SCO में पिघलेगी बर्फ! इमरान खान से हो सकती है पीएम मोदी की अनौपचारिक बातचीत

SCO का फोरम दूसरी संस्थाओं से अलग है. इस संगठन में भारत और पाकिस्तान की एंट्री दो साल पहले ही हुई है. 2016 में जब रूस के उफा में SCO की बैठक हुई थी तो कड़वाहट भरे संबंधों के बावजूद पीएम नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ के बीच मुलाकात और बात देखने को मिली थी.

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के पीएम इमरान खान के बीच SCO शिखर सम्मेलन के दौरान अनौपचारिक बातचीत हो सकती है. किर्गिस्तान के शहर बिशेकेक में 13 और 14 जून को SCO का शिखर सम्मेलन होने वाला है. हालांकि दोनों देशों के बीच किसी भी तरह की औपचारिक बातचीत की कोई संभावना नहीं है, लेकिन इंडिया टुडे को मिली जानकारी के मुताबिक दोनों पड़ोसियों के बीच औपचारिक बातचीत की संभावना है।

अब तक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वार्ता की कोई संभावना नहीं

गुरुवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अब तक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वार्ता की कोई संभावना नहीं है. बता दें कि नरेंद्र मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद पाकिस्तान ने तीन दफे भारत के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिश की है. पहली बार पीएम मोदी की जीत पर इमरान खान ने उन्हें बधाई देते हुए ट्वीट किया. इसके बाद उन्होंने नरेंद्र मोदी को फोन किया इसके बाद आखिरकार इमरान खान ने पीएम को चिट्ठी लिखी है. महंगाई, पख्तून आंदोलन, चरमराती अर्थव्यवस्था से जूझ रहे पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने हर बार भारत से बातचीत की इच्छा जताई है.

इमरान खान द्वारा पीएम मोदी को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि दक्षिण एशिया में टिकाऊ शांति और स्थिरता के लिए दोनों देशों का साथ मिलकर काम करना जरूरी है.

भारत पाकिस्तान के बीच 2015 से ही बातचीत बंद है

बता दें कि भारत पाकिस्तान के बीच 2015 से ही बातचीत बंद है. पाकिस्तान से बातचीत के लिए भारत ने पहली शर्त रखी है कि वो जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर ए तय्यबा जैसे आतंकी संगठनों पर सख्त कार्रवाई करे. 2016 की जनवरी में हुए पठानकोट हमला इसके बाद सितंबर में हुए उरी हमला के बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते बेहद तनावपूर्ण रहे. इस साल पुलवामा हमले के बाद तो दोनों देशों के बीच युद्ध सी नौबत आ गई थी.

इमरान खान ने गरीबी हटाओ, शांति जैसे मु्द्दों पर चर्चा तो की

पीएम मोदी को लिखे गए पत्र में इमरान खान ने गरीबी हटाओ, शांति जैसे मु्द्दों पर चर्चा तो की है, लेकिन इस पूरे इलाके में आतंकवाद पर लगाम लगाने का कोई जिक्र नहीं है. जबकि भारत का कहना है कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकता है. यहां यह चर्चा जरूरी है कि जब सितंबर 2018 में इमरान खान पाकिस्तान के पीएम बने थे उस दौरान भी मोदी ने इमरान से संपर्क किया था और रिश्ते सुधारने पर जोर दिया था.

SCO के मंच पर बातचीत की संभावना क्यों?

बता दें कि SCO का फोरम दूसरी संस्थाओं से अलग है. इस संगठन में भारत और पाकिस्तान की एंट्री दो साल पहले ही हुई है. SCO में प्रवेश से पहले दोनों देशों ने एससीओ के कर्ताधर्ता रूस और चीन को भरोसा दिया था कि भारत-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण रिश्तों का असर इस समूह की कार्यप्रणाली पर नहीं पड़ेगा. इसलिए 2016 में जब रूस के उफा में SCO की बैठक हुई थी तो कड़वाहट भरे संबंधों के बावजूद पीएम नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ के बीच मुलाकात और बात हमें देखने को मिली थी.

इसलिए इस बार भी अगर दोनों देशों के नेता SCO के बैनर तले अनौचपारिक रूप से मिलते हैं, एक दूसरे का हाल-चाल पूछते हैं तो हमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए.

पाकिस्तान पर अमेरिका का दबाव

बता दें कि अमेरिका पाकिस्तान पर आतंकी संगठनों पर नकेल कसने के लिए लगातार दबाव बना रहा है. व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने भारत-पाक रिश्तों पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि जबतक पाकिस्तान में आतंकी संगठनों को बाहर नहीं किया जाता है, भारत और पाकिस्तान के लिए लंबे समय तक शांति हासिल कर पाना बेहद मुश्किल होगा, इसलिए ये पाकिस्तान की ये जिम्मेदारी है कि वे ऐसे संगठनों पर कार्रवाई करें.

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