शाहीन बाग नहीं,ये है दिशाहीन बाग, महिलाओं तथा बच्चों में हिंसा का बीज मत बोएं – सौरभ कपूर 

दिल्ली का शाहीन बाग नहीं लगता, यह एक दिशाहीन बाग लगता है।पहले अलीगढ़ में देशद्रोह, फिर गया(पटना) में जाकर दंगा भड़काया जाता है। गया में भी सरजील इमाम जैसे देश के गद्दारों ने जा कर जहर उगला है। यह वही सरजील इमाम है जो असम को देश से अलग करने की बात कर रहा है। यह वही सरजील इमाम है जो देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर मुसलमानों को बच्चों को भड़का रहा है।

दिल्ली का शाहीन बाग इन दिनों देश में तो सुर्खियां बना ही हुआ है, सुर्खियां बनाने वालों की कृपा से अनेक दूसरे देशों में भी यह चर्चा में है। वहां जाइए और चुपचाप घटनाक्रम, लोगों की गतिविधियों, उनकी आपसे बातचीत सबका आकलन करिए। आपके सामने यह साफ हो जाएगा कि पूरा धरना ही झूठ, भ्रम, नासमझी, पाखंड, सांप्रदायिक सोच तथा भाजपा, संघ एवं सरकार के प्रति एक बड़े वर्ग के अंदर व्याप्त नफरत की सम्मलित परिणति है। सरकार विरोधी राजनीतिक पार्टियां और संगठन भी इस तरह की नफरत और सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने में भूमिका निभा रहे हैं।
झूठ यह है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम मुसलमानों के खिलाफ है। कई लोग कहते मिल जाएंगे कि मोदी और शाह मुसलमानों को बाहर निकालना चाहते हैं। यह एक भ्रम है जिसे योजना पूर्वक फैलाया जा रहा है। गैर जानकारी का तो साम्राज्य है। ज्यादातर को यह पता नहीं कि नागरिकता कानून, एन पी आर,एन आर सी क्या है? ना समझी यह है कि इनके पीछे भूमिका निभाने वाले लोग शायद यह जानते हैं कि कि मोदी सरकार के खिलाफ ऐसा माहौल बना कर शायद सरकार समय से पहले गिर जाएगी।
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दिल्ली का शाहीन बाग नहीं लगता, यह एक दिशाहीन बाग लगता है।पहले अलीगढ़ में देशद्रोह, फिर गया(पटना) में जाकर दंगा भड़काया जाता है। गया में भी सरजील इमाम जैसे देश के गद्दारों ने जा कर जहर उगला है। यह वही सरजील इमाम है जो असम को देश से अलग करने की बात कर रहा है। यह वही सरजील इमाम है जो देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर मुसलमानों को बच्चों को भड़का रहा है।
सबसे भयानक स्थिति इस तथाकथित आनंदोलन में छोटे छोटे बच्चों का दुरुपयोग है। उनके अंदर किस तरीके का जहर भरा जा रहा है यह उनके नारों से पता लग रहा है। एक बच्चा जिसे आजादी का अर्थ भी नहीं पता, उसे रटवाकर नारा लगवाया जा रहा है।एक बच्ची को पूरा बयान रटा दिया गया है कि मोदी और शाह हमें मारने वाले हैं, हम उन्हें मार डालेंगे।
इसमें 6 श्रेणी के लोगों की भूमिका हैं
  1. ऐसे लोग हैं जिसके अंदर यह भय पैदा कर दिया गया है कि मोदी सरकार मुसलमानों के खिलाफ काम कर रही है। इसलिए हमको अपनी रक्षा के लिए वहां जाना चाहिए।
  2. दूसरी श्रेणी जिन्हें पूरा सच मालूम है लेकिन मोदी,भाजपा और संघ से नफरत के कारण वह लोग वहां डटे हुए हैं ताकि आग बुझे नहीं।
  3. तीसरी श्रेणी में वो है जिनका आंदोलन से कोई लेना देना नहीं, वे या तो नेता, मालिक या किसी अन्य के कहने पर या पैसे के लालच में आए हैं।
  4. चौथी श्रेणी उन नेताओं की है जो मुसलमानों के हमदर्द बनकर उनका वोट लेना चाहते हैं।
  5. पांचवी श्रेणी उनकी है जो जेएनयू से लेकर जामा मस्जिद तक एवं कहीं जगहों पर देश विरोधी नारों से लेकर उत्पात के कारण बने हैं। उनको लगता है कि इनके साथ जोड़कर वह और ताकतवर होगे और सरकार पर दबाव बढ़ेगा।
  6. छठी श्रेणी उन मजहबी कट्टरपंथियों की है जो देश में अपनी सोच का जिहादी माहौल पैदा करने के लिए सक्रिय रहे हैं।
