अयोध्या / राम मंदिर नए पत्थरों से भी 2 साल में पूरा बन सकता है, तब तक रामलला लकड़ी और बुलेटप्रूफ कांच से बने मंदिर में रहेंगे

मंदिर विहिप के मॉडल पर बने या नए मॉडल पर, इस पर ट्रस्ट फैसला लेगा विहिप का दावा- नए मॉडल पर फैसला हुआ तो मंदिर पूरा बनने में 25 साल लग जाएंगे

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लखनऊ. अयोध्या में 2 अप्रैल को चैत्र रामनवमी से मंदिर निर्माण की शुरुआत हो सकती है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ विकास क्षेत्र ट्रस्ट के गठन के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि मंदिर किस मॉडल पर बनेगा? यह विहिप के 1987 के मॉडल के अनुसार तराशे गए पत्थरों से होगा या फिर नए मॉडल के मुताबिक नए पत्थरों से बनेगा, इस पर फैसला बोर्ड ऑफ ट्रस्टी को लेना है। अगले हफ्ते इसकी बैठक हो सकती है। अयोध्या में मंदिर बनना शुरू होते ही 27 साल से टेंट में विराजमान रामलला कहां विराजेंगे, इस पर फैसला हो गया है। अयोध्या मामले से जुड़े गृह विभाग के अधिकारियों के अनुसार, रामलला के लिए लकड़ी और कांच से अस्थायी मंदिर दिल्ली में तैयार हो रहा है। इसमें चारों तरफ से बुलेटप्रूफ कांच लगा होगा। सभी मौसम के अनुकूल बनाया जाएगा।

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विहिप के मॉडल के मुताबिक, राम मंदिर 106 खंभों पर दो मंजिला होगा। इसके लिए 60 से 70 फीसदी पत्थर तराशे जा चुके हैं। विहिप के उपाध्यक्ष चंपतराय बंसल का मानना है, ‘विहिप के मॉडल की बजाय अगर नए मॉडल से मंदिर बनेगा तो उसे पूरा होने में 25 साल का समय लगेगा।’ मंदिर के निर्माण को लेकर विहिप के मॉडल और नए मॉडल के समर्थन और विरोध में अलग-अलग तर्क हैं। विहिप के मॉडल और उसके अनुसार तराशे गए पत्थरों के बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि यह मंदिर निर्माण के लिए सबसे अनूठा और भव्य मॉडल नहीं है। उसके बारे में नए सिरे से विचार करने की जरूरत है। भव्य मंदिर का बलुआ पत्थरों से निर्माण सही नहीं है।

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मायावती ने चार साल में अंबेडकर और कांशीराम स्मारक बना दिया था
आर्किटेक्ट सुधीर श्रीवास्तव पत्थरों का बड़ा मंदिर बनाने में लगने वाले वक्त का अनूठे तरीके से आकलन करते हैं। वे कहते हैं, ‘राम मंदिर निर्माण में ज्यादा समय नहीं लगेगा। इसका अंदाजा लखनऊ के अंबेडकर और कांशीराम स्मारकों को देखकर लगाया जा सकता है। मायावती की सरकार के समय 2007 से 2012 के बीच बड़े पत्थरों से ये स्मारक बने थे। राम मंदिर को कितना भी भव्य बनाने का फैसला लिया जाए, इसमें दो साल से ज्यादा समय नहीं लगेगा।’ पुरातात्विक महत्व वाली जगहों को संरक्षित करने के विशेषज्ञ नितिन कोहली बताते हैं, ‘पत्थरों को तराशने का काम कम्प्यूटर के जरिए बेहतर तरीके से और तेजी से किया जा सकता है। थ्रीडी कार्विंग में कारीगारों की जरूरत पड़ेगी, लेकिन इसमें भी ज्यादा समय नही लगेगा।’

रामकोट बनेगा श्रीरामलला विराजमान राजस्व गांव
उत्तर प्रदेश सरकार 67 एकड़ जमीन और उससे जुड़ी भूमि को मिलाकर नया राजस्व ग्राम ‘श्रीरामलला विराजमान’ बनाने की तैयारी कर रही है। आसपास की कुछ और जमीनों के अधिग्रहण के बाद इसका पूरा क्षेत्र करीब 100 एकड़ तक हो सकता है। विहिप के सूत्रों का दावा है कि श्रीरामलला राजस्व ग्राम अयोध्या नगर निगम में दर्ज होकर ‘श्रीरामलला शहर’ हो जाएगा।

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