महाराष्ट्र में सत्ता की घड़ी / शरद पवार की बैठक में राकांपा के 54 में से 50 विधायक पहुंचे, अजित इस्तीफा दे सकते हैं; सुप्रीम कोर्ट में कल सुबह 11:30 बजे सुनवाई

महाराष्ट्र में सरकार के गठन का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने पहुंची हैं. शिवसेना ने अपनी याचिका में मांग की है कि राज्यपाल के उस आदेश को रद्द कर दिया जाए जिसमें उन्होंने देवेंद्र फडणवीस को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था. याचिका में कहा गया है कि राज्यपाल का फैसला असंवैधानिक, मनमाना, गैरकानूनी और समानता के अधिकार का उल्लंघन है.

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  • भाजपा-अजित पवार में आधी रात को गठबंधन हुआ था, सुबह 8 बजे फडणवीस ने सीएम और अजित ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली
  • शरद पवार ने माना- सुबह तक हमें भी अंदाजा नहीं था कि अजित पवार ऐसा कदम उठाएंगे; कांग्रेस ने कहा- लोकतांत्रिक मूल्यों की अवहेलना हुई, भाजपा ने संविधान की धज्जियां उड़ाईं
  • 288 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 145 का आंकड़ा जरूरी; भाजपा के पास 105 सीटें, राकांपा के पास 54 विधायक
  • राकांपा के कितने विधायक भाजपा के साथ रहेंगे, इस पर सस्पेंस; शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे गुजरात जाने के लिए एयरपोर्ट पर मौजूद अजित समर्थक 2 विधायकों को खींचकर राकांपा की बैठक में ले गए

हाराष्ट्र में शनिवार को बड़ा सियासी उलटफेर हुआ। भाजपा के देवेंद्र फडणवीस ने दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। वहीं, राकांपा नेता और शरद पवार के भतीजे अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। महाराष्ट्र में 12 नवंबर को लगा राष्ट्रपति शासन शनिवार सुबह 5:47 बजे हट गया। इसके बाद 8 बजे शपथ ग्रहण कार्यक्रम हुआ। इसके बाद शिवसेना और राकांपा ने दोपहर में साथ में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि हमारे किसी विधायक ने भाजपा को समर्थन नहीं दिया है। राजभवन गए राकांपा विधायकों को भी पता नहीं था कि अजित पवार उपमुख्यमंत्री बन जाएंगे। शनिवार शाम को घटनाक्रम फिर बदलता दिखा, जब शरद पवार ने राकांपा विधायकों की बैठक बुलाई। इसमें पार्टी के 54 में से 50 विधायक पहुंचे। इनमें धनंजय मुंडे समेत 7 विधायक ऐसे है जो कि सुबह राजभवन में अजित पवार के साथ थे। उधर, शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा फडणवीस के शपथ ग्रहण के खिलाफ रात 10 बजे तक सुप्रीम कोर्ट पहुंचेंगे।

 

महाराष्ट्र में शनिवार को बड़ा सियासी उलटफेर हुआ। राज्य में 12 नवंबर को लगा राष्ट्रपति शासन शनिवार सुबह 5:47 बजे हट गया। इसके बाद सुबह 8 बजे राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भाजपा के देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद और शरद पवार के भतीजे अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। शुक्रवार आधी रात को भाजपा और अजीत पवार धड़े के बीच गठबंधन हुआ था। दोनों के शपथ ग्रहण के बाद दिनभर भाजपा और अजीत पवार का पलड़ा भारी दिखा, लेकिन बाद में हालात बदल गए। राकांपा प्रमुख शरद पवार ने शाम को पार्टी विधायकों की बैठक बुलाई। इसमें पार्टी के 54 में से 50 विधायक पहुंच गए। इनमें धनंजय मुंडे समेत 7 विधायक ऐसे थे जो सुबह राजभवन में अजित पवार के साथ थे। इससे अजित पवार का पलड़ा कमजोर होता दिखा। वे उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे सकते हैं।

 

होटल ललित से बैठक के बाद निकलते शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे।

