जम्मू-कश्मीर: राहुल गांधी पर सत्यपाल मलिक का प्रहार, कहा- राष्ट्रीय हित ध्यान में रखना चाहिए
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कई अन्य विपक्षी दलों के कई वरिष्ठ नेता शनिवार को कश्मीर गए थे, लेकिन उन्हें श्रीनगर हवाई अड्डे से वापस भेज दिया गया।
श्रीनगर। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कई अन्य विपक्षी दलों के कई वरिष्ठ नेता शनिवार को कश्मीर गए थे, लेकिन उन्हें श्रीनगर हवाई अड्डे से वापस भेज दिया गया। राहुल गांधी को वापस भेजने को लेकर जब सूबे के राज्यपाल सत्यपाल मलिक से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि अभी उनकी यहां कोई जरूरत नहीं है।
Jammu & Kashmir Governor Satya Pal Malik on Rahul Gandhi visiting SRINAGAR: There is no need for him now, he was needed when his colleague was speaking in the Parliament. If he wants to aggravate the situation & come here to repeat the lie he told in Delhi, it is not good. pic.twitter.com/yVOTMdTn0K
— ANI (@ANI) August 24, 2019
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा, “अभी उनकी यहां कोई जरूरत नहीं है। उनकी जरूरत तब थी जब उनके सहयोगी संसद में बोल रहे थे। यदि वह स्थिति को बढ़ाना चाहते हैं और दिल्ली में उनके द्वारा बताए गए झूठ को दोहराना चाहते हैं, तो यह अच्छा नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा कि मैंने उन्हें सद्भावना से आमंत्रित किया था लेकिन उन्होंने राजनीति करना शुरू कर दिया, यह इन लोगों द्वारा राजनीतिक कार्रवाई के अलावा कुछ नहीं था। पार्टियों को इन समय में राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखना चाहिए।
राहुल गांधी के साथ गुलाम नबी आजाद, केसी वेणुगोपाल और आनंद शर्मा सहित कुल 10 नेता श्रीनगर गए थे, लेकिन उन्हें श्रीनगर एयरपोर्ट से बाहर निकलने की इजाजत नहीं दी गई। बता दें, कि हाल ही में सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के कई प्रावधान हटाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों को बांटने का कदम उठाया।
J&K Governor Satya Pal Malik on Rahul Gandhi & opposition leaders visiting SRINAGAR: I had invited him out of goodwill but he started doing politics, it was nothing but a political action by these people. Parties should keep in mind the national interest at these times. https://t.co/csGn48oQ0A
— ANI (@ANI) August 24, 2019
इसके मद्देनजर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य के कई इलाकों में एहतियातन भारी सुरक्षा बलों की तैनाती की गई और मोबाइल एवं इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गईं। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती सहित कई नेताओं को हिरासत में लिया गया या नजरबंद किया गया।