राम मंदिर पर फिर गरमाई सियासत, रामलला के दर्शन करके बोले उद्धव- जरूरत पड़ी तो मंदिर के लिए फिर करेंगे आंदोलन
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि केंद्र में मजबूत सरकार है. मोदी सरकार अगर मंदिर बनाने के लिए कदम उठाती है तो हम साथ रहेंगे. उद्धव ने कहा, केंद्र सरकार राम मंदिर निर्माण का फैसला करे और ऑर्डिनेंस लाकर मंदिर बनाया जाए. उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो हम फिर मंदिर आंदोलन शुरू करेंगे.
अयोध्या. शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे रविवार को अयोध्या पहुंचे। वे यहां अपने 18 सांसदों के साथ रामलला के दर्शन करेंगे। यह उद्धव का सात महीने में अयोध्या का दूसरा दौरा है। इस बार उनका दौरा केवल ढाई घंटे का होगा। दर्शन के बाद ठाकरे होटल पंचशील में प्रेसवार्ता भी करेंगे। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर एक बार फिर से सियासत तेज हो गई है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अपने 18 सांसदों के साथ आज रविवार को अयोध्या पहुंच गए हैं. उनका यह कदम राम मंदिर निर्माण के लिए मोदी सरकार पर राजनीतिक दबाव बनाने के रूप में देखा जा रहा है.
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर एक बार फिर से सियासत तेज हो गई है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अपने 18 सांसदों के साथ आज (रविवार) रामलला के दरबार पहुंचे और रामलला मंदिर में प्रार्थना की. उनका यह कदम राम मंदिर निर्माण के लिए मोदी सरकार पर राजनीतिक दबाव बनाने के रूप में देखा जा रहा है.
Shiv Sena chief Uddhav Thackeray leaves after offering prayer at Ram Lalla temple in Ayodhya. His son Aditya Thackeray, & Shiv Sena MP Sanjay Raut also present. pic.twitter.com/xxyO7u42zR
— ANI UP (@ANINewsUP) June 16, 2019
अयोध्या में उद्धव ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि केंद्र में मजबूत सरकार है. मोदी सरकार अगर मंदिर बनाने के लिए कदम उठाती है तो हम साथ रहेंगे. उद्धव ने कहा, केंद्र सरकार राम मंदिर निर्माण का फैसला करे और जल्दी राम मंदिर बने. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि ऑर्डिनेंस लाकर मंदिर बनाया जाए. उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो हम फिर मंदिर आंदोलन शुरू करेंगे.
उद्धव ने कहा, पिछली बार जब आया था तो लोगों को लगा कि मैं सियासत करने आया हूं लेकिन मैंने तभी नारा दिया था ‘पहले मंदिर फिर सरकार’.. मैंने कहा था कि मैं चुनाव के बाद फिर आऊंगा और मैंने अपना वादा निभाया. आज कह रहा हूं कि कि मंदिर बनेगा ही बनेगा.
उन्होंने कहा, अयोध्या ऐसी जगह है जहां बार-बार आने की इच्छा होती है. मैं अयोध्या आता रहूंगा लेकिन अगली बार कब आऊंगा पता नहीं. बता दें कि शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे के साथ सांसद संजय राउत, आदित्य ठाकरे शिवसेना भी मौजूद रहे. उद्धव ने अपने 18 सांसदों के साथ रामलला के दर्शन किए.
लोकसभा चुनाव से पहले भी उद्धव ठाकरे ने अपने परिवार के साथ अयोध्या का दौरा किया था और राम मंदिर निर्माण को लेकर मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा किया था. अब लोकसभा चुनाव के बाद साधु-संतों के जयकारे के बीच उद्धव ठाकरे खुद भी अपने 18 सांसदों के साथ अयोध्या पहुंचे हैं. उद्धव ठाकरे के साथ आदित्य ठाकरे भी अयोध्या पहुंचे हैं. इसकी जानकारी उन्होंने ट्विटर अकाउंट पर भी शेयर की है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा- जय श्री राम
Shiv Sena chief Uddhav Thackeray arrives in Ayodhya. pic.twitter.com/0J5qzvZhHT
— ANI UP (@ANINewsUP) June 16, 2019
जब लोकसभा चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे पहली बार अयोध्या पहुंचे थे, तब कहा था कि राम हमारे लिए राजनीति का विषय नहीं हैं. शिवसेना राम के नाम पर कभी वोट नहीं मांगेगी. लोकसभा चुनाव के बाद हम फिर अयोध्या आएंगे. वैसे देखा जाए, तो उद्धव ठाकरे की सियासी विरासत ही अयोध्या से जुड़ी है. हालांकि ये बात अलग है कि उनको इसे अयोध्या यात्रा के साथ संभालने का ख्याल तीन दशक बाद आया.
