तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित का 81 की उम्र में कार्डियक अरेस्ट से निधन….ऐसा रहा दिवंगत शीला दीक्षित का राजनीतिक सफर

शीला दीक्षित पहली बार यूपी की कन्नौज सीट से 1984 में सांसद बनी थीं. इसके बाद 1998 में शीला दीक्षित पहली बार दिल्ली की सीएम बनीं. 2013 में उन्हें नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा था.

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  • शीला दीक्षित लंबे वक्त से बीमार चल रही थीं, पिछले साल फ्रांस में सर्जरी भी हुई
  • एस्कॉर्ट्स फोर्टिस हॉस्पिटल में इलाज के दौरान दोपहर 3.15 बजे कॉर्डियक अरेस्ट हुआ
  • शीला ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली से इस बार लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा के मनोज तिवारी से हार मिली
  • पहली बार 1984 में कन्नौज से सांसद चुनी गईं, 2014 में केरल की राज्यपाल भी बनी थीं

नई दिल्ली: कांग्रेस की दिग्गज नेता और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का आज निधन हो गया. वह 81 साल की थीं. दीक्षित दिल्ली में सबसे लम्बे समय तक काम करने वाली मुख्यमंत्री रही थीं. दीक्षित ने 1998 से 2013 तक दिल्ली में मुख्यमंत्री पद सम्भाला था. वर्तमान में वो दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर पार्टी में काम कर रही थीं. आज सुबह उन्हें दिल्ली के एस्कॉर्ट अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

 

शीला दीक्षित पहली बार यूपी की कन्नौज सीट से 1984 में सांसद बनी थीं. इसके बाद 1998 में शीला दीक्षित पहली बार दिल्ली की सीएम बनीं. 2003 और 2008 में शीला के नेतृत्व में कांग्रेस ने फिर से सरकार बनाई. 2013 में शीला दीक्षित को नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा था.

 

2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद शीला को 2014 में केरल का राज्यपाल बनाया गया था. हालांकि कुछ महीनों बाद ही उन्हें राज्यपाल के पद से इस्तीफा देना पड़ा था. साल 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने शीला दीक्षित को राज्य में अपनी पार्टी की सीएम कैंडिडेट भी घोषित किया था.

 

दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद शीला दीक्षित ने 6 साल तक कोई भी चुनाव नहीं लड़ा. हाल ही में हुए 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने शीला दीक्षित को उत्तर-पूर्वी दिल्ली से अपना उम्मीदवार बनाया था. लेकिन बीजेपी के मनोज ने तिवारी ने दीक्षित को उत्तर-पूर्वी दिल्ली से करीब 3.66 लाख वोटों से हरा दिया था.

 

लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने बनाया था दिल्ली इकाई का अध्यक्ष
लोकसभा चुनाव से पहले जनवरी 2019 में दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को कांग्रेस की दिल्ली इकाई का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. उन्होंने अजय माकन की जगह ली थी जिन्होंने स्वास्थ्य आधार पर पद छोड़ दिया था.

शीला दीक्षित के निधन पर कांग्रेस में शोक की लहर, पीएम मोदी और सीएम केजरीवाल ने जताया दुख

कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीली दीक्षित का शनिवार को 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया है. वे लंबे समय से बीमार थीं और उनका एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था. वह साल 1998 से 2013 तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं. डॉक्टरों के मुताबिक, शीला दीक्षित को दोपहर 3 बजकर 15 मिनट पर उन्हें दिल का दौरा पड़ा और दोपहर 3 बजकर 55 मिनट पर अंतिम सांस ली. उनके निधन से देश भर के राजनेता सकते में हैं. उनके निधन पर दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल, पीएम मोदी और राहुल गांधी ने शोक व्यक्त किया.

 

रविवार को 2:30 निगम बोध घाट में होगा शीला दीक्षित का अंतिम संस्कार, आज शाम 6 बजे से उनके पार्थिव शरीर को निजामउद्दीन स्थिति घर पर अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा. अंतिम संस्‍कार से पहले शीला दीक्षित के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए कल सुबह कांग्रेस मुख्यालय में भी रखा जाएगा.

