कोरोना संकट-लॉकडाउन के बीच RBI ने बैंकों-एनबीएफसी को दिया 1 लाख करोड़ की नकदी का तोहफा

देश में जारी लॉकडाउन के बीच बैंकों, माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूट (MFI) और गैर ​बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को RBI ने बड़ी राहत दी है. आर्थिक संकट के दौर में इन संस्थाओं को नकदी की काफी समस्या हो रही थी. RBI ने उन्हें 1 लाख करोड़ रुपये की नकदी देने की व्यवस्था की है.

  • रिजर्व बैंक के गवर्नर ने शुक्रवार को किए कई ऐलान
  • बैंकों—एनबीएफसी में नकदी संकट दूर करने का प्रयास
  • उन्हें 1 लाख करोड़ रुपये के वित्त की व्यवस्था की गई
  • इससे कॉरपोरेट और आम जनता को होगा फायदा

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने देश में जारी लॉकडाउन के बीच बैंकों, माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूट (MFI) और गैर ​बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को बड़ी राहत देते हुए उन्हें 1 लाख करोड़ रुपये की नकदी देने की व्यवस्था की है. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने नकदी प्रवाह बढ़ाने के लिए शुक्रवार को कई ऐलान किए हैं.

50 हजार करोड़ का TLTRO

रिजर्व बैंक ने 50 हजार करोड़ रुपये के टारगेटेड लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशन (TLTRO) के जरिए 50 हजार करोड़ रुपये सिस्टम में लाने का ऐलान किया है. यह कई टुकड़ों में किया जाएगा और गवर्नर ने कहा कि हालात की समीक्षा के बाद जरूरत हुई तो और भी नकदी डाली जाएगी. गौरतलब है कि आर्थिक संकट के दौर में इन संस्थाओं को नकदी की काफी समस्या हो रही थी.

क्या होगा फायदा

बैंक और वित्तीय संस्थाएं जब इस तरह का फंड हासिल करेंगी तो उसे कंपनियों, एनबीएफसी और माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूट के इनवेस्टमेंट ग्रेड बॉन्ड में लगाएंगी. इस तरह से कॉरपोरेट और छोटी वित्त संस्थाओं को पैसा मिल पाएगा. गौरतलब है कि खासकर लघु वित्त संस्थाओं को नकदी की काफी तंगी से गुजरना पड़ रहा है.

नाबार्ड, सिडबी और एनएचबी को 50 हजार करोड़

इसके आलवा रिजर्व बैंक ने नाबार्ड, सिडबी और एनएचबी जैसी सरकारी वित्त संस्थाओं को 50 हजार करोड़ रुपये की रीफाइनेंस यानी पुनर्वित्त की व्यवस्था करने की घोषणा की है. ये संस्थाएं वित्त हासिल कर फिर जनता और उद्यमियों को कर्ज दे सकेंगी.

संकट के दौर में देश की इकोनॉमी को बचाने के लिए रिजर्व बैंक एक्टिव है. इसके पहले रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 27 मार्च को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया था, उसमें उन्होंने रेपो रेट में 0.75 फीसदी की भारी कटौती का ऐलान किया था.

गौरतलब है कि कोरोना संकट की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत काफी खराब है. लॉकडाउन की वजह से लगभग सभी तरह के काम-धंधे बंद पड़े हैं और हर दिन 35 हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है. लॉकडाउन के पहले चरण में ही देश की जीडीपी को करीब 8 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है. दुनिया भर के केंद्रीय बैंक अपनी इकोनॉमी को बचाने के लिए एक्टिव हैं और रिजर्व बैंक भी इस मामले में पीछे नहीं है.

आरबीआई के अहम फैसले

सिस्टम में लिक्वडिटी मेंटेन की जाए।

बैंक क्रेडिट फ्लो को फैसिलिटेट किया जाए और बढ़ाया जाए।

फाइनेंशियल दवाब को कम किया जाए।

मार्केट्स में फॉर्मल वर्किंग शुरू हो सके।

फाइनेंशियल सिस्टम पर है केंद्रीय बैंक की नजर

आरबीआई गवर्नर ने सिस्टम में नकदी संकट कम करने के लिए थ्री लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशंस (TLTRO) शुरू किया है। 25,000 करोड़ रुपए का TLTRO आज यानी 17 अप्रैल को शुरू किया जाएगा। इससे कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट में तेजी आई है। साथ ही म्यूचुअल फंड पर रीडम्पशन का दबाव भी कम हुआ है। केंद्रीय बैंक लगातार हालात पर नजर बनाए हुए है कि फाइनेंशियल सिस्टम ठीक से काम कर रहा है या नहीं।

