विदेश मंत्री जयशंकर बोले- 1962 में चीन से जंग के बाद दुनिया में भारत की स्थिति को नुकसान
आज के दौर में भारत आतंकवाद से कैसे निपट रहा है, इसके बारे में उन्होंने कहा कि मुंबई आतंकी हमले के वक्त क्या हुआ और दूसरी तरफ उरी व पुलवामा हमले के खिलाफ कैसी कार्रवाई की गई, इसे समझने की जरूरत है.
- विदेश मंत्री ने कहा, शिमला समझौते कारण जम्मू-कश्मीर में पाक ने विद्रोह पैदा किया
- जयशंकर ने कहा, दुनिया अगर बदली हुई है तो हमें उसी हिसाब से बात करनी होगी
नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि विश्व मंच पर उस दौर में भारत की स्थिति काफी अच्छी थी लेकिन चीन के साथ 1962 के जंग ने देश की स्थिति को काफी नुकसान पहुंचाया. दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि 1972 के शिमला समझौते के कारण जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के कारण एक विद्रोही समस्या पैदा हुई.
विदेश मंत्री ने कई मामलों पर बात करते हुए हाल के दशक में भारत की मजबूत स्थिति का हवाला दिया. विदेश मंत्री ने कहा, आज की दुनिया अगर बदली हुई है तो हमें उसी हिसाब से बात करने और एक दूसरे से जुड़ने की जरूरत है. अलग थलग पड़ने से शायद ही कोई मदद मिलने वाली है. आज के दौर में भारत आतंकवाद से कैसे निपट रहा है,
इसके बारे में उन्होंने कहा कि मुंबई आतंकी हमले के वक्त क्या हुआ और दूसरी तरफ उरी व पुलवामा हमले के खिलाफ कैसी कार्रवाई की गई, इसे समझने की जरूरत है. विदेश मंत्री ने मुंबई हमले के बाद ‘प्रतिक्रिया में कमी’ की बात उठाई.
विदेश मंत्री का इशारा उरी और पुलवामा हमले के बाद भारत की सर्जिकल स्ट्राइक की तरफ था. क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) में भारत के न जुड़ने पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि कोई बुरा समझौता करने से अच्छा है कोई समझौता न किया जाए.
गौरतलब है कि आरसीईपी से जुड़ी वार्ता साल 2012 में आसियान की ओर से शुरू की गई थी. इसके सदस्यों में 10 आसियान देश, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं. आरसीईपी समझौते में 3.5 अरब जनसंख्या शामिल है, जो दुनिया की कुल जनसंख्या का 48 प्रतिशत है. भारत ने अभी हाल में इससे जुड़ने से इनकार कर दिया था.