नई दिल्ली. विश्व के सबसे बड़े तेल निर्यातक देश सऊदी अरब ने भारत में 100 अरब डॉलर ( करीब 7 लाख करोड़ रु.) निवेश करने का फैसला किया है। सऊदी अरब ने भारत में बढ़ती आर्थिक संभावनाओं को देखते हुए पेट्रोकेमिकल, इन्फ्रास्ट्रक्चर और माइनिंग समेत कई क्षेत्रों में निवेश की योजना बनाई है। सऊदी अरब के राजदूत डॉ. सऊद बिन मोहम्मद अल सती ने शनिवार को कहा कि हम भारत के साथ लंबी साझेदारी करने के इच्छुक हैं।
मोहम्मद अल सती ने कहा, “सऊदी अरब की सबसे बड़ी तेल कंपनी अरामको ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के सामने साझेदारी का प्रस्ताव रखा है। दोनों देशों के बीच ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में तेल की आपूर्ति, पेट्रोकेमिकल्स और लुब्रिकेंट्स के क्षेत्र में निवेश करना अरामको की वैश्विक रणनीति में शामिल है।
विजन 2030 से दोनों देशों के बीच व्यापार में वृद्धि होगी
उन्होंने कहा, “इस समझौते की पृष्ठभूमि में अरामको ने भारत की ऊर्जा सेक्टर में 44 बिलियन डॉलर की वेस्ट कोस्ट रिफाइनरी और महाराष्ट्र में पेट्रोकेमिकल्स प्रोजेक्ट पर निवेश की योजना बनाई है। रिलायंस के साथ लंबी साझेदारी यह दर्शाता है कि दोनों देशों के साथ व्यापार समझौता मील का पत्थर साबित हुआ है।” उन्होंने कहा कि सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के विजन 2030 से भारत और सऊदी अरब के बीच व्यापार में वृद्धि होगी।
दोनों देशों में निवेश के लिए 40 अवसरों की तलाश हुई
उन्होंने कहा कि 2019 में भारत और सऊदी अरब के बीच विभिन्न क्षेत्रों में संयुक्त भागीदारी और निवेश के लिए 40 से अधिक अवसरों की पहचान की गई है। विजन 2030 के तहत सऊदी अरब की योजना पेट्रोलियम उत्पादों पर से आर्थिक निर्भरता हटाकर अपनी अर्थव्यवस्था को विविध क्षेत्रों में विस्तार करने की है। सऊदी अरब भारत की ऊर्जा सुरक्षा का मजबूत स्तंभ है। भारत सऊदी अरब से अपनी जरूरत का 17% कच्चा तेल और 32% एलपीजी खरीदता है।