फिस्कल ईयर 2020 से अगली नोटिस तक बैंक नहीं देंगे डिविडेंड

शेड्यूल कमर्शियल बैंक और दूसरे फाइनेंशियल संस्थानों को अतिरिक्त 20 फीसदी का प्रोविजन करना होगा। लोन अकाउंट के रेज्योलूशन की चुनौतियों को देखते हुए रेज्योलूशन की अवधि को बढ़ाकर 90 दिन कर दिया गया है। डिफॉल्ट करने वाले बड़े लोन अकाउंट के रेज्योलूशन के लिए 180 दिनों का वक्त दिया जाएगा। 7 जून के सर्कुलर के तहत अतिरिक्त 20 फीसदी प्रोविजनिंग से छूट दी जाएगी। इसके साथ ही बैंक फिस्कल ईयर 2020 से अगले नोटिस तक डिविडेंड नहीं देंगे।

एलसीआर 100 से घटकर 80 प्रतिशत हुआ

इसी तरह शेड्यूल कमर्शियल बैंकों के लिए लिक्विड कवरेज रेशियो (LCR) 100 फीसदी से घटाकर 80 फीसदी कर दिया गया है। यह फैसला तत्काल प्रभाव से लागू हुआ। अक्टूबर 2020 तक इसे बढ़ाकर 90 फीसदी किया जाएगा और अप्रैल 2021 तक इसे दोबारा 100 फीसदी कर दिया जाएगा। इस प्रणाली से 6.91 लाख करोड़ का सरप्लस होगा, जो बैंकों को अर्थव्यवस्था में इस सरप्लस का उपयोग करने की अनुमति देगा।

आंकड़ों से किसी तरह की गलतफहमी नहीं होनी चाहिए

गवर्नर ने कहा, दूसरे प्रोडक्शन सेक्टर्स में हालात काफी खराब है जो आईआईपी के आंकड़ों में शामिल नहीं है। Covid-19 का असर अभी आईआईपी के आंकड़ों में शामिल नहीं है, इसलिए आंकड़ों से किसी तरह की गलतफहमी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मार्च में ऑटोमोबाइल के प्रोडक्शन और सेल्स में बड़ी गिरावट आई है। एक्सपोर्ट बंद होने के कारण मार्च 2020 में सर्विस पीएमआई घटकर सुस्ती में आ गई। मार्च में एक्सपोर्ट में 34.6 फीसदी की कमी आई है। कोरोनावायरस की वजह से बिजली की डिमांड में करीब 25-30 फीसदी की कमी आई है। ग्लोबल क्राइसिस के मुकाबले अभी हालात ज्यादा बुरे हैं।

ग्रामीण मांग बढ़ने की उम्मीद

मॉनसून से पहले खरीफ फसल की बुआई अच्छी है। पिछले साल के मुकाबले इस साल अप्रैल अंत तक धान की बुआई 37 फीसदी ज्यादा है। 15 अप्रैल को मौसम विभाग ने भी इस साल सामान्य मॉनसून रहने का अनुमान जताया है। ये शुरुआती संकेत हैं और इससे ग्रामीण मांग बढे़गी। उनके मुताबिक कुछ फाइनेंशियल मार्केट में उतार-चढ़ाव बना हुआ है। क्रूड ऑयल की कीमतों में भी तेजी नरमी बनी हुई है। ओपेक देशों ने क्रूड के प्रोडक्शन में कमी का फैसला कर लिया है। आईएमएफ के अनुमान के मुताबिक, भारत कोरोनावायरस संकट के बाद फिस्कल ईयर 2022 में देश के जीडीपी की ग्रोथ 7.4 फीसदी रह सकती है।

मानवता की परीक्षा भी है

गवर्नर ने कहा कि कुछ एरिया में मैक्रो इकोनॉमी कमजोर हुई है तो कहीं रोशनी की किरण भी नजर आई है। हालांकि भारत उन देशों में शामिल है जिनकी GDP पॉजिटिव है। मैक्रो इकोनॉमी की स्थिति बहुत खराब है। आईएमएफ का अनुमान है कि महामंदी के बाद ग्लोबल इकोनॉमी का सबसे बुरा दौर है। उन्होंने कहा कि इस महामारी के समय में मानवता की परीक्षा है। हमारा मिशन है किसी भी तरह मानवता को बचाना। हेल्थ वर्कर्स, पुलिस स्टाफ और दूसरे फ्रंटलाइन सर्विस प्रोवाइडर बेहतरीन काम कर रहे हैं। बैंक और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन ने भी अपनी सर्विस देने के लिए काफी अच्छा काम कर रहे हैं।

