SCO Summit 2019: मोदी ने चीन के सामने पाकिस्तान का मुद्दा उठाया, जिनपिंग को इस साल भारत आने का न्योता दिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई कॉरपोरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) समिट में हिस्सा लेने के लिए किर्गिस्तान के बिश्केक गए हैं. जहां पीएम मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की.

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नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बिश्केक में जारी एससीओ समिट से इतर मुलाकात की। मोदी ने जिनपिंग को इस साल अनौपचारिक मुलाकात के लिए भारत आने का न्योता दिया। जिनपिंग ने भी भारत आने की इच्छा जताई है। इसके बाद मोदी ने समिट से इतर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात की।

विदेश सचिव विजय गोखले ने बताया कि चीन से पाकिस्तान पर संक्षिप्त चर्चा हुई। प्रधानमंत्री ने दोहराया कि पाकिस्तान को चाहिए कि वो आतंक रहित माहौल बनाए। फिलहाल हम ऐसा कुछ भी होते नहीं देख रहे हैं। हम चाहते हैं कि अब वह कोई ठोस कदम उठाए।

‘चीन के लंबित पड़े मामले भी हल हुए’

गोखले ने बताया कि पीएम ने कहा कि रणनीतिक संचार के चलते भारत और चीन के रिश्तों में सुधार हुआ है। भारत में बैंक ऑफ चाइना की ब्रांच खोले जाने और मसूद अजहर जैसे मामले जो काफी वक्त से लंबित पड़े थे, हम उन्हें हल करने में कामयाब हुए। भारत और चीन के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत हुई। इसका मकसद द्विपक्षीय रिश्ते मजबूत करने के प्रयासों को बढ़ावा देना था। प्रधानमंत्री मोदी शंघाई सहयोग सम्मेलन (एससीओ) में हिस्सा लेने के लिए गुरुवार को किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक पहुंचे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक पहुंचे हैं

शंघाई कॉरपोरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक पहुंचे हैं. यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अन्य देशों के नेताओं से मुलाकात करेंगे. इसमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और किर्गिस्तान के राष्ट्रपति सूरोनबे जीनबेकोव का नाम शामिल है. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने SCO समिट से इतर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से वार्ता की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई कॉरपोरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) समिट में हिस्सा लेने के लिए किर्गिस्तान के बिश्केक पहुंच चुके हैं. जहां पीएम मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की.

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर किर्गिस्तान के राष्ट्रपति सूरोनबे जीनबेकोव के साथ भी द्विपक्षीय वार्ता करेंगे. शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी से भी मुलाकात करेंगे. सूत्रों के मुताबिक इस दौरान पीएम मोदी और हसन रुहानी के बीच कई मुद्दों पर चर्चा हो सकती है.
  • किर्गिस्तान के बिश्केक में आयोजित एससीओ के शिखर सम्मेलन में पहुंचने से पहले पीएम मोदी ने बयान जारी कर कहा था, ‘इस शिखर सम्मेलन में वैश्विक सुरक्षा की स्थिति, बहुपक्षीय आर्थिक सहयोग, लोगों से लोगों का संपर्क बढ़ाने समेत अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय महत्व के प्रासंगिक विषयों पर चर्चा होने की उम्मीद है. मेरी इस सम्मेलन से इतर कई नेताओं से मुलाकात करने और द्विपक्षीय बातचीत करने की भी योजना है.’ये पहला मौका होगा जब पीएम मोदी और इमरान खान किसी अंतरराष्ट्रीय मंच पर आमने-सामने होंगे. हालांकि दोनों नेताओं के बीच किसी द्विपक्षीय मुलाकात की संभावना को भारत ने सिरे से खारिज कर दिया है.

एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहे किर्गिस्तान का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा था, ‘भारत ने किर्गिस्तान की अध्यक्षता को पूरा सहयोग दिया है. एससीओ शिखर सम्मेलन के समाप्त होने के बाद 14 जून को मैं किर्गिस्तान के राष्ट्रपति सूरोनबे जीनबेकोव से द्विपक्षीय वार्ता करूंगा.’

