यू ही चुने हैं। इसमें चेन्नई, अहमदाबाद और पुणे शामिल हैं।
- शेड्यूल के अनुसार, चेन्नई में शुरुआती दो टेस्ट 5 और 17 फरवरी से होंगे। इसके बाद दोनों टीम 2 टेस्ट और 5 टी-20 मैच के लिए अहमदाबाद पहुंचेंगी।
- टी-20 सीरीज का आखिरी मैच 20 मार्च को खेला जाएगा। इसका मतलब है कि भारतीय टीम 17/18 फरवरी से 20/21 मार्च तक अहमदाबाद में रहेगी।
- इसके बाद वनडे सीरीज के 3 मैच 23, 26 और 28 मार्च को पुणे में होंगे।