लक्ष्मण, गांगुली को सीएसी और आईपीएल में किसी एक को चुनना होगा: बीसीसीआई
दोनों आईपीएल से भी जुड़े हैं. लक्ष्मण जहां सनराइजर्स हैदराबाद के मेंटर हैं वहीं गांगुली दिल्ली डेयरडेविल्स टीम के साथ जुड़े हुए हैं.
नई दिल्ली: बीसीसीआई के नैतिक अधिकारी डी के जैन ने गुरूवार को फैसला सुनाया कि सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण की क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएससी) के सदस्य तथा आईपीएल फ्रेंचाइजी टीमों के मेंटर के रूप में दोहरी भूमिका हितों का टकराव है तथा इन दोनों पूर्व क्रिकेटरों को इनमें से किसी एक को चुनना होगा. लक्ष्मण जहां सनराइजर्स हैदराबाद के मेंटर हैं वहीं गांगुली दिल्ली डेयरडेविल्स से जुड़े हुए हैं. इसके अलावा वह बंगाल क्रिकेट संघ के भी अध्यक्ष हैं. लक्ष्मण पर फैसला गुरुवार को दिया गया जबकि गांगुली पर एक फैसला पहले दिया गया था.
जैन ने कहा, ”एक व्यक्ति एक पद लोढ़ा समिति की सिफारिशों का मुख्य अंश है. मैंने केवल इसे सामने लाने की कोशिश की है. सचिन (तेंदुलकर) के मामले में हितों का टकराव का मामला नहीं बनता क्योंकि वह सीएसी से हट चुके हैं. लेकिन जहां तक गांगुली और लक्ष्मण का मामला है तो उन्हें यह फैसला करना होगा कि वे भारतीय क्रिकेट को आगे बढ़ाने में कैसे अपनी सेवाएं देना चाहते हैं. ”
तेंदुलकर एक अन्य आईपीएल फ्रेंचाइजी मुंबई इंडियन्स के मेंटर हैं. इन तीनों दिग्गज क्रिकेटरों पर हितों के टकराव का आरोप लगा था. लक्ष्मण ने सुनवाई के दौरान सीएसी से हटने की पेशकश की थी. जैन ने कहा, ”मैंने गांगुली और लक्ष्मण पर फैसला सुनाकर कुछ विशेष नहीं किया है.” जैन को फरवरी में उच्चतम न्यायालय ने नियुक्त किया था. उन्होंने रोबिन उथप्पा और इरफान पठान जैसे सक्रिय खिलाड़ियों के विश्व कप के दौरान कमेंट्री करने के मामले पर भी अपनी राय रखी और कहा कि लोढ़ा समिति की भावना के तहत यह भी हितों का टकराव हो सकता है.
उन्होंने कहा, ”इस आदेश के आधार पर सक्रिय खिलाड़ियों के खिलाफ भी शिकायतें आ सकती हैं. उन्हें अब अपने दिमाग से काम लेना होगा और इस स्थिति के लिये तैयार रहना चाहिए. मैं किसी को कमेंट्री करने से नहीं रोक रहा हूं. मैंने केवल यह फैसला किया है कि बीसीसीआई संविधान के तहत हितों का टकराव क्या है.” जैन ने कहा, ”यह खिलाड़ियों को तय करना है कि यह उन पर लागू होता है या नहीं. मैंने पहली बार इस नियम का अध्ययन किया और उसके आधार पर अपना फैसला दिया. मुझे नहीं पता कि बोर्ड इसे स्वीकार करेगा या नहीं है. अगर कोई इसे चुनौती देना चाहता है तो वह दे सकता है.”