  • राकांपा ने शरद पवार की अध्यक्षता में वाईवी चव्हाण सेंटर में बैठक बुलाई। इसमें अजित पवार समेत सिर्फ 4 विधायक नहीं पहुंचे। राकांपा ने अजित को विधायक दल के नेता पद से हटा दिया। राकांपा ने उनकी जगह जयंत पाटिल को अस्थाई तौर पर विधायक दल का नेता बनाया गया। पार्टी अपने सभी विधायकों को मुंबई के एक होटल में रखा है।
  • इससे पहले राकांपा सांसद सुनील तटकरे और दो अन्य विधायक उपमुख्यमंत्री अजित पवार को मनाने के लिए पहुंचे, लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा। अजित अपने भाई श्रीनिवास के आवास पर थे। यहां सुरक्षा कड़ी है।
  • शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शाम को पार्टी के विधायकों के साथ होटल ललित में बैठक की। ठाकरे ने कहा कि सरकार हमारी ही बनेगी, मुख्यमंत्री शिवसेना का ही होगा। उन्होंने अपने विधायकों से शांति बनाए रखने की अपील की।
  • राकांपा ने शरद पवार की अध्यक्षता में वाईवी चव्हाण सेंटर में बैठक बुलाई। इसमें अजित पवार समेत सिर्फ 4 विधायक नहीं पहुंचे। राकांपा ने अजित को विधायक दल के नेता पद से हटा दिया है। राकांपा बैठक में आए सभी विधायकों को मुंबई के एक होटल में रखेगी।
  • इससे पहले राकांपा सांसद सुनील तटकरे और दो अन्य विधायक उपमुख्यमंत्री अजित पवार को मनाने के लिए पहुंचे, लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा। अजित अपने भाई श्रीनिवास के आवास पर थे। यहां सुरक्षा कड़ी है। उधर, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शाम को पार्टी के विधायकों के साथ होटल ललित में बैठक की। ठाकरे ने कहा कि सरकार हमारी ही बनेगी, मुख्यमंत्री शिवसेना का ही होगा। उन्होंने अपने विधायकों से शांति बनाए रखने की अपील की।

महाराष्ट्र सरकार का गठन : शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

महाराष्ट्र में सरकार के गठन का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने पहुंची हैं. शिवसेना ने अपनी याचिका में मांग की है कि राज्यपाल के उस आदेश को रद्द कर दिया जाए जिसमें उन्होंने देवेंद्र फडणवीस को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था. याचिका में कहा गया है कि राज्यपाल का फैसला असंवैधानिक, मनमाना, गैरकानूनी और समानता के अधिकार का उल्लंघन है.

शिवसेना ने यह मांग भी की है कि सुप्रीम कोर्ट राज्यपाल को एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना के गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने का आदेश दे. दावा किया गया है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में गठबंधन के पास 144 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है.

तीनों दल रजिस्ट्री के अफसरों का इंतजार कर रहे हैं. तीनों पार्टियां सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग करेंगी.गौरतलब है कि महाराष्ट्र (Maharashtra) में जारी उठापटक के बीच शनिवार को बड़ा उलटफेर हुआ और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने दोबारा सीएम पद की शपथ ले ली. उनके साथ आए एनसीपी नेता अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली. सुबह करीब आठ बजे राजभवन में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने दोनों नेताओं को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई.जबकि शुक्रवार को शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की बैठक में तीनों दलों ने गठबंधन सरकार बनाने का फैसला ले लिया था.

महाराष्ट्र में हुआ तख्तापलट एनसीपी के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बना, 5 विधायक गायब

महाराष्ट्र में हुआ तख्तापलट एनसीपी के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बना, 5 विधायक गायब

सियासी उठापटक के बीच राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के विधायक दल की बैठक जारी है. बताया जा रहा है कि एनसीपी (NCP) के 54 विधायकों में से 48 विधायक बैठक में हिस्‍सा लेने पहुंचे हैं. पहले खबर आई थी कि 9 बागी विधायक दिल्‍ली जा रहे हैं लेकिन बाद में उनमें से दो शरद पवार (Sharad Pawar) के पास लौट आए. उसके बाद 7 विधायकों के प्राइवेट चार्टर्ड प्‍लेन से दिल्‍ली जाने की खबर आई. लेकिन धनंजय मुंडे (Dhananjay Munde) जो सुबह तक अजित पवार के साथ थे, वो भी बाद में बैठक के लिए पहुंच गए जहां तालियां बजाकर उनका स्‍वागत किया गया. खबर लिखे जाने तक अजित पवार (Ajit Pawar) समेत केवल 5 विधायक पार्टी की विधायक दल की बैठक में नहीं पहुंचे हैं और उन पर दल बदल कानून के तहत कार्रवाई हो सकती है.