मुस्लिम समुदाय के अंदर यह भाव पैदा हो गया है कि इस कानून से हमारा कोई लेना-देना नहीं
आज की स्थिति यह है कि राजधानी दिल्ली का एक बड़ा वर्ग जिसकी संख्या लाखों में हैं,वह इस धरने के कारण लगने वाले जाम से परेशान होकर इसके खिलाफ है। मीडिया के बड़े समूह द्वारा तथ्य सामने तथा अलग-अलग संगठनों द्वारा, देश जगाओ मंच, वॉइस ऑफ इंडिया जैसी संस्थाओ द्वारा नागरिकता कानून का सच बताने से मुसलमानों के अंदर यह भाव पैदा हो गया है कि इस कानून से हमारा कोई लेना-देना नहीं है। यह भाव जैसे जैसे बढ रहा है मोदी विरोधी अभियानकर्ता एन पी आर, एन आर सी की बात करते हुए बता रही हैं कि इन सबसे तुम्हारी पहचान मांगी जाएगी, तुम्हारे खानदान का विवरण मांगा जाएगा और ना बताने पर तुम्हारे नाम के आगे सब कुछ लिख दिया जाएगा। इस तरह तुम भारत के नागरिक नहीं रहोगे।
यहां तक दुष्प्रचार है कि उसके बाद तुम्हें उस सेंटर में रखा जाएगा जहां मोदी और शाह केवल एक शाम भोजन खाने को देंगे। अगर आप शाहीन बाग नहीं गए तो आपको इस पर सहसा विश्वास नहीं होगा। लेकिन वहां चले जाइए तो आपका इन महान विचारों से सामना हो जाएगा।
महिलाओं तथा बच्चों को आगे रखने की रणनीति
हिंसा का बीज बो कर आखिर देश को कहां लेकर जाना चाहते हैं? इन बच्चों का क्या दोष है? लेकिन यह भी रणनीति है। महिलाओं तथा बच्चों को आगे रखो ताकि देश का मीडिया यह सुने और अगर इन पर कोई कार्यवाही हो तो फिर से छाती पीटने का मौका मिल जाए की महिलाओं और बच्चों के साथ बबरता की गई। महिलाओं को आगे रखने की रणनीति के तहत दिल्ली में ऐसे कई जगह और देश में धरने आयोजित किए जा रहे हैं। एक बच्चा नारा लगा रहा है कि जो हिटलर की चाल चलेगा वो हिटलर की मौत मरेगा। यह बच्चे किसी खतरनाक मानसिकता से बड़े होंगे और क्या करेंगे,यह सोचकर मन में भय पैदा होता है।
किसी विरोधी या आंदोलन का तार्किक आधार होना चाहिए
प्रशन यह है कि यह ऐसा ही चलेगा या इस पर पूर्ण विराम लगा दिया जाएगा? यह कहना कि विरोध प्रदर्शन हमारा संवैधानिक अधिकार है। इस खतरनाक अभियान का सरलीकरण करना है। सबसे पहले तो विरोध या आंदोलन तार्किक आधार पर ही होना चाहिए। नागरिकता कानून मुसलमानों के खिलाफ है नहीं।एन पी आर 2010 मे हुआ ,2015 मे इसको अघतन किया गया। कोई समस्या नहीं आई यह मूल जनगणना का भाग है।एन आर सी अभी आया नहीं है, जब आएगा तो उसमें कुछ आपत्तिजनक बात होगी तो विरोध किया जाएगा। पर इस समय ऐसा कुछ नहीं है। ऐसा नहीं हो सकता कि अधिकारों के नाम पर ऐसी स्थिति पैदा कर दे जिसमें दूसरे के लिए कर्तव्य पालन कठिन हो जाए और वह भी सुनियोजित राजनीतिक साजिश के तहत।
साफ है कि शाहीन बाग का अंत नहीं होगा तो इसका जहरीला विस्तार और जगाह हो सकता है। कारण इसमें अलग-अलग उद्देश्य से लगे लोग जानते हैं कि इसे जगह-जगह फैलाए बिना वह मोदी सरकार को खलनायक बनाने में कामयाब नहीं होंगे, इसलिए इसे पहले ही ज्यादा विस्तार से रोकना होगा।
इसके कारण देश के एक बड़े वर्ग में गुस्सा पैदा हो रहा है। तो खतरा यह है कि कहीं प्रतिक्रिया के चक्कर में यह वर्ग अगर इनको चुनौती देने लग गया तो स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाएगी। इसलिए जरूरी है कि इसे अब रोका जाए। इसकी चिंता किए बिना किए आगे क्या दुष्प्रचार करेंगे, राजनीतिक पार्टियां इसे कैसे लेगी, इसका कानूनी तरीके से अंत किया जाए।


       लेखक सौरभ कपूर
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पंजाब  के पूर्व प्रदेश मंत्री
वर्तमान में पटियाला बठिंडा के विभाग संगठन मंत्री है।

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