आज की दिल्ली की ये तस्वीर शीला दीक्षित के इन फैसलों की देन हैं

वक्त ने करवट बदला और सिर्फ दिल्ली को ही नहीं, इस दुनिया को ही अलविदा कह गईं शीला दीक्षित. दिल्ली के राजनीति की पाठशाला थीं शीला दीक्षित. आज इनके निधन से दिल्ली वालों के सामने बदलाव और विकास की पूरी चलचित्र चल रही है. सियासी चर्चा यह हो रही होगी कि कैसे बीजेपी के गढ़ को शीला दीक्षित ने कांग्रेस का गढ़ बना दिया. आम दिल्ली वासियों के बीच फ्लाईओवर, ट्रैफिक, सीएनजी की चर्चा जोरो पर होगी. ये सारे बदलाव शीला दीक्षित के सपनों की गवाही देते हैं.

दिल्ली में सीएनजी का लागू होना
शीला दीक्षित के नेतृत्व में दिल्ली में सीएनजी लागू किया गया. डीजल से चलने वाले बसों से धुएं के गुबार में बदल गई थी दिल्ली. आज सीएनजी और एसी बसों का संचालन शीला दीक्षित की देन है. इसके साथ ही ट्रैफिक व्यवस्था में भारी सुधार किया गया. ट्रैफिक व्यवस्था बेहतर करने के लिए फ्लाई ओवर निर्माण किया गया. तेजी से फ्लाई ओवर का निर्माण या यूं कहें सड़कों और फ्लाई ओवर का जाल शीला सरकार के दौरान फैला. मेट्रो का विस्तार भी तेजी से हुआ. आज की दिल्ली की जो तस्वीर आप देखते हैं ये तस्वीर शीला दीक्षित की देन है, यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा. यदि एक पंक्ति में कहें तो दिल्‍ली के फ्लाईओवर, मेट्रो, सीएनजी और दिल्‍ली की हरियाली शीला दीक्षित की ही देन है.

 

कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन 
कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन की वजह से दिल्ली में तेजी से विकास हुआ. दिल्ली के आधारभूत ढांचे में तेजी से परिवर्तन इसी दौरान हुआ. सड़कें, नालियां, घर… इत्यादि तमाम क्षेत्रों में तेजी से काम हुआ. दिल्ली को हरा भरा बनाने में शीला दीक्षित के कार्यकाल का अमूल्य योगदान रहा.

 

बिजली का हाल सुधारना, 24 घंटे बिजली 
शीला दीक्षित सरकार का बिजली वितरण प्राइवेट हाथों में सौंपना बड़ा कदम था. जिसके बाद राजधानी में बिजली की कटौती खत्म हो गई क्योंकि जो टी एंड डी लॉस था वो कंट्रोल हो गया.

 

नेतृत्व
शीला सरकार के दौरान दिल्ली की सरकार और केन्द्र के बीच बेहतरीन समन्वय रहा. कार्यकर्ताओं के साथ संवाद स्थापित करके और अपनी बेहतरीन नेतृत्व क्षमता की बदौलत ही शीला दीक्षित बीजेपी का गढ़ मानी जाने वाली दिल्ली को कांग्रेस के गढ़ में बदल दिया. राजनीति में आने से पहले वे कई संगठनों से जुड़ी रही और उन्होंने कामकाजी महिलाओं के लिए दिल्ली में दो हॉस्टल भी बनवाए. 1984 से 89 तक वे कन्नौज से सांसद रहीं. इस दौरान वह लोकसभा की समितियों में रहने के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र में महिलाओं के आयोग में भारत की प्रतिनिधि रहीं. वे बाद में केन्द्रीय मंत्री भी रहीं. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष के पद पर रहते हुए शीला दीक्षित ने 1998 में कांग्रेस को दिल्ली में जीत दिलवाई. शीला साल 1998 से 2013 तक तीन कार्यकाल में दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री का पद संभाल चुकी हैं. इसके बाद साल 2014 के बाद वह केरल की राज्यपाल बनीं. फिलहाल वह कांग्रेस की दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष थीं.

 

शीला दीक्षित का व्यक्तिगत जीवन

 

शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च, 1938 को पंजाब के कपूरथला में हुआ . शीला दीक्षित ने दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस से इतिहास में मास्टर डिग्री हासिल की. उनका विवाह उन्नाव (यूपी) के आईएएस अधिकारी स्वर्गीय विनोद दीक्षित से हुआ था. विनोद कांग्रेस के बड़े नेता और बंगाल के पूर्व राज्यपाल स्वर्गीय उमाशंकर दीक्षित के बेटे थे.

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