इससे पहले दिनभर चले घटनाक्रम में सुबह सुबह देवेंद्र फडणवीस ने मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ली और अजित पवार को उप मुख्‍यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई जिसकी किसी ने उम्‍मीद भी नहीं की थी. उसके बाद सबसे पहले शिवसेना नेता संजय राउत की प्रेस कांफ्रेंस हुई और उन्‍होंने सारी कहानी के लिए अजित पवार को दोषी के रूप में पेश किया. संजय राउत ने कहा कि अजित पवार पर पहले से ही संदेह था. रात की बैठक में वो आंख मिलाकर बात नहीं कर रहा था. जिसके मन में गलत करने की बात होती है उसका बॉडी लैग्‍वेंज दिखने लगता है. रात के अंधेरे में ही पाप किए जाते हैं. संजय राउत ने कहा कि अजित पवार ने महाराष्‍ट्र की जनता और शिवाजी महाराज के विचारों के साथ विश्‍वासघात किया है. शरद पवार के साथ धोखा किया है.

संजय राउत की प्रेस कांफ्रेंस के बाद महाराष्‍ट्र में हुए ‘महासियासी’ खेल पर एनसीपी प्रमुख नेता शरद पवार और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने संयुक्‍त प्रेस कांफ्रेंस की. शरद पवार ने कहा कि शिवसेना की अगुआई में हम सभी एकजुट थें और एकजुट रहेंगे. प्रेस कांफ्रेंस में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम जो करते हैं दिन के उजाले में करते हैं. बीजेपी का खेल सारा देश देख रहा है. उन्‍होंने कहा कि ये लोकतंत्र के नाम पर खिलवाड़ हो रहा है.

प्रेस कांफ्रेंस में शरद पवार ने कहा कि अजित पवार के पास 54 विधायकों के हस्‍ताक्षर वाली चिट्ठी है. हम अजित के खिलाफ एक्‍शन लेंगे. उन्‍होंने कहा कि अजित पवार से ऐसी उम्‍मीद कतई नहीं थी. पत्रकारों द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में शरद पवार ने कहा कि मुझे कोई चिंता नहीं है, मेरे साथ पहले भी ऐसा हो चुका है. पवार ने कहा कि हमारे पास नंबर है, सरकार हम ही बनाएंगे. उन्‍होंने कहा कि ये सरकार सदन में अपना बहुमत साबित नहीं कर पाएगी.

एनसीपी और शिवसेना की साझा प्रेस कांफ्रेंस के बाद कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता अहमद पटेल और मल्लिकार्जुन खड़गे प्रेस कांफ्रेंस के लिए आए. प्रेस कांफ्रेंस की शुरुआत अहमद पटेल ने की और कहा कि महाराष्‍ट्र में जो सरकार बनाने के लिए दावा पेश किया गया उसकी सत्‍यता जांची नहीं गई. कोई वेरिफिकेशन नहीं किया गया. ये बेशर्मी की हद है. अहमद पटेल ने कहा कि सभी विधायक हमारे साथ हैं और बीजेपी का सामना करने के लिए मजबूती से साथ खड़े हैं. उन्‍होंने कहा कि सहयोगी पार्टी से सलाह लेने में समय लगा लेकिन सरकार बनाने को लेकर देरी नहीं हुई. अहमद पटेल ने कहा कि आज सुबह में जो भी कांड हुआ उसकी आलोचना करने के सिवा में मेरे पास कोई शब्‍द नहीं है.

इससे पहले सुबह 8 बजे बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने एनसीपी के समर्थन से महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री पद की और एनसीपी नेता अजित पवार ने उपमुख्‍यमंत्री पद की शपथ ली.

किसी दल को नहीं मिला था बहुमत

आपको बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों के लिए 21 अक्टूबर को चुनाव हुए थे और 24 अक्टूबर को परिणाम आए थे. चुनाव में बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं. किसी भी पार्टी या गठबंधन के सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करने के बाद 12 नवंबर को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था.

