साईं बाबा जन्मभूमि विवाद / शिर्डी में आज से बेमियादी बंद, मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़; उद्धव ने कल बैठक बुलवाई
उद्धव ने पाथरी को साईं बाबा की जन्मभूमि कहा था, विकास के लिए 100 करोड़ रुपए देने का ऐलान किया शिर्डी निवासी बयान के खिलाफ, कहा- साईं बाबा ने खुद कभी अपनी जन्मभूमि-जाति का जिक्र नहीं किया साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट ने कहा- दर्शनों पर असर नहीं, श्रद्धालुओं के भोजन और ठहरने की पूरी व्यवस्था
शिर्डी. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा पाथरी को साईं बाबा की जन्मभूमि कहने से नाराज शिर्डी के लोगों ने रविवार से अनिश्चितकालीन बंद शुरू कर दिया। उनका कहना है कि साईं बाबा ने खुद अपने जीवनकाल में कभी जन्मभूमि या जाति का जिक्र नहीं किया। ऐसे में उद्धव का बयान गलत है। शिर्डी बंद के बावजूद साईंबाबा मंदिर में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आ रहे हैं। साईं मंदिर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी दीपक मुगलीकर ने कहा कि ट्रस्ट बंद में शामिल नहीं है, दर्शन पर असर नहीं होगा।
इस बीच, उद्धव ठाकरे ने सोमवार को इस विवाद को लेकर बैठक बुलाई है। उद्धव ने पिछले दिनों शिर्डी को साईं बाबा की कर्मभूमि और पाथरी को जन्मभूमि कहा था। उन्होंने पाथरी के जन्मभूमि के तौर पर विकास के लिए 100 करोड़ रुपए देने का ऐलान किया था। विवाद इसी बयान पर है। शिर्डी के लोगों को पाथरी के विकास के लिए 100 करोड़ रुपए दिए जाने पर ऐतराज नहीं है, बल्कि उनकी नाराजगी पाथरी को साईं की जन्मभूमि बताने पर है।
शिवसेना सांसद ने बंद का समर्थन किया
मंदिर ट्रस्ट और अहमदनगर जिला प्रशासन के अधिकारियों ने कहा कि मध्य रात्रि से ही बंद शुरू कर दिया। लेकिन साईंबाबा मंदिर भक्तों के लिए खुला रहा। उन्हें प्रार्थना करने की अनुमति दी गई। उन्होंने कहा कि प्रसादालय और मंदिर की रसोई भी खुली हुई ताकि भक्तों को असुविधा न हो। मंदिर के प्रसादालय, नाश्ता केंद्र और लड्डू बिक्री केंद्रों के सामने भक्तों की लंबी कतारें देखी गईं। शिर्डी से शिवसेना के लोकसभा सांसद सदाशिव लोखंडे ने बंद को अपना समर्थन दिया। लोखंडे ने कहा कि मैं पहले साईं का भक्त हूं, सांसद बाद में। साईंबाबा 16 की उम्र में शिर्डी आए थे। उन्होंने कभी अपनी जाति या धर्म का खुलासा नहीं किया, इसलिए उन्हें बांटा नहीं जाना चाहिए। इस मुद्दे को जल्द से जल्द सुलझाने के लिए मैं मुख्यमंत्री से बात करूंगा।
शिर्डी और आसपास के 25 गांव आंदोलन में शामिल
मुख्यमंत्री के बयान के बाद शिर्डी समेत आसपास के 25 गांव के लोग आंदोलन कर रहे हैं। उनका कहना है- पाथरी के विकास से आपत्ति नहीं है, लेकिन उसे साईं की जन्मभूमि कहना ठीक नहीं है। इससे पहले भी साईं बाबा और उनके माता-पिता के बारे में कई गलत दावे किए जा चुके हैं। उन्होंने चेतावनी दी- जब तक सीएम अपने बयान को वापस नहीं लेते तब तक वह आंदोलित रहेंगे।
उद्धव ने पाथरी के लिए 100 करोड़ रुपए देने की घोषणा की
साईं बाबा के जन्म स्थान को लेकर विवाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की घोषणा के बाद पैदा हुआ है। परभणी जिले का पाथरी शिरडी से करीब 275 किलोमीटर दूर स्थित है। ठाकरे ने इसे साईं की जन्मभूमि बताया और इसके विकास के लिए 100 करोड़ रुपए का ऐलान कर दिया। यूं तो साईं के जन्म को लेकर साफ जानकारी किसी को नहीं है, लेकिन कहा जाता है कि वह शिर्डी आकर बस गए और यहीं के होकर रह गए। इसके बाद से शिर्डी की पहचान भी साईं से हो गई।
राकांपा नेता ने भी पाथरी को बता चुके हैं बाबा का जन्मस्थान
राकांपा नेता दुर्रानी अब्दुल्ला खान ने दावा किया था कि उनके पास पाथरी को साईं बाबा का जन्मस्थान साबित करने के लिए पर्याप्त सुबूत हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जहां शिर्डी साईं बाबा की कर्मभूमि है, वहीं पाथरी जन्मभूमि है। दोनों जगहों का अपना महत्व है। देश-विदेश से पर्यटक पाथरी पहुंचते हैं, लेकिन वहां बुनियादी ढांचा नहीं है।’’ खान ने कहा- ‘‘शिर्डी के लोगों के लिए कोष कोई मुद्दा नहीं है, वे बस यही चाहते हैं कि पाथरी को साईं बाबा का जन्मस्थान नहीं कहा जाए। शिर्डी के निवासियों को डर है कि यदि पाथरी मशहूर हो गया तो उनके कस्बे में श्रद्धालुओं का आना कम हो जाएगा।’’