भारत और किर्गिस्तान के द्विपक्षीय संबंध मजबूत हुए

आजतक से खास बातचीत में भारत में किर्गिस्तान के राजदूत अलोक डिमरी ने कहा कि दोनों देशों के नेताओं के बीच कई मुद्दों पर चर्चा होगी. दोनों नेता कनेक्टिविटी के मुद्दे पर भी बातचीत करेंगे. हाल ही में पाकिस्तान ने भारतीयों के लिए अपने एयरस्पेस को बंद कर दिया था, जिसके चलते भारतीय नागरिकों और छात्रों को खासी दिक्कतों को सामना करना पड़ा.

किर्गिस्तान के राजदूत ने कहा था, ‘भारत और किर्गिस्तान के रिश्ते ऐतिहासिक और मजबूत हैं

किर्गिस्तान के राजदूत ने कहा था, ‘भारत और किर्गिस्तान के रिश्ते ऐतिहासिक और मजबूत हैं. हम एक दूसरे से बहुत दूर नहीं हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी साल 2015 में मध्य एशियाई देश किर्गिस्तान का दौरा किया था. अब चार साल बाद फिर पीएम मोदी किर्गिस्तान के दौरे पर जा रहे हैं. अभी करीब 10 दिन पहले ही किर्गिस्तान के राष्ट्रपति जीनबेकोव पीएम मोदी के शपथग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली आए थे. अब पीएम मोदी के दौरे को लेकर जबरदस्त उत्साह और उम्मीदे हैं. किर्गिस्तान के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वैश्विक नेता के रूप में देखते हैं.’

उन्होंने बताया ता कि दोनों नेता संयुक्त रूप से भारत-किर्गिस्तान बिजनेस फोरम की पहली बैठक को भी संबोधित कर सकते हैं. हाल ही में किर्गिस्तान के साथ रिश्तों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि रक्षा, सुरक्षा, कारोबार और निवेश समेत कई क्षेत्रों में भारत और किर्गिस्तान के द्विपक्षीय संबंध मजबूत हुए हैं. बताया जा रहा है कि पीएम मोदी के इस दौरे के दरम्यान दोनों देशों के बीच लीगल मेट्रोलॉजी के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने को लेकर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हो सकते हैं.

समित में भारत-पाक बातचीत नहीं

समिट में मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता में शामिल हुए। समिट में पाक प्रधानमंत्री इमरान खान भी शामिल हुए। हालांकि, मोदी और इमरान की मुलाकात नहीं होगी। इमरान पहले ही मोदी को पत्र लिखकर बातचीत की मांग कर चुके हैं। प्रधानमंत्री ओमान, ईरान और मध्य एशिया के रास्ते बिश्केक पहुंचे हैं। एक दिन पहले ही विदेश मंत्रालय ने साफ किया था कि किर्गिस्तान जाने के लिए मोदी पाक का रास्ता नहीं अपनाएंगे।

वैश्विक सुरक्षा और आर्थिक सहयोग बढ़ाने पर रहेगा जोर: मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा था कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में वैश्विक सुरक्षा स्थिति और आर्थिक सहयोग पर मुख्य जोर रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि किर्गिस्तान की उनकी यात्रा एससीओ के सदस्य देशों के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करेगी। मोदी एससीओ सम्मेलन के बाद किर्गिस्तान के राष्ट्रपति के आमंत्रण पर 14 तारीख को वहां की आधिकारिक द्विपक्षीय यात्रा पर रहेंगे।

मोदी ने कहा कि हाल ही में भारत-किर्गिस्तान के बीच रक्षा, सुरक्षा, व्यापार और निवेश सहित कई द्विपक्षीय क्षेत्रों में समझौते हुए। इससे दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत हुए। मोदी यहां किर्गिज राष्ट्रपति जीनबेकोव के साथ भारत-किर्गिज बिजनेस फोरम को भी संबोधित करेंगे।

2001 में बना था शंघाई सहयोग संगठन
एससीओ एक राजनीतिक और सुरक्षा समूह है। इसका हेडक्वार्टर बीजिंग में है। यह 2001 में बनाया गया था। चीन, रूस, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान इसके स्थाई सदस्य हैं। यह संगठन खासतौर पर सदस्य देशों के बीच सैन्य और आर्थिक सहयोग के लिए बनाया गया है। इसमें खुफिया जानकारियों को साझा करना और मध्य एशिया में आतंकवाद के खिलाफ अभियान चलाना शामिल है। भारत और पाकिस्तान इस संगठन से 2017 स्थाई सदस्य के तौर पर जुड़े थे।

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