राफेल जेट से पाकिस्तान और चीन पर रखी जाएगी निगाह, अंबाला-हाशिमारा बेस पर होगी तैनाती

राफेल विमान को देश में अंबाला वायुसेना स्टेशन पर तैनात किया जाएगा. इस प्रक्रिया की शुरुआत वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ करेंगे. हालांकि, राफेल विमान की पहले खेप देश में अक्टूबर के पहले हफ्ते में आएगी.

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नई दिल्ली: इंडियन एयरफोर्स फ्रांस से खरीदे जाने वाले राफेल लड़ाकू विमान को हरियाणा के अंबाला वायुसेना स्टेशन पर तैनात करेगा. राफेल को करगिल युद्ध में उम्दा प्रदर्शन करने वाले 17 नंबर स्क्वाड्रन में रखा जाएगा. इस प्रक्रिया की शुरुआत वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ करेंगे. इसके लिए वह मंगलवार को अंबाला जा रहे हैं. राफेल की स्कॉवड्रन को ‘गोल्डन ऐरो’ के नाम से जाना जायेगा.

 

जानकारी हो कि 17 नंबर स्क्वाड्रन में पहले मिग 21 (टाइप-96) फाइटर जेट था जो कि बठिंडा में तैनात था. अब इस स्क्वाड्रन के सभी मिग 21 रिटायर हो चुके हैं इसलिए इस स्क्वाड्रन में अब राफेल को शामिल किया जा रहा है. हालांकि, फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमानों की पहले खेप अक्टूबर के पहले हफ्ते में आएगी. इससे पहले फ्रांस के बोरदू शहर में 18-20 सितंबर को एक कार्यक्रम में राफेल विमान भारत को सौंपा जाना था. इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनात सिंह के भी शामिल होने की खबर थी. लेकिन अब ये कार्यक्रम टल गया है.

 

बता दें कि वायुसेना चीफ बी एस धनोआ इसी महीने के आखिर में रिटायर होने वाले हैं. ऐसे में उनकी रिटायरमेंट के बाद ही अब राफेल वायुसेना में शामिल हो पाएगा. राफेल को जिस 17 नंबर स्क्वाड्रन में रखा जाएगा उससे संबंधित एक दिलचस्प बात ये है कि करगिल युद्ध के दौरान वायुसेना प्रमुख ने इसी 17 नंबर स्क्वाड्रन को कमांडिंग ऑफिसर यानि सीओ के तौर पर कमांड किया था.

 

पाकिस्तान और चीन पर एक साथ रखी जाएगी निगाह

 

राफेल को पाकि‌स्तान के साथ-साथ लद्दाख से सटी चीन सीमा की सुरक्षा में तैनात किया जाएगा. इसके साथ ही राफेल के 18 विमानों की एक‌ दूसरी स्कॉवड्रन को पश्चिम बंगाल के हाशिमारा में तैनात‌ किया जाएगा. यहां से चीन सीमा पर पैनी नजर रखी जाएगी. मतलब साफ है कि रफाल की तैनाती भारत के टू-फ्रंट वॉर की तैयारियों के मद्देनजर की जा रही है‌.

 

भारत को फ्रांस से जो राफेल लड़ाकू विमान मिलने वाला है वो 4.5 जेनरेशन मीडियम मल्टीरोल एयरक्राफ्ट है. मल्टीरोल होने के कारण दो इंजन वाला (टूइन) रफाल फाइटर जेट हवा में अपनी बादशाहत कायम करने के साथ-साथ दुश्मन देशों की सीमा में घुसकर हमला करने में भी सक्षम है.

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