अजित समर्थक 2 विधायकों को एयरपोर्ट से खींचकर लाए शिंदे

राकांपा के 9 विधायकों के रिलायंस के चार्टर्ड प्लेन से गुजरात जाने की खबर आई थी। हालांकि, इनमें से ज्यादातर विधायक शरद पवार की बैठक में शामिल हुए। शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे अजित समर्थक दो विधायकों (संजय बनसोड और बाबासाहेब पाटिल) को एयरपोर्ट से खींचकर राकांपा की बैठक में ले गए। कांग्रेस भी विधायकों को अपनी सरकार वाले किसी राज्य में शिफ्ट कर सकती है। कांग्रेस के सभी विधायक जयपुर भेजे जा सकते हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि पार्टी के विधायकों को स्वागत है। उनकी सुरक्षा करना हमारा फर्ज है।

अजित पवार के भाजपा के साथ जाने पर शरद पवार ने कहा कि यह उनका निजी फैसला है, राकांपा का इससे कोई लेना-देना नहीं। पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने ट्वीट किया- पार्टी और परिवार दोनों टूटे। कांग्रेस ने पूरे घटनाक्रम को लोकतांत्रिक मूल्यों की अवहेलना बताया। कांग्रेस ने कहा कि संविधान की धज्जियां उड़ाई गईं हैं। ये बेशर्मी की इंतेहा है।

अजित का फैसला पार्टी लाइन से अलग- शरद पवार
प्रेस कॉन्फ्रेंस में शरद पवार ने कहा, ‘‘कांग्रेस, शिवसेना और राकांपा के नेता सरकार बनाने के लिए साथ आए। हमारे पास जरूरी नंबर थे। हमारे विधायक सरकार का समर्थन कर रहे थे। कुछ निर्दलियों के समर्थन से हमारा आंकड़ा 170 तक पहुंच गया था। अजित पवार का फैसला पार्टी लाइन से अलग है। यह अनुशासनहीनता है। राकांपा का कोई भी नेता राकांपा-भाजपा सरकार के समर्थन में नहीं है। राकांपा के जो भी विधायक भाजपा को समर्थन दे रहे हैं, उन्हें यह समझना होगा कि वे दल-बदल कानून के प्रावधान में आ रहे हैं। इससे उनका विधायक पद खतरे में आ सकता है।’’

पवार ने यह भी कहा, ‘‘कुछ विधायकों ने हमें बताया कि सुबह साढ़े छह बजे उन्हें राजभवन ले जाया गया। कुछ ही देर में वहां भाजपा के समर्थन से अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। अजित पवार का यह निर्णय राकांपा की नीतियों के विरुद्ध था। हमारे पास सभी दलों (राकांपा, कांग्रेस, शिवसेना) के विधायकों के दस्तखत किए हुए पत्र थे। राकांपा विधायकों का दस्तखत किया पत्र अजित पवार के पास था। लगता है कि अजित पवार ने वही पत्र राज्यपाल को दिखाया हैं। हालांकि, अजित के साथ राजभवन गए राकांपा के विधायक अब मेरे साथ हैं। भाजपा और अजित पवार अब विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाएंगे। हम दोबारा सरकार बनाने की कोशिश करेंगे, जिसका नेतृत्व शिवसेना ही करेगी।’’  शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘‘देश में लोकतंत्र का मजाक बन गया है। ऐसे ही चलता रहा तो आगे देश में कोई चुनाव कराया ही नहीं जाना चाहिए।’’

राकांपा विधायक राजेंद्र शिंगने ने कहा, “अजित पवार ने मुझे कुछ चर्चा के लिए बुलाया था। यहीं से मुझे कुछ अन्य विधायकों के साथ राजभवन ले जाया गया। जब तक हम कुछ समझ पाते, शपथ ग्रहण पूरा हो चुका था। मैं तुरंत पवार साहब (अजित पवार) के पास गया और कहा कि मैं शरद पवार और राकांपा के साथ हूं।’’

लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन नहीं हुआ, यह बेशर्मी की इंतेहा: कांग्रेस

  • अहमद पटेल ने कहा- ”आज सुबह बिना बैंड बाजे के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। ये महाराष्ट्र के इतिहास का काला दिन है। राज्यपाल ने कांग्रेस को मौका नहीं दिया। प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ। मुझे कुछ गलत होने की बू आ रही है। लोकतांत्रिक मूल्यों की अवहेलना हुई। संविधान की धज्जियां उड़ाई गईं। ये बेशर्मी की इंतेहा है। हम इसकी निंदा करते हैं।”
  • ”हमने कल राकांपा-शिवसेना के साथ बैठक की थी। आज की बैठक से पहले सुबह जो कांड हुआ, उसकी आलोचना करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है। हमारी तरफ से कोई देरी नहीं हुई है। अभी भी हमारी तरह से पूरे प्रयास होंगे, भाजपा को शिकस्त देंगे और दूसरी सरकार बनेगी। कांग्रेस के सभी विधायक एकजुट हैं। उनके टूटने की कोई संभावना नहीं है। राकांपा ने कुछ लोगों की लिस्ट दी थी, इसलिए यह घटना घटी है। भाजपा को हराने के लिए तीनों दल साथ आए थे। राकांपा अजित पवार के खिलाफ कार्रवाई करेगी।”

