अयोध्या केस : वकील बोले- मंदिर मंदिर ही रहेगा, ढांचा बनने से जमीन पर हक नहीं मिलता
मंगलवार को रामलला विराजमान के वकील सीएस. वैद्यनाथन ने अदालत में अपनी दलीलें रखीं और ASI की रिपोर्ट समेत कुछ साक्ष्य अदालत के सामने पेश किए. बुधवार को भी वह ही अपनी दलीलें आगे बढ़ाएंगे.
नई दिल्ली। रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का आज नौवां दिन है. 6 अगस्त से सर्वोच्च अदालत इस मामले की रोजाना सुनवाई कर रही है, जिसके तहत हफ्ते में पांच दिन मामला सुना जा रहा है. मंगलवार को रामलला विराजमान के वकील सीएस. वैद्यनाथन ने अदालत में अपनी दलीलें रखीं और ASI की रिपोर्ट समेत कुछ साक्ष्य अदालत के सामने पेश किए. बुधवार को भी वह ही अपनी दलीलें आगे बढ़ा रहे हैं.
21.8.2019 की लाइव सुनवाई…
01.00 PM: अयोध्या मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है. संवैधानिक बेंच अभी लंच के लिए उठ गई है. लंच के बाद एक बार फिर सुनवाई शुरू होगी.
12.21 PM: रामलला विराजमान की तरफ से वकील सीएस. वैद्यनाथन ने चीफ जस्टिस की बेंच के सामने अपने तर्क रखे. इस दौरान उन्होंने कहा कि रामलला नाबालिग हैं, ऐसे में नाबालिग की संपत्ति को ना तो बेचा जा सकता है और ना ही छीना जा सकता है.
वकील ने अदालत के सामने अपनी दलील रखते हुए कहा कि अगर थोड़ी देर को ये मान भी लिया जाए कि वहां कोई मंदिर नहीं, कोई देवता नहीं थे, फिर भी लोगों का विश्वास है कि राम जन्मभूमि पर ही श्रीराम का जन्म हुआ था. ऐसे में वहां पर मूर्ति रखना उस स्थान को पवित्रता प्रदान करता है.
11.50 AM: अयोध्या मामले की सुनवाई शुरू हो गई है. रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि अगर जमीन हमारी है और किसी ओर के द्वारा गैरकानूनी तौर पर कोई ढांचा खड़ा कर लिया जाता है तो जमीन उनकी नहीं होगी. अगर वहां पर मंदिर था,लोग पूजा भी कर रहे थे तो उन्हें और कुछ साबित करने की जरूरत नहीं है.
रामलला के वकील ने कहा कि एक मंदिर हमेशा मंदिर ही रहता है, संपत्ति को आप ट्रांसफर नहीं कर सकते हैं. मूर्ति किसी की संपत्ति नहीं है, मूर्ति ही देवता हैं.
इस पर जस्टिस बोबड़े ने कहा कि आपके तर्क तो इस प्रकार हैं कि मूर्ति के स्वामित्व वाली संपत्ति अभेद है. अगर कोई अन्य व्यक्ति जो संपत्ति पर दावा करता है, वह इसे कब्जे में नहीं रख सकता है. ऐसे में संपत्ति ट्रासफंर वाली चीज नहीं है.
..मंदिर तोड़ कर बनाई गई थी मस्जिद’
मंगलवार को रामलला के वकील की तरफ से दावा किया गया था कि मस्जिद को बनाने के लिए मंदिर तोड़ा गया था. उन्होंने ASI रिपोर्ट का हवाला देते हुए वहां मिले शिलालेख में मगरमच्छ, कछुओं के चित्रों का भी जिक्र किया और कहा कि इनका मुस्लिम कल्चर से मतलब नहीं था. इतना ही नहीं उन्होंने दावा किया कि बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान जो स्लैब वहां से निकलीं उनपर संस्कृत में संदेश लिखा हुआ था.
वकील ने अदालत में इस दौरान पाञ्चजन्य के रिपोर्टर की रिपोर्ट का जिक्र किया, कुछ तस्वीरें अदालत में दिखाई और ASI की रिपोर्ट का भी हवाला दिया गया.
अदालत में जारी है सवाल-जवाब का सिलसिला
एक तरफ रामलला विराजमान के वकील लगातार रिपोर्ट, पुराणों का जिक्र कर रहे हैं तो वहीं जज भी कई तरह के सवाल पूछ रहे हैं. जैसे कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से पूछा गया था कि इस बात का क्या सबूत है कि बाबर ने ही मंदिर तुड़वाने का आदेश दिया था, या मंदिर तोड़कर ही मस्जिद बनाई गई थी.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पहले मध्यस्थता का रास्ता अपनाने को कहा था, लेकिन मध्यस्थता से कोई हल नहीं निकला. इसी वजह से अब अदालत इस मामले पर रोजाना सुनवाई कर रही है.
इस विवाद की सुनवाई मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ कर रही है. इसमें जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. ए. नजीर भी शामिल हैं.