17 पार्टियों ने वेंकैया नायडू को लिखा पत्र, राज्यसभा में बिना समीक्षा बिलों को पारित किए जाने का जताया विरोध

17 पार्टियों ने वेंकैया नायडू को लिखा पत्र, राज्यसभा में बिना समीक्षा बिलों को पारित किए जाने का जताया विरोध

नई दिल्ली: विपक्षी पार्टियों ने राज्यसभा में बिलों को बिना किसी समीक्षा के पारित किए जाने का विरोध करते हुए राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को पत्र लिखा है. पत्र में आरोप लगाया गया है कि सरकार संसदीय परंपराओं की अवहेलना कर रही है.

 

17 पार्टियों ने जताई नाराज़गी

 

गुरुवार को जिस तरह से राज्यसभा में सूचना का अधिकार संशोधन बिल पास हुआ उसके बाद विपक्षी पार्टियां नाराज़ भी हैं और सकते में भी हैं. इस बिल को सभी विपक्षी पार्टियों ने राज्यसभा की सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने उनकी मांग नहीं मानी और बिल पारित हो गया. अब 17 विपक्षी दलों ने राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को चिट्ठी लिखकर अपनी नाराजगी जताई है.

चिट्ठी में कहा गया है कि सरकार एक के बाद एक अहम बिलों को संसदीय समिति की समीक्षा के बगैर पारित करवाए जा रही है, जो संसदीय परंपराओं के प्रतिकूल है. चिट्ठी पर राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन , समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव , आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, एनसीपी के माजिद मेमन और आरजेडी के मनोज झा समेत 17 पार्टी के 18 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं.

 

17वीं लोकसभा में अबतक कोई बिल समिति को नहीं भेजा गया

 

पत्र में 14 वीं , 15 वीं, 16 वीं और 17वीं लोकसभा के दौरान पारित हुए बिलों की तुलना की गई है. संसदीय कामकाज का लेखा-जोखा रखने वाली संस्था पीआरएस लेजिस्लेचर के आंकड़ों के हवाले से सरकार पर संसद की अवहेलना करने का आरोप लगाया गया है. पत्र के मुताबिक 14वीं लोकसभा में जहां 60 फ़ीसदी बिलों को समीक्षा के लिए स्थाई समिति के पास भेजा गया, वहीं 15वीं लोकसभा में 71 फ़ीसदी बिलों की समीक्षा की गई. 2014 में मोदी सरकार आने के बाद बनी 16वीं लोकसभा में केवल 26 फ़ीसदी बिलों को ही संसदीय समितियों की समीक्षा के लिए भेजा गया. वहीं पत्र के मुताबिक वर्तमान यानि 17 वीं लोकसभा में अब तक एक भी बिल को संसदीय समिति के पास नहीं भेजा गया है.

 

चर्चा से भाग रही सरकार

 

पत्र में यह भी दावा किया गया है कि सरकार राज्यसभा में महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा भी नहीं होने दे रही है. पत्र के अनुसार नियम 176 के तहत महत्वपूर्ण विषयों पर अल्पावधि चर्चा राज्यसभा की परंपरा रही है, लेकिन सरकार उससे भी दूर भाग रही है. दावा किया गया है कि 15 विपक्षी पार्टियों ने देश में मीडिया की आजादी को लेकर नियम 176 के तहत चर्चा का नोटिस दिया था जिसे सरकार ने अभी तक नहीं माना है. सरकार पर ये भी आरोप लगाया गया है कि बिलों को सदन में पेश करने से पहले सदस्यों को जानकारी भी नहीं दी जा रही है.

 

अबतक काफी सफल रहा है सत्र

 

17 में लोकसभा का पहला सत्र सरकार के कामकाज के नजरिए से काफी अच्छा माना जा रहा है. राज्यसभा में अब तक कुल 14 बिल पारित हो चुके हैं. पीआरएस लेजिस्लेचर के अनुसार लोकसभा में अब तक 126 फ़ीसदी काम हो चुका है जो की एक रिकॉर्ड है. सत्र की अवधि भी अब 26 जुलाई से बढ़ाकर 7 अगस्त तक कर दी गई है.

Leave A Reply

Your email address will not be published.