‘बैकडोर से कब्जा करने की कोशिश नाकाम’

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘‘जब शिवसेना स्वार्थभाव से प्रेरित होकर अपनी 30 साल की दोस्ती तोड़ दे और घोर विरोधी विचारधारा वाली कांग्रेस और शिवसेना का दामन थाम ले तो वह लोकतंत्र की हत्या नहीं है। अगर अजित पवार के साथ बड़ा तबका आकर भाजपा को समर्थन देता है तो यह लोकतंत्र की हत्या कैसे हुई। यह देश की वित्तीय राजधानी पर बैक डोर से कब्जा करने की कोशिश थी। यह षडयंत्र था।’’

अपने-अपने दावे

राकांपा नेता नवाब मलिक ने कहा कि हमने उपस्थिति के लिए 40 विधायकों के दस्तखत कराए थे। शपथ के दौरान उन हस्ताक्षरों का गलत इस्तेमाल किया गया। भाजपा ने धोखे से सरकार बनाई है, जो विधानसभा के फ्लोर पर ही गिरेगी। उधर, भाजपा नेता गिरीश महाजन ने कहा कि हम 170 विधायकों के समर्थन से बहुमत साबित कर देंगे। अजित पवार ने अपने विधायकों के समर्थन का पत्र राज्यपाल को सौंप दिया है। वे ही राकांपा के विधायक दल के नेता हैं। इसका मतलब है कि हमें राकांपा के सभी विधायकों का समर्थन है।

गठबंधन बने और टूटे

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे 24 अक्टूबर को आए थे। ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री की बात पर भाजपा-शिवसेना गठबंधन में दरार पड़ गई। इसके बाद कई दौर की बातचीत के बाद शिवसेना-राकांपा और कांग्रेस में सरकार बनाने को लेकर सहमति बनती दिखी। शुक्रवार रात राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने साफ कर दिया था कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व पर सहमति बन गई है। कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा था कि बातचीत में कई मुद्दे सुलझा लिए हैं, लेकिन कुछ मसलों पर बातचीत चल रही है।

राज्यपाल ने दिल्ली दौरा रद्द कर शपथ ग्रहण कराया
जानकारी के मुताबिक, अजित पवार 30 विधायकों के साथ अलग हो गए हैं और नई पार्टी बना ली है। शरद पवार ने ट्वीट किया- अजित ने जो किया, वह राकांपा का फैसला नहीं है। यह भी कहा जा रहा है कि राकांपा के कुछ बड़े नेता भाजपा में शामिल हुए थे। उनकी ही इस घटनाक्रम में बड़ी भूमिका बताई जा रही है।

वहीं, शुक्रवार रात में राकांपा की बैठक में अजित पवार मौजूद नहीं थे। उसी दौरान भाजपा के साथ उनकी बातचीत आगे बढ़ी। दरअसल, शिवसेना 5 साल का मुख्यमंत्री चाहती थी। अजित की मुख्य आपत्ति यह थी कि शिवसेना को पूरे 5 साल का मुख्यमंत्री क्यों दिया जाए, जबकि हमारे (राकांपा के) पास भी बराबरी की सीटें हैं। राज्यपाल कोश्यारी दो दिन (शनिवार-रविवार) दिल्ली दौरा था। ऐन मौके पर उन्होंने कार्यक्रम रद्द किया और शनिवार सुबह शपथ ग्रहण करा दिया।

मोदी ने फडणवीस को बधाई दी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देवेंद्र फडणवीस को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, “फडणवीस जी को मुख्यमंत्री और अजित पवार जी को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने की बधाई। मुझे विश्वास है कि दोनों महाराष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य के लिए परिश्रम और लगन से काम करेंगे।”

‘शिवसेना की वजह से ऐसा हुआ’