राम मंदिर निर्माण की प्रतिबद्धता को मिलेगी मजबूती
शिवसेना ने एक बयान में कहा है कि लोकसभा चुनाव के बाद इस यात्रा के जरिए अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए प्रतिबद्धता को और मजबूती मिलेगी। ठाकरे की अयोध्या यात्रा से पहले पार्टी नेता संजय राउत उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर चुके हैं। योगी ने ठाकरे और शिवसेना के सांसदों को राज्य अतिथि का दर्जा दिया है।
उद्धव ठाकरे के दौरे को लेकर सुरक्षा कड़ी
शिवसेना नेताओं के अयोध्या में आगमन से पहले यहां सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। एसएसपी ने बताया कि यहां आने-जाने वाले लोगों की सघन तलाशी ली जा रही है। पुलिस की होटलों और धर्मशालाओं पर विशेष नजर है।
राम का धन्यवाद देने आ रहे हैं ठाकरे
उत्तरप्रदेश शिवसेना के अध्यक्ष अनिल सिंह ने बताया कि लोकसभा चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे कई धार्मिक स्थानों पर दर्शन के लिए गए थे। अब चुनाव में पार्टी के अच्छे प्रदर्शन के बाद वह अयोध्या जाकर पूजा-अर्चना करेंगे। उनकी अयोध्या यात्रा लोकसभा चुनाव में पार्टी के शानदार प्रदर्शन के बाद भगवान राम का धन्यवाद करने के लिए है। ठाकरे ने चुनाव में जीत मिलने के बाद अयोध्या दोबारा आने की बात कही थी।
वहीं, मोदी सरकार और योगी सरकार पर साधु-संत लगातार दबाव बना रहे हैं. इनका कहना है कि मोदी सरकार एक बार फिर से राम मंदिर निर्माण का वादा करके सत्ता में बहुमत से आ गई है. अब केंद्र में मोदी सरकार और उत्तर प्रदेश में योगी सरकार है, तो राम मंदिर निर्माण में देरी किस बात की? साधु-संत लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार से राम मंदिर बनाने के लिए अध्यादेश तक लाने की मांग कर चुके हैं.
संत समाज के साथ शिवसेना जैसे सियासी सहयोगी दल भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं. ऐसे में अब मंदिर निर्माण के लिए इससे बेहतर सियासी हालात और क्या होंगे? वैसे भी राम मंदिर मुद्दे के सहारे ही बीजेपी ने अपना अलग सियासी वजूद बनाया है. फिलहाल राम मंदिर निर्माण का मामला सुप्रीम कोर्ट में है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कह चुके हैं कि कोर्ट का फैसला आने के बाद ही सरकार इस मसले पर कोई कदम उठाएगी.
क्या है पूरा मामला?
राम मंदिर मामले को साल 1950 में गोपाल सिंह विशारद ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल किया था. इसके जरिए उन्होंने विवादित स्थल पर हिंदू रीति रिवाज से पूजा करने की इजाजत मांगी. इसके बाद साल 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने विवादित भूमि पर अपने नियंत्रण की मांग की. निर्मोही अखाड़ा की तरह मुस्लिम सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी कोर्ट में विवादित भूमि पर अपना दावा ठोक दिया.
इसके बाद साल 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांट दिया और रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा व सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच को सौंप भी दिया. अब इसी टाइटिल सूट पर आम सहमति के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यों का पैनल बनाया है, जिसे नई समय सीमा के तहत 15 अगस्त तक अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में दाखिल करनी है.
यह पैनल इस बात की तस्दीक करेगा कि क्या विवाद से जुड़े पक्षों के बीच आम सहमति बन सकती है. अगर हां, तो इसका फार्मूला क्या होगा? इस तीन सदस्यीय पैनल में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति फकीर मोहम्मद इब्राहिम कलिफुल्ला, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचु शामिल हैं. इस पैनल की रिपोर्ट के सामने आने के बाद ही पता चल पाएगा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता आखिर कैसे बनेगा?