मुंबई. रिजर्व बैंक ने एनपीए पर संशोधित सर्कुलर शुक्रवार को जारी कर दिया। इसमें बैकों को निर्देश दिए गए हैं कि किसी कर्जधारक के डिफॉल्ट करने के 30 दिन में उसके खाते की समीक्षा शुरू की जाए। पुराने सर्कुलर के मुताबिक डिफॉल्ट होने के एक दिन में ही बैंकों को रिव्यू शुरू करना होता था। 30 दिन की समीक्षा अवधि के दौरान कर्जदाता रेजोल्यूशन प्लान की रणनीति तय कर सकेंगे।
#BREAKING | @RBI issues revised circular on resolutions of stressed loans
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प्लान लागू किया जाता है तो सभी कर्जदाताओं को इंटर-क्रेडिटर एग्रीमेंट (आईसीए) करना होगा। इसके तहत मिलकर नियम तय किए जा सकेंगे। कर्जदाता कानूनी कार्रवाई भी कर सकेंगे। नया सर्कुलर तुरंत प्रभाव से लागू होगा।आरबीआई के 12 फरवरी 2018 के सर्कुलर को सुप्रीम कोर्ट ने इस साल 2 अप्रैल को गैर-संवैधानिक बताकर रद्द कर दिया था।
Governor about to address press conference post release of second bi-monthly monetary policy #rbitoday #rbigovernor #monetarypolicy pic.twitter.com/dXlxbELCXU
— ReserveBankOfIndia (@RBI) June 6, 2019
नए सर्कुलर के मुताबिक रेजोल्यूशन प्लान के लिए अब कुल लोन की 75% वैल्यू वाले कर्जदाताओं की मंजूरी जरूरी होगी। पहले सभी कर्जदाताओं की मंजूरी लेनी होती थी। समीक्षा अवधि से 180 दिन में रेजोल्यूशन प्लान लागू नहीं होता है तो आरबीआई बैंकों से 20% अतिरिक्त प्रोविजनिंग के लिए कहेगा। 365 दिन में रेजोल्यूशन प्लान लागू नहीं होने पर 35% अतिरिक्त प्रोविजनिंग करनी होगी।
पिछले साल के सर्कुलर में क्या था ?
आरबीआई के 12 फरवरी 2018 वाले सर्कुलर में प्रावधान था कि 2,000 करोड़ रुपए से अधिक के लोन में एक दिन का भी डिफॉल्ट होता है तो उस कर्ज को एनपीए घोषित कर उसके निपटारे की प्रक्रिया (रेजोल्यूशन) शुरू कर दी जाए। ऐसे कर्ज का 180 दिन के भीतर निपटारा नहीं होने पर बैंकों को उसे दिवालिया प्रक्रिया में भेजना होता था।
उर्जित पटेल-सरकार के बीच विवाद की वजह था एनपीए से जुड़ा सर्कुलर
एनपीए से जुड़ा आरबीआई का फरवरी 2018 वाला सर्कुलर आरबीआई के पिछले गवर्नर उर्जित पटेल और सरकार के बीच विवाद का मुद्दा भी था। उर्जित पटेल ने पिछले साल दिसंबर में इस्तीफा दे दिया था।