फडणवीस ने कहा, ‘‘हमारे नेता मोदी जी और शाह जी का बहुत आभार। उन्होंने फिर एक बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में मुझे सेवा करने का मौका दिया। महाराष्ट्र की जनता ने एक स्पष्ट जनादेश दिया था। शिवसेना ने हमारे साथ गठबंधन करने के बजाय दूसरी जगह गठबंधन करने का फैसला किया। शिवसेना की वजह से ऐसी नौबत आई। महाराष्ट्र जैसे अगड़े राज्य को यह शोभा नहीं देता कि यहां ज्यादा दिन राष्ट्रपति शासन लगा रहे। यहां ऐसी कोई सरकार बननी भी नहीं चाहिए जो ज्यादा दिन चल न सके। मैं अजित पवार जी का शुक्रिया करना चाहूंगा कि वे हमारे साथ आए। इसलिए हमने राज्यपाल जी को दावा पेश किया। राज्यपाल जी ने राष्ट्रपति जी से चर्चा की कि शासन हटाने की अनुशंसा की जाए। इसलिए राज्यपाल जी ने हमें शपथ के लिए बुलाया।’’ अजित पवार ने कहा कि हम किसानों की समस्या हल करने के लिए साथ आए हैं।

कैबिनेट की मंजूरी से ही राष्ट्रपति शासन हटाया जाता है
संविधान विशेषज्ञ पीडीटी अचारी ने दैनिक भास्कर को बताया, ‘‘जब भी गवर्नर राष्ट्रपति शासन को हटाने की अनुशंसा करता है तो इसके लिए कैबिनेट के बहुमत की मंजूरी अनिवार्य है। सभी कैबिनेट सदस्य अपनी सहमति के हस्ताक्षर करते हैं। यह मंजूरी प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजा जाता है और उसके बाद राष्ट्रपति की राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के निर्णय को वापस लेता है।’’

अचारी ने आगे यह भी कहा, ‘‘महाराष्ट्र मामले में रात को जब राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश राष्ट्रपति को भेजी गई तो इस सिफारिश को मंजूरी के लिए कैबिनेट के सदस्यों के समक्ष रात में ही रखा गया, जिस पर सभी कैबिनेट सदस्यों ने रात में ही हस्ताक्षर किए। यह कैबिनेट की मंजूरी के प्रस्ताव सुबह जब राष्ट्रपति को मिला तो उन्होंने राष्ट्रपति शासन लगाने के अपने निर्णय को वापस ले लिया।’’

अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा- मुझे शपथग्रहण की खबर फेक न्यूज लगी
महाराष्ट्र के अप्रत्याशित घटनाक्रम से कांग्रेस नेतृत्व चौंक गया। कांग्रेस इस मामले में अंदरखाने चले खेल की जानकारी से पूरी तरह से अनजान रही। राजनीति में इतने बड़े उलटफेर के बावजूद सुबह 10:30 बजे तक सोनिया गांधी की शरद पवार या उद्धव ठाकरे से कोई बात नहीं हुई। पार्टी में सुबह किसी तरह की बैठक नहीं हुई। सोनिया गांधी इस मामले में अपने राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल से फोन पर लगातार संपर्क में हैं। पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु ने ट्वीट में स्वीकार किया कि उन्हें पहली नजर में तो फडणवीस की शपथ की खबर फेक न्यूज लगी। दोनों दलों (शिवसेना-राकांपा) के साथ गठबंधन में तीन दिन से ज्यादा का समय नहीं लगना चाहिए था। इसी से भाजपा को खेल करने का मौका मिला।

शिवसेना को झांसा देकर राकांपा ने मौके तलाशने जारी रखे
चुनाव के पहले राकांपा से भाजपा में आए एक बड़े नेता ने भी दोनों पार्टियों की बातचीत में मदद की जानकारी दी थी। यही वजह है कि नतीजों के बाद शिवसेना को मुख्यमंत्री पद का झांसा देते हुए राकांपा ने बैठकों का सिलसिला जारी रखा। इस तरह शिवसेना को भी कुछ और सोचने का मौका नहीं मिल पाया। नए सरकार के गठबंधन के चलते राज्य में शिवसेना की हालत बेहद पतली हो गई है। कहा जा रहा है कि कई शिवसेना विधायक भाजपा के साथ जा सकते हैं।

महाराष्ट्र में कुल सीटें: 288/ बहुमत: 145 

दल सीटें
भाजपा 105
राकांपा 54
कुल 159

महाराष्ट्र में अन्य दलों की स्थिति 

पार्टी सीट
शिवसेना 56
कांग्रेस 44
बहुजन विकास अघाड़ी 3
एआईएमआईएम 2
निर्दलीय और अन्य दल 24
कुल  129

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