बैंकों ने उचित कार्य शुरू किया है

7.4 प्रतिशत रह सकती है विकास दर

आईएमएफ के अनुमानों के मुताबिक, G20 देशों में भारत की ग्रोथ सबसे बेहतर रह सकती है। उन्होंने कहा कि बैंकों ने उचित कार्य करना सुनिश्चित किया है, उनका काम प्रशंसनीय योग्य है। इस साल 1.9% विकास दर का अनुमान है। छोटे और मध्यम वित्तीय संस्थाओं को 50,000 करोड़ रुपए की मदद का एलान किया गया जिसमें सिडबी को 25 हजार करोड़ तथा नेशनल हाउसिंग बैंक को 10 हजार करोड़ और नाबार्ड के लिए 15,000 करोड़ रुपए की मदद का एलान किया गया है। आरबीआई ने अनुमान लगाया है कि कोरोना खत्म होने के बाद 7.4% विकास दर रह सकती है।

सिस्टम में नगदी की कोई कमी नहीं

दास ने कहा कि सिस्टम में नगदी की कोई कमी नहीं होगी देश के 91% एटीएम काम कर रहे हैं। रिवर्स रेपो रेट घटने से बैंकों को कर्ज देने में आसानी होगी। हम मानते हैं कि COVID-19 ने उधारकर्ताओं की चुकाने की क्षमता को चुनौती दी है। इस प्रकार 90 दिन का मोरेटोरियम इसमे सहायक सिद्ध होगा। उनके मुताबिक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 476 बिलियन डॉलर के ऊपर रहा है और एनबीएफसी द्वारा कमर्शियल रियल इस्टेट को दिए गए कर्ज में भी समान राहत मिलेगी। इससे एनबीएफसी और रियल इस्टेट सेक्टर को राहत मिलेगी। नए कदम जब भी जरूरत होगी घोषित होंगे। बैंक अपने लेवल पर अपनी उच्च कार्यक्षमता को यूँ ही बनायें रखेंगे जो बाद में वास्तविक स्लिपेज के लिए समायोजित किया जा सकता है।

27 मार्च को आरबीआई ने की थी राहत पैकेज की घोषणा

कोरोनावायरस संकट के बीच आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने 27 मार्च को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान रेपो रेट में 0.75% की कटौती का ऐलान किया था। साथ ही यह भी कहा कि टर्म लोन की ईएमआई चुकाने में 3 महीने की छूट मिलेगी। कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) 1% घटाकर 3% किया गया था। आरबीआई के इन कदमों से सिस्टम में 3.74 लाख करोड़ रुपए की नकदी बढ़ाने में मदद मिलने का अनुमान है।

सेंसेक्स में 1,050 अंकों की उछाल, पर बाद में उछाल में आई 300 अंकों की गिरावट

आरबीआई गवनर्र की प्रेस कांफ्रेंस से पहले खुले शेयर बाजार में जबरदस्त देखी गई है। बीएसई सेंसेक्स 1,050 अंकों की बढ़त के साथ कारोबार कर रहा था। हालांकि प्रेस कांफ्रेंस के बाद सेंसेक्स 750 अंक ऊपर कारोबार कर रहा था। दिग्गज शेयरों के साथ ही मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी तेजी देखने को मिल रही है। बीएसई का मिडकैप इंडेक्स 2.17 फीसदी की तेजी के साथ कारोबार कर रहा है। वहीं, बीएसई का स्मॉलकैप इंडेक्स 1.66 फीसदी की बढ़त के साथ कारोबार कर रहा है। तेल-गैस शेयरों में भी आज तेजी नजर आ रही है। बीएसई का ऑयल एंड गैस इंडेक्स 2.15 फीसदी की तेजी के साथ कारोबार कर रहा है।

टीएलटीआरओ क्या होता है?
टारगेटेड लॉन्गर टर्म रिफाइनेंशिंग ऑपरेशंंस (टीएलटीआरओ) के जरिए क्रेडिट संस्थाओं को फाइनेंसिंग मुहैया कराई जाती है। इसके तहत बैंकों को लंबे समय के लिए आकर्षक शर्तों पर फंडिंग मुहैया कराई जाती है। इससे बैंकों के पास उधारी के लिए अच्छी सुविधाएं होती हैं तो अर्थव्यवस्था को कर्ज देने के लिए भी अच्छा मौका होता है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.